ई-सिगरेट पर भी रोक
४ अप्रैल २०१४फिलहाल इस पर बहस चल रही है. पर अगर आम सहमती बंनती है तो वेल्स ब्रिटेन का पहला हिस्सा बन जाएगा जहां इस तरह की रोक होगी. वेल्स में 2007 से ही सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट पीने पर मनाही है. अब वहां के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि ई-सिगरेट से भी नुकसान हो रहा है, इसलिए इनसे भी छुटकारा पाना जरूरी है. उनका कहना है कि ई-सिगरेट साधारण सिगरेट को बढ़ावा दे रही है.
दरअसल ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में तंबाकू होता ही नहीं है. पेन जैसी दिखने वाली प्लास्टिक की एक ट्यूब में लिक्विड निकोटिन भरा जाता है. सिगरेट बैटरी से चलती है. इसे ऑन करते ही निकोटीन गर्म हो जाता है और और भाप में तब्दील हो जाता है. बैटरी वाली ये ई-सिगरेट पिछले दस साल से बाजार में हैं. 2004 में चीन ने पहली बार इन्हें बनाया और अब ये दो अरब डॉलर का उद्योग बन चुका है.
ज्यादातर इसका इस्तेमाल लोगों की सिगरेट की आदत को छुड़वाने के लिए किया जाता है. लेकिन लोगों की इनमें बढ़ती रुचि को देखते हुए कई जगह इन पर रोक लग चुकी है. अमेरिका में न्यूयॉर्क और लॉस एंजेल्स इसमें शामिल हैं. इसके अलावा ब्राजील और सिंगापुर में भी खुले आम ई-सिगरेट पीने पर रोक लग चुकी है.
वेल्स के स्वास्थ्य मंत्री मार्क ड्रेकफोर्ड को चिंता सता रही है कि ई-सिगरेट सामान्य सिगरेट को बढ़ावा दे सकती है, "ई-सिगरेट में निकोटिन होता है जिसकी लोगों को आसानी से लत लग जाती है और मैं नहीं चाहता कि नई पीढ़ी को इस नशे की लत लग जाए." इस से पहले ब्रिटेन में 18 साल से कम उम्र वालों को ई-सिगरेट बेचे जाने पर रोक लगाई जा चुकी है.
आईबी/एएम (रॉयटर्स)