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भारतीय पत्रकारों ने की निंदा

महेश झा९ जनवरी २०१५

भारत में व्यंग्यकारों ने पेरिस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ पर आतंकी हमले में मारे गए अपने साथियों को अपने स्केच से श्रद्धांजलि दी है जबकि मीडियाकर्मियों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर दिया है.

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तस्वीर: Getty Images/D. Kitwood

भारत के प्रमुख दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने संपादकीय में फ्रेंच पत्रिका पर आतंकवादी हमले को हर कहीं स्वतंत्र प्रेस की रक्षा का आह्वान बताया है. दैनिक ने कहा, "यह सिर्फ एक बेअदब पत्रिका पर ही हमला नहीं था, बल्कि खुली अभिव्यक्ति के विचार पर हमला था, एक आजादी जो लोकतंत्र के केंद्र में है." हिंदुस्तान टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि कभी आतंकवाद ऐतिहासिक शिकायतों और राजनीतिक मकसदों के साथ जुड़ा होता था, "लेकिन चरमपंथी विचारधारा और आतंकवाद अब सामाजिक वर्चस्व और सोच पर नियंत्रण की धारणा हो गए हैं."

भारत के प्रमुख कार्टूनिस्टों ने शार्ली एब्दॉ पर हुए हमले पर कार्टून बनाए हैं. डीएनए के कार्टूनिस्ट मंजुल ने अपना कार्टून ट्वीट किया है.

आइबीएन के नीलाभ बनर्जी का ट्वीट

गोपाल का कार्टून सोशल मीडिया पर पेरिस हत्याकांड पर लोगों के आक्रोश और उनकी भावनाओं को छू रहा है. वे भारत की स्थिति की ओर भी इशारा कर रहे हैं.

अमर उजाला दैनिक में निकोलस क्रिस्टॉफ ने लिखा है, "बंटवारा किसी धर्म के बीच नहीं है, बल्कि यह आतंकवादियों और उदारवादियों के बीच होना चाहिए. यह उन लोगों के बीच होना चाहिए, जिसमें एक सहिष्णु है और दूसरा 'असहिष्णु'. हमें शार्ली एबदॉ के समर्थन में खड़ा होना चाहिए. हमें इस्लामी दुनिया या विश्व के किसी भी हिस्से में मौजूद आतंकवाद, उत्पीड़न और महिलाओं के दमन की निंदा करनी चाहिए. मगर हां, यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि आतंकी असहिष्णुता हमारे अंदर न पनपे."

अंग्रेजी दैनिक हिंदू में वसुंधरा सिरनाते ने लिखा है कि हमें शार्ली एब्दॉ को इस्लाम विरोधी पत्रिका के रूप में नहीं, बल्कि धर्म विरोधी, संस्थान विरोधी, चरमपंथ विरोधी प्रकाशन के रूप में देखना चाहिए, "दरअसल, प्रकाशन फ्रेंच धर्मनिरपेक्षता पर अमल के रूप में सबको और सबको ही बराबरी के साथ नाराज करने के अधिकार पर जोर दे रही थी."

हिंदू के कार्टूनिस्ट केशव ने भी अपना कार्टून ट्वीट किया है.

दैनिक जागरण में राजनीतिक समीक्षक उदय भास्कर ने पेरिस हमले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और 21वीं शताब्दी में व्यंग्य की प्रासंगिकता पर करारा हमला बताया है. उदय भास्कर ने लिखा है, "असहमति उदारवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था के मूल में होती है और ऐसी व्यवस्था में निंदा को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. इस तरह की असहिष्णुता भारत में भी बढ़ रही है. विभिन्न घरेलू मुद्दों पर हिंदू कट्टरपंथी संगठनों का अनुदार रवैया भी भारत में चिंता की एक बड़ी वजह है. इसमें संदेह नहीं कि पेरिस हत्याकांड बहुपक्षीय प्रासंगिकता के साथ वैश्विक समुदाय की चुनौतियों को दर्शाता है. पूरी दुनिया को इस चुनौती की गंभीरता का अहसास करना होगा."