भारत पाक बातचीत पर लौटे
२७ मई २०१४मुंबई पर 26/11 वाले आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शीर्ष स्तर पर यह पहली औपचारिक बातचीत है. समझा जाता है कि बातचीत में भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद और सुरक्षा के अलावा व्यापार और कश्मीर के मसलों पर चर्चा हुई. मोदी और शरीफ दोनों ही उद्योग और व्यापार को बढ़ावा देना चाहते हैं.
विशाल शपथ ग्रहण समारोह
हल्के भूरे रंग के सिल्क के कुर्ते और गहरे भूरे रंग की बंडी में मोदी ने टाई सूट पहने शरीफ का गर्मजोशी से स्वागत किया और दोनों नेताओं ने तय वक्त से लगभग एक घंटा ज्यादा बातचीत की. शरीफ भारत के उन छह पड़ोसी मुल्कों के राष्ट्राध्यक्षों में हैं, जिन्हें 26 मई को नई दिल्ली के विशाल शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया गया है.
मोदी की पहचान भारत, विश्व और खुद उनकी पार्टी में एक कट्टरपंथी नेता की रही है, जिन्होंने कई बार पाकिस्तान पर तीखे हमले किए हैं. लेकिन पिछले हफ्ते चौंकाने वाला फैसला करते हुए उन्होंने अन्य राष्ट्रों के अलावा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को भी दावत दी. सोमवार को शपथ लेने के बाद मोदी ने कहा, "चलिए, मिल कर हम एक मजबूत, विकसित और समग्र भारत का सपना देखते हैं, जो विश्व शांति और विकास में सहयोग कर सके."
26/11 के बाद रुकी वार्ता
मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमलों के बाद भारत ने पाकिस्तान से बातचीत रोक दी थी. भारत का आरोप है कि हमलों की साजिश पाकिस्तान में रची गई और उसमें खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी अहम रोल था. भारत बार बार कहता रहा है कि इसके पीछे लश्कर ए तैयबा का हाथ है, जो पाकिस्तान से अपनी गतिविधियां चलाता है. मोदी की जीत के बाद अफगानिस्तान में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला हो चुका है और अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई इसके लिए भी लश्कर की तरफ अंगुली उठा चुके हैं.
विदेश नीति पर नजर
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी विदेश नीति को लेकर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि यह काम उदारवादी समझी जाने वाली सुषमा स्वराज को दिया गया है. उन्हें विदेश और एनआरआई मामलों का मंत्री बनाया गया है.
इस बीच हिन्दुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में नवाज शरीफ ने कहा है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारने का महान मौका मिला है, "हमारे सामने एक ऐतिहासिक क्षण है कि हम नए अध्याय की शुरुआत करें. मोदी के नेतृत्व में नई सरकार को मजबूत बहुमत मिला है और हम रिश्ते को वहां से आगे बढ़ाना चाहते हैं, जहां मैंने और वाजपेयी ने 1999 में छोड़ा था." बीजेपी की अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर करने की पहल की थी. वाजपेयी ने लाहौर की बस भी चलाई थी और खुद उसमें बैठ कर पाकिस्तान गए थे. लेकिन इसके बाद पाकिस्तान में परवेज मुशर्रफ के नेतृत्व में सैनिक तख्ता पलट हो गया और बाद में भारतीय संसद पर आतंकवादी हमले के बाद रिश्ते खट्टे पड़ गए.
मुशर्रफ के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद भारत और पाकिस्तान जब करीब आने की कोशिश कर रहे थे, तभी मुंबई का आतंकवादी हमला हो गया.
एजेए/एमजी (एएफपी, रॉयटर्स)