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बुलेट प्रूफ जैकेट वाली मछलियां

१७ अक्टूबर २०१९

दुनिया में ताजे पानी की सबसे बड़े जलस्रोत में मिलने वाली मछलियों की सुरक्षा के लिए उनके शरीर पर प्राकृतिक रूप से "बुलेट प्रूफ जैकेट" जैसे मजबूत शल्क होते हैं. ये मछलियां इसकी मदद से पिरहाना मछली के हमलों से बच पाती हैं.

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Amazonas Arapaima Fische
तस्वीर: Reuters/D. Balibouse

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के सैन डिएगो और बेर्कले कैम्पस के रिसर्चरों ने बुधवार को इस अनोखी संरचना और इसके शानदार गुणों के बारे में जानकारी दी. इस कवच वाली मछली को पिरारुकु या अरापाइमा गिगास कहा जाता है. रिसर्चरों का कहना है कि उनकी खोज इंसानों के लिए बढ़िया कवच बनाने के साथ ही एयरोस्पेस के डिजाइन को बेहतर बनाने में भी मददगार हो सकते हैं.

Amazonas Haut eines Arapaima Fisches
तस्वीर: Reuters/B. Kelly

पिरारुकु की लंबाई 10 फीट तक होती है और इसका वजन करीब 200 किलो तक होता है. यह मछली हवा में सांस ले सकती है और पूरा एक दिन पानी के बाहर गुजार सकती है. पिरारुकु का घर ब्राजील, गुयाना और पेरू है जहां पिरहाना मछलियों का भी बसेरा है. पिरहाना मछलियों के दांत रेजर जैसी धार वाले होते हैं और इनमें काटने के लिए पर्याप्त ताकत होती है. अपना खाना जुटाने के लिए ये दूसरी मछलियों पर घातक वार करती हैं.

साथ रहने वाले जीवों में लगातार ऐसे गुणों का विकास होता रहता है जो एक दूसरे से बचने या मारने में इस्तेमाल होते हैं. शिकारी जीवों में दांत और नाखून जैसे अंगों का विकास होता है तो शिकार बनने वाले जीवों की त्वचा, भागने की रफ्तार या फिर इसी तरह की दूसरी चीजें. यह गुण कई मछलियों, डायनोसॉर और स्तनधारियों में समय समय पर दिखते रहे हैं. रिसर्चरों का कहना है कि पिरारुकु के शल्क बुलेट प्रूफ जैकेट के बेहतरीन गुणों से लैस होते हैं. हालांकि इसके तत्वों को एक ठोस आकृति में गढ़ा जा सकता है जो अभेद्य होने के साथ ही लचीला भी होगा.

Amazonas Arapaime Fische
तस्वीर: Reuters/B. Kelly

पदार्थ विज्ञानी वेन यांग ने इस रिसर्च का नेतृत्व किया है और इस बारे में मैटर नाम के जर्नल में रिपोर्ट छपी है. वेन यांग का कहना है, "मछली के शल्क जैसे हल्के और सख्त मैटीरियल पदार्थ विज्ञानियों के लिए हमेशा से ही बहुत उत्सुकता का विषय रहे हैं जिसके बारे में वो जानकारी हासिल करना चाहते हैं." वेन यांग ने यह भी कहा, "यह सच है कि यह प्राकृतिक कवच कृत्रिम कवच के जैसा ही है क्योंकि एक जैसे शल्क एक दूसरे के ऊपर होते हैं. हालांकि इस तरह की मछलियों के शल्क जैसे प्राकृतिक कवच बेहद सख्त और काफी हल्के होते हैं, यह शरीर की लचक और चाल को प्रभावित नहीं करते हैं."

रिसर्चरों ने लैबोरेट्री में इन शल्कों का परीक्षण किया. उन्होंने देखा कि शल्क की बाहरी परत खनिजों से बनी है जिसे भेदना मुश्किल है जबकि अंदरूनी हिस्सा कोलैजन से बना है. कोलैजन त्वचा में प्रोटीन संरचना और शरीर के दूसरे ऊतकों से मिल कर बनी है. इस संरचना का मतलब है कि शल्कों की आकृति पिरहाना के हमले से बिगड़ सकती है लेकिन इनमें ना तो टूट फूट होगी ना ही इन्हें भेदा जा सकता है. मतलब कि मछली सुरक्षित रहेगी.

Vietnam Vinpearl City Times Aquarium Arapaima Fisch
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L.T. Linh

यांग का कहना है, "हम यह देख सके कि किस तरह से कोलैजन के तंतु बिना किसी बड़ी नाकामी के आकृति बदल सकते हैं इसमें ऐंठन, मोड़, फैलाव, फिसलन और उधड़ना शामिल है." इस रिसर्च को अमेरिका के एयर फोर्स ऑफिस ऑफ साइंटिफिक रिसर्च ने सहयोग दिया.

एनआर/एमजे (रॉयटर्स)

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