बिच्छू का एक लीटर जहर एक करोड़ डॉलर में
अपने डंक और जहर के लिये कुख्यात बिच्छू को दुनिया के कई देशों में पाला जाता है. इनके जहर से बनी दवायें कई बीमारियों के इलाज में कारगर हैं. एक लीटर बिच्छू के जहर की कीमत है एक करोड़ अमेरिकी डॉलर.
बिच्छू की ब्रीडिंग लैबोरेट्री
दक्षिण पूर्वी तुर्की का सानलिउर्फा प्रांत पुरातात्विक खोजों के लिये मशहूर है. यहीं पर बिच्छुओं की एक ब्रीडिंग लेबोरेट्री भी है जहां हजारों बिच्छू पाले जाते हैं. यहां करीब 20 हजार बिच्छू हैं. (तस्वीर में सानलिउर्फा के पुरातत्विक खोज वाली जगह)
बिच्छू के जहर का कारोबार
बिच्छुओं को पालने का एक ही मकसद है उनका जहर निकाल कर बेचना. दवा बनाने में इस्तेमाल करने के लिये इसे ऊंची कीमत पर खरीदा जाता है. यह तस्वीर मिस्र के लैबोरेट्री की है.
बिच्छुओं की कई प्रजातियां
बिच्छुओं की कई प्रजातियां हैं मसलन अफ्रीकी, एशियाई. 2021 में एक तुर्क प्रजाति का भी पता चला जिसके बारे में स्कॉर्पियोलॉजी जर्नल ने आर्टिकल छापा था. तस्वीर में दिख रहा बिच्छू अफ्रीकी प्रजाति का है.
बारीकी से निकलता है जहर
चिमटी और इसी तरह के छोटे हथियारों की मदद से बिच्छुओं को पहले उनके बक्से से बाहर निकाला जाता है ओर फिर सुइयों की मदद से उनका जहर जमा किया जाता है.
2 मिलीग्राम जहर हर दिन
इस जहर को फ्रीज में रख कर पहले जमाना पड़ता है और फिर उसे चूर्ण बना कर बेचा जाता है. एक बिच्छू आमतौर पर 2 मिलीग्राम जहर हर रोज पैदा करता है और इससे प्रयोगशाला में 2 ग्राम चूर्ण तैयार होता है.
दवाइयां और कॉस्मेटिक्स
फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी और स्विट्जरलैंड जैसे यूरोपीय देश बिच्छू के जहर के बड़े खरीदारों में है. यहां इनका इस्तेमाल कॉस्मेटिक, एंटीबायोटिक, और दर्दनिवारक दवायें बनाने में होता है.
जहर का कारोबार
सिर्फ बिच्छू ही नहीं सांप और कई दूसरे जानवर भी हैं जिनके जहर का इस्तेमाल दवाओं या फिर दूसरे कामों में होता है. इनके जहर के लिये इन्हें पाला जाता है.