बिन लादेन की तस्वीरों का राज
१२ फ़रवरी २०१४कानूनी संगठन ज्यूडिशियल वॉच ने अमेरिका में सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारियां मांगी, उनके जवाब में ये बातें सामने आई हैं. दस्तावेजों से पता चलता है कि एडमिरल विलियम मैकरैवेन ने सैनिक अफसरों से 13 मई, 2011 को कहा कि ओसामा बिन लादेन के मृत शरीर की कोई भी तस्वीर अगर है, तो उसे नष्ट कर दिया जाए या फिर सीआईए के हवाले कर दिया जाए. एडमिरल मैकरैवन के नेतृत्व में दो मई, 2011 को अमेरिकी सेना ने पाकिस्तान के एबटाबाद में कार्रवाई की थी. इसमें ओसामा बिन लादेन मारा गया.
अमेरिकी समाचार एजेंसी एपी का कहना है कि उसने तीन मई, 2011 को अमेरिकी सूचना के अधिकार के तहत ईमेल और दूसरे दस्तावेज मांगे थे लेकिन इसके 10 दिन बाद तस्वीरें नष्ट करने का आदेश दे दिया गया. आम तौर पर अमेरिकी कानून के तहत अगर कोई सूचना के अधिकार के तहत कोई जानकारी मांगता है, तो उससे संबंधित तथ्यों को संभाल कर रखा जाता है. हालांकि बाद में सरकार ये सूचनाएं देने से इनकार कर सकती है.
अमेरिका में दस्तावेजों को संभाल कर रखने के पक्के नियम कानून हैं. सैनिक कार्रवाइयों से जुड़े दस्तावेजों को हमेशा संरक्षित रखा जाता है और उनकी संवेदनशीलता और गंभीरता के आधार पर 25 साल बाद उन्हें राष्ट्रीय लाइब्रेरी में भेज दिया जाता है. यानि उन्हें सार्वजनिक कर दिया जाता है. हालांकि सभी दस्वातेज सार्वजनिक नहीं किए जाते.
ज्यूडिशियल वॉच को मिले ईमेल में एडमिरल मैकरैवन ने सख्त भाषा में बिना किसी अफसर का नाम लिए लिखा है, "जेन्टेलमेन, मैं एक खास चीज पर तवज्जो देना चाहता हूं और वह है तस्वीरें, खास तौर पर यूबीएल के शरीर की तस्वीरें. इसी वक्त उन्हें सीआईए के हवाले करना है और अगर अभी भी आपके पास कुछ है, तो उन्हें फौरन नष्ट कर देना है." यूबीएल का मतलब ओसामा बिन लादेन.
सीआईए के एक प्रवक्ता का कहना है कि उस कार्रवाई के दस्तावेजों को सीआईए निदेशक के नियमों के तहत संभाला गया था, "सीआईए के निदेशक के निर्देश पर एजेंसी की छापामारी जैसी कार्रवाइयों के रिकॉर्ड सीआईए के रिकॉर्ड हैं."
ज्यूडिशियल वॉच का कहना है कि उसने जो दस्तावेज हासिल किए हैं, वे बहुत अहम हैं और उनमें कानून की धज्जियां उड़ाई गई हैं और अमेरिकी लोगों की जानकारी पाने के अधिकार का भी उल्लंघन हुआ है.
एजेए/ओएसजे (एपी)