भारत पहुंचा सोलर इमपल्स 2
११ मार्च २०१५सौर ऊर्जा से उड़ने वाला सोलर इमपल्स 2 लगातार 1,465 किलोमीटर की उड़ान भरने के बाद अहमदाबाद पहुंचा. विमान ने मंगलवार सुबह मस्कट की राजधानी ओमान से उड़ान भरी. 16 घंटे की उड़ान के दौरान विमान ने अरब सागर को पार कर भारतीय वायु सीमा में प्रवेश किया.
सोलर इमपल्स 2 अब दो दिन अहमदाबाद में बिताएगा. शनिवार को विमान उत्तर भारत के वाराणसी शहर के लिए उड़ान भरेगा. विमान की कमान दो स्विस पायलटों बेरट्रांड पिकार्ड और आंद्रे बोर्शबेर्ग के हाथ में है. दोनों सौर ऊर्जा के सहारे दुनिया का चक्कर काटना चाहते हैं. चक्कर कुल 35,000 किलोमीटर का होगा.
अच्छा संदेश
सोलर इमपल्स कंपनी के सह संस्थापक बोर्शबेर्ग ने अपने साथी के साथ सोमवार को यूएई की राजधानी अबू धाबी से वर्ल्ड ट्रिप की शुरुआत की. अबू धाबी से ओमान तक बोर्शबेर्ग ने विमान उड़ाया. पिकार्ड विमान को ओमान से अहमदाबाद लेकर आए.
दोनों स्विस वैज्ञानिकों की कोशिश है कि दुनिया को सौर ऊर्जा की संभावनाओं से रूबरू कराया जाए. उनका कहना है कि यह यात्रा "स्वच्छ तकनीक" का शानदार उदाहरण पेश करेगी.
विमान की तकनीक
सोलर इमपल्स 2 के डैनों में 17,000 से ज्यादा सोलर सेल लगे हैं. जमीन पर खड़े रहने और उड़ान भरने के दौरान सोलर सेल बैटरियों को चार्ज करते हैं. बैटरियों की मदद से चार मोटरें घूमती हैं. विमान आम तौर पर 45 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ान भरता है.
विमान के डैनों की लंबाई 72 मीटर है. यह बोइंग के सबसे बड़े विमान 747 जम्बो से भी ज्यादा है. सोलर इमपल्स 2 का वजन 2,300 किलोग्राम है यानि करीब एक छोटे पिक-अप ट्रक के बराबर. जबकि 747 जंबो का वजन 180 टन होता है. सोलर पावर से चलने के लिए विमान का हल्का होना एक बुनियादी जरूरत है.
वर्ल्ड ट्रिप का नक्शा
वर्ल्ड ट्रिप के दौरान विमान 12 जगहों पर उतरेगा. भारत के वाराणसी शहर से विमान म्यांमार और फिर वहां से चीन जाएगा. चीन के दो शहरों पर उतरने के बाद विमान प्रशांत महासागर को पार कर हवाई में उतरेगा. अगले चरण में वहां से ये अमेरिका पहुंचेगा और फिर अटलांटिक महासागर पार कर यूरोप आएगा. अभी यह तय नहीं है कि विमान उत्तरी यूरोप में उतरेगा या दक्षिण यूरोप में. यूरोप में लैंडिग की जगह मौसम के हिसाब से तय की जाएगी. यूरोप से विमान फिर यूएई के लिए निकलेगा.
दुनिया का चक्कर लगाने में पांच महीने लगेंगे. दोनों पायलट इस दौरान 25 दिनों तक बेहद कठिन परिस्थितियों में विमान उड़ाएंगे. विमान में पानी नहीं है. उड़ान के दौरान दोनों पायलट खड़े भी नहीं हो सकते. टॉयलेट सीट के ही नीचे हैं. कुशन हटाकर इसका इस्तेमाल करना पड़ता है. बोर्शेबेर्ग इस अभियान को अंजाम तक पहुंचाने के लिए योग का सहारा ले रहे हैं, तो पिकार्ड ध्यान और सेल्फ हिप्नोसिस का अभ्यास कर रहे हैं.
ओएसजे/आरआर (एपी)