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ब्रिटेन को बचाने का ईयू प्लान

ओएसजे/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)३ फ़रवरी २०१६

यूरोपीय संघ के अध्यक्ष डोनल्ड टुस्क ने ब्रिटेन के कटाव को रोकने के लिए कई प्रस्ताव पेश किये हैं. अगले दो हफ्तों में इन प्रस्तावों पर माथापच्ची होगी. 18-19 फरवरी तक किसी समझौत पर पहुंचने की कोशिश होगी.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/L. Dubrule

इन प्रस्तावों में "इमरजेंसी ब्रेक" नाम का विकल्प भी है. इसके तहत ब्रिटेन चार साल तक यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के आप्रवासियों को सामाजिक कल्याण भत्ता नहीं देगा. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन इसके लिए एक रेड कार्ड सिस्टम बनाना चाहते हैं. रेड कार्ड सिस्टम के जरिए ब्रिटेन की संसद को अप्रवासी कामगारों के मामलों में ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे. कम आय वर्ग के यूरोपीय कामगारों को टैक्स और हाउसिंग में भी सीमित रियायत दी जाएगी. यूरोपीय संघ के देशों से रोजगार के लिए ब्रिटेन जाने वालों को चार साल तक कई सामाजिक सेवाएं नहीं दी जाएंगी.

पूर्वी यूरोप के देश इस प्रस्ताव से बेहद नाराज हैं. उनका कहना है कि ये प्रस्ताव यूरोपीय संघ के भीतर आवाजाही की स्वतंत्रता को खतरा पहुंचा रहा है. हालांकि इस बीच जर्मनी में भी राजनीतिक नेता ऐसे ही समाज कल्याण भत्तों की कटौती पर चर्चा कर रहे हैं.

ब्रिटेन में 2017 के अंत तक जनमत संग्रह होना है. इसके जरिए ब्रिटेन की जनता तय करेगी कि उनके देश को 28 देशों वाले यूरोपीय संघ में रहना चाहिए या नहीं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से चुनावों में इस जनमत संग्रह का वादा किया था. अगर यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के बीच इसी महीने समझौता हो जाता है तो जनमत संग्रह इस साल जून में भी हो सकता है.

अब कैमरन का कहना है कि टस्क के योजना "वास्तविक प्रगति" है, जिसके आधार पर वह अपने देशवासियों से यूरोपीय संघ में बने रहने की अपील करेंगे. लेकिन प्रधानमंत्री कैमरन को यूरो आलोचकों और अपनी ही कंजर्वेटिव पार्टी के नेताओं की तल्खी का सामना करना पड़ रहा है. आलोचकों के मुताबिक प्रधानमंत्री "मल की पॉलिश" कर रहे हैं.

वहीं दूसरी ओर यूरोपीय संघ के कुछ और देश ब्रिटेन के रुख से नाराज हो रहे हैं. उन्हें लग रहा है कि 18-19 फरवरी के सम्मेलन से पहले कैमरन डर के सहारे बहुत रियायत ले रहे हैं. यूरोपीय संघ के नेताओं को लिखे एक पत्र में डोनाल्ड टुस्क ने कहा, "साथ में रहना या नहीं रहना, इस सवाल का जवाब जनमत संग्रह में सिर्फ ब्रिटेन के लोगों को ही नहीं देना है, इसका जवाब अगले दो हफ्तों में यूरोपीय संघ के दूसरे 27 सदस्यों को भी देना है." इन प्रस्तावों पर बुधवार से यूरोपीय संसद में चर्चा हो रही है. वैसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री खुद भी पोलैंड, डेनमार्क और जर्मनी जाकर बातचीत करने वाले हैं.