बोलने वाली गुड़िया पर जासूसी का शक
२४ फ़रवरी २०१७एक बोलने वाली गुड़िया ने बाजार में उतरने के साथ ही बच्चों का मन मोहना शुरु कर दिया था. बड़ों को भी वो पसंद आई क्योंकि वह बच्चों के किसी भी सवाल का जवाब इंटरनेट से ढूंढ कर उन्हें बता देती थी. लेकिन इंटरनेट से जुड़ा होना उसका गुण होने के साथ साथ दोष भी साबित हो रहा है. जर्मनी ने देश की सभी दुकानों से उसे हटवा दिया है.
संदेह था कि हैकर उसका इस्तेमाल कर जासूसी कर सकते हैं और बच्चों से बात कर उन्हें प्रभावित भी कर सकते हैं. जर्मन नेटवर्क एजेंसी के अध्यक्ष योखेन होमन ने बताया, "वे चीजें जिनमें ऐसे छुपे कैमरे या माइक्रोफोन लगे हों, जो लोगों की जानकारी के बिना उनके डाटा को ट्रांसमिट कर सकती हों, लोगों की निजता को खतरे में डाल सकती हैं. यह बात बच्चों के खिलौनों पर भी लागू होती है."
यह गुड़िया "माई फ्रेंड काइला" एक वायरलैस डॉल है. कई महीनों से यूरोपीय उपभोक्ता अधिकार समूह इसके असुरक्षित होने की शिकायत करते रहे हैं. नवंबर में उन्होंने इससे जुड़े सुरक्षा खतरों के बारे में कहा था कि बाहर के लोग तकनीकी उपाय निकाल कर इसके माध्यम से बच्चों से बातचीत भी कर सकते हैं. एजेंसी का कहना है कि जो अभिभावक यह जानकर भी इस खिलौने को खरीद रहे हैं, बच्चों को ऐसे खतरे से बचाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं को लेनी होगी.
एजेंसी ने कहा है कि ऐसा कोई भी खिलौना जिसमें किसी तरह की गुप्त आवाजें निकालने या तस्वीरें निकालने की तकनीकी क्षमता हो, वे जर्मनी में प्रतिबंधित हैं. इस बोलने वाली गुड़िया के बाद अब एजेंसी इस तरह के दूसरे इंटरएक्टिव खिलौनों की भी जांच करेगी.
डॉल बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जेनेसिस टॉयज अब तक ऐसी कम से कम 10 लाख गुड़िया बेच चुकी है. यह गुड़िया 2015 से ही विश्व के कई देशों के बाजार में बिक रही है. "माई फ्रेंड काइला" स्पीच रिकॉग्निशन तकनीक का इस्तेमाल कर बच्चों के सभी सवालों का जवाब देती है. डॉल के अंदर एक ब्लूटूथ डिवाइस लगी होती है, जो उसे एक ऐप से जोड़ती है. यह ऐप इंटरनेट से जुड़ा होने पर किसी सवाल का जवाब तलाशता है और फिर गुड़िया उसे पढ़ कर बच्चों को सुनाती है.
आरपी/एमजे (डीपीए)