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भारत में मॉन्सैंटो को करारा झटका

ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)२६ अगस्त २०१६

दुनिया के कई देशों में बदनाम अमेरिकी बीज कंपनी मॉन्सैंटो को भारत में बड़ा झटका लगा है. सरकार से लंबी तकरार के बाद मॉन्सैंटो ने जीएम कपास की अपनी अर्जी वापस ली.

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chweiz Demonstrationen gegen Monsanto 2015
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Keystone/L. Gillieron

मॉन्सैंटो अगली पीढ़ी का जीन संवर्धित कपास का बीज भारत में बेचना चाहती है. कंपनी ने इसके लिए भारत में आवेदन भी भरा. लेकिन लंबी तकरार के बाद आखिरकार मॉन्सैंटो को अपना आवेदन वापस लेना पड़ा है. अमेरिका के बाद भारत मॉन्सैंटो का सबसे बड़ा बाजार है. अमेरिकी कंपनी एक भारतीय साझीदार महाराष्ट्र हाईब्रीड सीड्स की मदद से बीज बेचती है.

भारत सरकार साफ कर चुकी है कि अगली पीढ़ी के जीन संवर्धित बीज बेचने की अनुमति तभी दी जाएगी, जब कंपनी स्थानीय बीज कंपनियों के साथ तकनीक साझा करेगी. सरकारी प्रस्ताव ने मॉन्सैंटो को यह शर्त मानने के लिए बाध्य कर दिया.

Symbolbild Gentechnik Anbau Genmais
जीएम बीजों की सबसे बड़ी कंपनी है मॉन्सैंटोतस्वीर: picture-alliance/dpa

बीज के दाम पर भारत सरकार और मॉन्सैंटो का विवाद पहले से ही जारी है. मॉन्सैंटो का आरोप है कि जीन संवर्धित बीज का दाम तय करने से उसे हर साल करोड़ों डॉलर का नुकसान हो रहा है. विवाद को न सुलझता देख अब मॉन्सैंटो ने अप्रत्याशित कदम उठाया है. कंपनी ने बीज बेचने की अनुमति पाने के लिए भरा आवेदन वापस ले लिया है. इससे मॉन्सैंटो को बड़ा नुकसान होगा.

मॉन्सैंटो के प्रवक्ता ने "कारोबार में अनिश्चितता और नियामक माहौल" को अर्जी वापस लेने की वजह बताया है. हालांकि कंपनी ने साफ किया है कि भारतीय बाजार में मौजूद बीजों की बिक्री जारी रहेगी.

असल में भारत सरकार ने इसी साल मॉन्सैंटो को बता दिया था कि तकनीक साझा करने पर ही नए बीज की बिक्री की इजाजत मिलेगी. मॉन्सैंटो और दूसरी अंतरराष्ट्रीय बीज कंपनियों के विरोध के बाद सरकार का कहना है कि वह इस मुद्दे पर सुझाव मांग रही है और मामले की समीक्षा की जा रही है.

भारत ने 2002 में पहली बार मॉन्सैंटो को देश में जीन संवर्धित कपास का बीज बोलगार्ड-1 बेचने की अनुमति दी. 2006 में बोलगार्ड टू बेचने की परमिशन मिली. बोलगार्ड टू की मदद से भारत का कपास निर्यात चारगुना बढ़ा. लेकिन वक्त बीतने के साथ बोलगार्ड-2 बीज अब बेकार साबित होने लगा. विशेषज्ञों के मुताबिक यह बीज बोलवॉर्म नाम के कीड़े के सामने निढाल साबित रहा है. मंहगे और बेकार साबित होते जीन संवर्धित बीज खरीदने से छोटे किसानों की हालात बहुत खराब हुई. बीती सदी के दौरान महाराष्ट्र के हजारों किसानों ने आत्महत्या भी की. इसके बावजूद भारत में 2015 में जीन संवर्धित कपास के बीज के 4.10 करोड़ पैकेट बिके. इस बिक्री से मॉन्सैंटो को 9.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रॉयल्टी मिली.

किसानों की आत्महत्या और बीज की कमजोरी सामने के बाद मॉन्सैंटो ने नया बीज पेश किया. महाराष्ट्र हाईब्रीड सीड्स ने इसे भारत में बेचने के लिए 2007 में आवेदन भरा. आवेदन के बाद फील्ड ट्रायल का लंबा दौर चला. इसके बाद आवेदन फाइनल स्टेज में पहुंचा. लेकिन आखिर में तकनीक साझा करने के प्रस्ताव ने मॉन्सैंटो के इरादों पर पानी फेर दिया.