भारतीयों की पहली पसंद है अर्जेंटीना
६ जून २०१०24 साल पहले अर्जेंटीना को वर्ल्ड कप जिताने वाले कप्तान डिएगो मैराडोना इस बार के विश्व कप में भी होंगे. बस रोल बदल गया है, वह कप्तान की जगह मैनेजर के तौर पर दिखेंगे.
रिकेलमे, टेवेज और लायोनल मेसी जैसे सितारों से भरी टीम एक बार फिर सुनहरे कप पर कब्जा जमाने की कोशिश करेगी, जहां आखिरी बार वह 1990 के इटली वर्ल्ड कप में फाइनल तक पहुंची थी. 2002 वर्ल्ड कप में तो अर्जेंटीना पहले दौर में ही मुकाबले से बाहर हो गई.
लगातार दो बार की ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना ने पहली बार के वर्ल्ड कप में ही अपनी मौजूदगी दिखा दी थी, जब 1930 में वह फाइनल तक पहुंच गई. हालांकि मेजबान उरुग्वे ने खिताबी मुकाबले में बाजी मार ली और अर्जेंटीना को उसके बाद क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने में ही 36 साल लग गए.
बीच में ऐसे साल भी आए, जब टीम वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई भी नहीं कर पाई लेकिन बाद में 1978 और 1986 जैसे सुनहरे साल भी आए, जब आठ साल के अंदर अर्जेंटीना ने दो बार दुनिया के सबसे बड़े खेल मुकाबले को अपने नाम कर लिया.
18 में से 14 बार वर्ल्ड कप खेल चुकी अर्जेंटीना की टीम फुटबॉल की दुनिया की बेहतरीन टीमों में गिनी जाती है और हर बार खिताब की बड़ी दावेदार होती है. पिछली बार जर्मनी में खेले गए वर्ल्ड कप में अर्जेंटीना क्वार्टर फाइनल तक ही पहुंच पाया और उसे पांचवें नंबर से संतोष करना पड़ा.
भारतीय क्रिकेट टीम की ही तरह अर्जेंटीना की फुटबॉल टीम भी बड़े हैरानी भरे नतीजे देती आई है. 1978 का विश्व कप जीतने वाली टीम अगली बार दूसरे दौर में ही निकल गई और 1990 के फाइनल तक पहुंचने के बाद 1994 में टीम क्वार्टर फाइनल तक का सफर भी पूरा नहीं कर पाई.
अर्जेंटीना के सामने इस बार मुश्किल क्वालीफाइंग मुकाबले खेल कर वर्ल्ड कप में पहुंचने की चुनौती थी, जिससे टीम का हौसला बढ़ा भी होगा और झटके भी लगे होंगे. लेकिन मेसी, टैवेज और रॉड्रिगेज जैसे सितारों से भरी टीम एक और वर्ल्ड कप जीतने का दम रखती है. खास कर तब, जब टीम के मैनेजर फुटबॉल इतिहास के सबसे बड़े खिलाड़ी यानी डिएगो मैराडोना हों.