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बढ़ रहा है एडल्ट डायपर का बाजार

२२ अक्टूबर २०१९

वो वक्त दूर नहीं जब बाजारों में बच्चों से ज्यादा वयस्कों के लिए डायपर बिका करेंगे. दुनिया की आबादी का बड़ा हिस्सा बूढ़ा हो रहा है और इस बढ़ती उम्र के साथ एडल्ट डायपर की मांग भी तेज हुई है.

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Symbolbild Jahreskongress Inkontinenz
तस्वीर: picture-alliance/dpa

दुनिया के कई देशों में एडल्ट डायपर खरीदते हुए लोगों को संकोच होता है. डायपर उद्योग इसे बदलने की कोशिश में लगा है. दुनिया भर में 40 करोड़ लोगों को मूत्राशय से जुड़ी बीमारियां हैं. ऐसे में डायपर का बाजार पिछले साल की तुलना में 9 फीसदी बढ़ गया है और इस वक्त 9 अरब डॉलर का है. पिछले दशक की तुलना में डायपर का बाजार दोगुना हो चुका है. बावजूद इसके कंपनियों को कहना है कि बीमारी से प्रभावित 40 करोड़ लोगों में से आधे ही डायपर का इस्तेमाल कर रहे हैं. अधिकतर लोगों को बाजार जा कर इसे खरीदने में संकोच होता है. इसे बदलने के लिए कंपनियां कई नए तरीके अपना रही हैं. मिसाल के तौर पर पैकेट पर डायपर या नैपी जैसे शब्दों का इस्तेमाल खत्म किया जा रहा है. सुपरमार्केट में इन्हें बच्चों के डायपर के साथ ना रख कर डियो, टूथपेस्ट इत्यादि के आसपास रखा जा रहा है ताकि लोग निःसंकोच इन्हें उठा सकें. इसके अलावा विज्ञापन के माध्यम से भी इस मुद्दे पर बहस तेज की जा रही है.

जापान में तो 2013 में ही एडल्ट डायपर की बिक्री ने बच्चों के डायपर को पीछे छोड़ दिया था. एडल्ट डायपर बनाने वाली कंपनी यूनीचार्म कॉर्पोरेशन के प्रवक्ता हितोशी वातानाबे का कहना है, "हम लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वयस्कों में मूत्राशय से जुड़ी समस्याएं सामान्य हैं और ऐसा युवाओं के साथ भी हो सकता है." इस कंपनी ने पिछले साल आठ फीसदी ज्यादा बिक्री दर्ज की.

ऐसा ही अमेरिकी कंपनी किम्बरले क्लार्क के साथ भी देखा गया. इस कंपनी ने पिछले साल हल्के और पतले एडल्ट डायपर बाजार में उतारे. कंपनी के अनुसार अधिकतर लोग नहीं चाहते कि किसी को इस बारे में पता चले कि वे डायपर पहनते हैं. इसलिए अगर डायपर अंडरवेयर जैसे ही हल्के हों तो ग्राहक उन्हें खरीदने में ज्यादा संकोच नहीं दिखाते. किम्बरले क्लार्क की फियोना टॉमलिन का कहना है, "लोग अपने प्रियजनों से भी इस बात को छिपा कर रखते हैं. अपने पति, भाई, बहन तक को पता नहीं लगने देते. बहुत से ग्राहकों के लिए यह एक गहरे राज जैसा होता है. लेकिन यह तो जीवन की एक सच्चाई है."

पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इस तरह की दिक्कतों का ज्यादा सामना करना पड़ता है. आंकड़े बताते हैं कि महिलाएं दोगुना अधिक प्रभावित होती हैं. खास कर बच्चा होने के बाद इस तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं लेकिन कम ही महिलाएं इस पर खुल कर बात करती हैं. 31 साल की एली फॉस्टर डेढ़ साल पहले मां बनी थीं और बच्चे के जन्म के वक्त से इस दिक्कत का सामना कर रही हैं. वह कहती हैं, "शुरू में एडल्ट डायपर खरीदते हुए मुझे बहुत अजीब लगता था. मुझे लगता था कि बूढी औरतों की जगह पर खड़ी हूं." 

स्वीडन का एक ब्रैंड एसिटी महिलाओं के लिए डिस्पोजेबल अंडरवेयर को लोकप्रिय बनाने की कोशिश में लगा है. कंपनी की टैगलाइन है: अब राज बाहर आ गया है - हर तीन में से एक महिला इसकी शिकार है. मूत्राशय की बीमारी के बारे में जागरुकता बढ़ाने और चर्चा कराने वाली ग्लोबल फोरम ऑन इंकॉन्टीनेंस के अनुसार 12 प्रतिशत महिलाएं और 5 फीसदी पुरुष जीवन में कभी ना कभी इसका शिकार होते हैं.  एसिटी की उलरिका कोल्सरुंड का कहना है, "अगर इंकॉन्टीनेंस एक देश होता तो यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश होता." कोल्सरुंड का मतलब इंकॉन्टीनेंस से प्रभावित लोगों की संख्या से है. 

एडल्ट डायपरों की जरूरत बढ़ रही है. कंपनियां इन्हें लोगों तक आसानी से पहुंचाने की कोशिशों में लगी हैं. इन सब के बीच एक सच यह भी है कि सैनिटरी पैड, बच्चों के नैपी और एडल्ट डायपर पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक होते हैं. इन्हें विघटित होने में सैकड़ों साल लग जाते हैं. ऐसे में कंपनियों को सिर्फ नए और आरामदायक ही नहीं, बल्कि ईको फ्रेंडली विकल्पों पर भी ध्यान देना होगा.

आईबी/एनआर (रॉयटर्स)

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