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बौद्ध सैलानियों को लुभाएगा नेपाल

२७ जून २०१०

बौद्ध सैलानियों को लुभाने के लिए नेपाल सरकार भारत में मौजूद बौद्ध पर्यटन केंद्रों तक नई बस सेवा शुरू करेगी. लुंबिनी से शूरू हुआ ये सफर बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर तक जाने के बाद वापस लुंबिनी में ही खत्म होगा.

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बोधगया में महाबोधि महाविहारतस्वीर: UNI

दुनिया भर से आए बौद्ध सैलानी अब केवल एक बस में बैठकर महात्मा बुद्ध से जुड़े सारे प्रमुख जगहों की सैर कर सकेंगे. 10 दिन के सफर के लिए हर सैलानी को 400 अमेरिकी डॉलर का टिकट लेना होगा. इस दौरे पर वो सभी बौद्ध स्तूपों, मॉनेस्ट्री और महाविहारों के अलावा बौद्ध कला और साहित्य से भी रूबरू होंगे. नेपाल के पर्यटन विभाग ने शुरूआत में इस सेवा के लिए 42 सीटों वाली दो लग्ज़री बसें मंगाई है. नवंबर में ट्रायल रन होने के बाद जनवरी 2011 से ये बस सेवा चालू हो जाएगी.

महात्मा बुद्ध पैदा तो हुए नेपाल में लेकिन जन्मस्थान को छोड़ दें तो उनसे जुड़ी सारी प्रमुख जगहें मौजूद हैं भारत में. जाहिर है कि ज्यादातर सैलानी भारत भ्रमण करके ही वापस लौट जाते हैं. करीब ढाई हज़ार साल पहले नेपाल के लुंबिनी में बुद्ध का जन्म हुआ. भारत के बोधगया में उन्हें ज्ञान मिला, सारनाथ में बुद्ध ने पहला उपदेश दिया और कुशीनगर में उनकी मौत हुई. हर साल करीब 3 लाख सैलानी बौद्ध पर्यटन स्थलों की सैर करने भारत आते हैं. नेपाल सरकार को उम्मीद है कि इस बस सेवा के जरिए वह बौद्ध सैलानियों को अपने देश बुला सकेगी.

पिछले डेढ़ दशकों में नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता के चलते पर्यटन उद्योग को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. यहां तक कि नेपाल की अर्थव्यवस्था पर भी इसका बहुत बुरा असर हुआ है. सरकार की कोशिश है कि किसी तरह जल्दी से पर्यटन उद्योग को पटरी पर लाया जाए. 2011 को नेपाल सरकार ने पर्यटन वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया है. सरकार की कोशिश इस साल में कम से कम 10 लाख सैलानियों को अपने यहां बुलाने की है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः महेश झा