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ब्रिटेन और फ्रांस के बीच बढ़ा विवाद

२९ अक्टूबर २०२१

ब्रेक्जिट के बाद मछली पकड़ने के अधिकारों को लेकर फ्रांस और ब्रिटेन के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. फ्रांस ने जवाबी कदम उठाने की चेतावनी दी थी जिसके बाद ब्रिटेन ने फ्रांस के राजदूत को बुलावा भेजा है.

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Frankreich England Fischkutter vor Boulogne-sur-Mer
तस्वीर: Barbara Wesel/DW

ब्रिटेन द्वारा फ्रांस के राजदूत को बुलावा भेजने के एक दिन पहले ही फ्रांस के प्रधानमंत्री जौं कैस्टैक्स ने विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत शुरू करने का प्रस्ताव दिया था. दोनों देश ब्रिटेन और चैनल द्वीपों के इर्द गिर्द समुद्र में मछली पकड़ने वाली यूरोपीय नावों के लिए लाइसेंस के नियमों को लेकर एक दूसरे से भिड़े हुए हैं.

लेकिन उसके कुछ ही घंटों के बाद ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस ने ट्वीट किया कि उन्होंने "यूके और चैनल द्वीपों के खिलाफ अनुपातहीन रूप से दी गई धमकियों" पर सफाई देने के लिए फ्रांस के राजदूत को बुलावा भेजा है. फ्रांस ने चेतावनी दी है कि अगर उसकी नावों को अभी भी लाइसेंस नहीं मिला तो वो जल्द ही जवाबी कदम उठाएगा.

युद्ध या लड़ाई?

ब्रिटेन, जर्सी और गर्न्सी स्वशासी द्वीपों ने फ्रांस की नावों को इस इलाके में आने की अनुमति नहीं दी थी जिससे फ्रांस बहुत नाराज है. जर्सी और गर्न्सी द्वीप स्वशासी तो हैं लेकिन रक्षा और विदेशी मामलों के लिए लंदन पर निर्भर हैं. मामला जब काफी आगे बढ़ गया तब कैस्टैक्स ने कहा कि वो "बातचीत के लिए हमेशा तैयार थे."

Frankreich | festgesetztes Britisches Fischerboot im Hafen Le Havre
फ्रांसीसी अधिकारियों द्वारा जब्त की हुई ब्रिटिश नावतस्वीर: Michel Euler/AP/picture alliance

फ्रांस के कदमों में सीफूड लाने वाली यूके की नावों पर बैन और सभी उत्पादों पर कड़े निरीक्षण शामिल हैं. फ्रांस के अधिकारियों ने समुद्र से स्कॉलोप निकालने वाली ब्रिटेन की दो नावों पर जुर्माना भी लगाया और एक को रोक भी लिया. समुद्री मामलों की मंत्री ऐनिक जिर्रार्डिन ने कहा, "यह कोई युद्ध नहीं है, लेकिन एक लड़ाई है. फ्रांसिसी मछुआरों के भी अधिकार हैं, एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे और हमें उस समझौते को लागू करना ही चाहिए."

फ्रांसीसी अधिकारियों के मुताबिक 200 से ज्यादा फ्रांसीसी मछुआरे ब्रिटेन के तट से छह से 12 मील की दूरी पर पानी में जाने के लिए लाइसेंसों का इन्तजार कर रहे हैं. जिर्रार्डिन ने ब्रिटेन के उन दावों को नकार दिया जिनके तहत लंदन ने कहा था यूरोपीय संघ की 90 नावों के आवेदनों को स्वीकार कर लिया गया था. उन्होंने कहा कि असली आंकड़ा 90 प्रतिशत का है.

ईयू का हस्तक्षेप

उन्होंने आगे बताया, "जिन्हें लाइसेंस नहीं दिया है वो सारी नावें फ्रांसीसी हैं और बस एक या दो बेल्जियन हैं." जर्सी की सरकार ने कहा कि वो फ्रांस की धमकियों से "बुरी तरह निराश" हुई है. सरकार ने यह भी कहा कि संघ के अधिकारियों को शामिल करने के बाद बुधवार को हुई बातचीत में "प्रगति" हुई है.

Frankreich Coronavirus l Pk Premierminister Jean Castex in Paris
फ्रांस के प्रधानमंत्री जौं कैस्टैक्सतस्वीर: Martin Bureau/AP/picture-alliance

उसने यह भी कहा कि वो अब पहले के मुकाबले कम नावों को बैन कर रही है. फ्रांस के यूरोप मंत्री क्लेमें बोन ने कहा कि उनके देश को "बल की भाषा" का उपयोग इसलिए करना पड़ा क्योंकि "यह ब्रिटिश सरकार सिर्फ यही भाषा समझती है." उन्होंने यह भी कहा कि अभी भी अगर मामले में और तरक्की नहीं हुई तो और कदम भी उठाए जा सकते हैं.

लंदन ने फ्रांस के कदमों के जवाब में "उचित और व्यवस्थित प्रतिक्रिया" का वादा किया है क्योंकि ब्रिटेन का मछली पालन उद्योग फ्रांस के बंदरगाहों का यूरोप के प्रवेश द्वार की तरह इस्तेमाल करता है. यूरोप उसका मुख्य निर्यात बाजार है. यूरोपीय संघ के प्रवक्ता ने भी कहा कि विवाद को सुलझाने के लिए यूके और फ्रांस के साथ बातचीत की जाएगी.

सीके/एए (एएफपी)

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