भारतीय मुसलमानों ने आईएस को बताया "गैर इस्लामी"
९ सितम्बर २०१५भारत की सैकड़ों इस्लामिक मस्जिदों के धार्मिक नेताओं, शिक्षा संस्थानों और नागरिक समूहों ने एक ऐसे फतवे पर हस्ताक्षर किए हैं, जो आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट को इस्लाम के मूल सिद्धांतों के विपरीत बताता है. यह फतवा या धार्मिक आदेश मुंबई के एक धार्मिक नेता मोहम्मद मंजर हसन अशरफी मिस्बाही ने जारी किया है.
मिस्बाही ने समाचार एजेंसी एपी को बताया, "इस्लामिक स्टेट की हरकतें अमानवीय और गैर-इस्लामी हैं." मुंबई से फोन पर बात करते हुए मिस्बाही ने जानकारी दी कि 1,100 पेज का यह फतवा 50 से भी अधिक देशों के नेताओं को इसका समर्थन करने के आवेदन के साथ भेजा जा चुका है.
बहिष्कार करना जरूरी
भारत में हर शुक्रवार नमाज के बाद मुस्लिम धर्मगुरु जनता को संदेश में इस फतवे के बारे में बताएंगे. इस्लामिक डिफेंस साइबर सेल के अध्यक्ष अब्दुल रेहमान अंजारिया ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस संदेश के जरिए लोगों को यह समझाने की कोशिश होगी कि आईएस का बहिष्कार करना क्यों जरूरी है.
अंजारिया का कहना है कि आतंकी संगठन सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर युवाओं को भड़काने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा, "इसमें कोई शक नहीं कि इस्लामिक स्टेट ने इस्लाम की छवि को नुकसान पहुंचाया है. इस्लाम लोगों को धर्म के नाम पर जान लेने की इजाजत नहीं देता.. और महिलाओं की इज्जत करना सिखाता है."
आईएस के निशाने पर
पिछले कुछ महीनों में भारतीय अधिकारियों ने ऐसे करीब दो दर्जन युवाओं को देश छोड़कर जाने से रोका है जो इस्लामिक स्टेट के लड़ाके बनने जा रहे थे. ऐसे 17 भारतीयों के आईएस के साथ जुड़ने के प्रमाण मिले हैं. भारत की करीब 17 करोड़ मुस्लिम आबादी में अधिकतर आईएस या अल कायदा जैसे कट्टरपंथी समूहों के सिद्धांतों को सही नहीं मानते.
दूसरी ओर, सोमालिया और यमन के बीच नाव पर सवार 20 भारतीय नागरिकों में से 7 के गायब होने की खबर है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया है कि मंगलवार को नाव पर हुई बमबारी में 13 भारतीय जीवित बच गए. रिपोर्टों के अनुसार यह हमला सऊदी नेतृत्व वाले लड़ाकों की ओर से हुआ.
आरआर/आईबी (एपी)