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विद्रोहियों को आश्रय

८ फ़रवरी २०१४

पूर्वी यूरोपीय देशों में राजनीतिक तौर पर पीड़ित लोग अब मध्य यूरोप की जगह बाल्टिक सागर के देशों की ओर जा रहे हैं. लाटविया, लिथुआनिया और एस्टोनिया जैसे देश अब सरकार विरोधी बुद्धिजीवियों को आश्रय दे रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

चाहे बेलारुस में सरकार विरोधी हों या रूस में क्रेमलिन के आलोचक, इनके साथ साथ अब यूक्रेनी कार्यकर्ता भी बाल्टिक देशों का रुख कर रहे हैं. खास तौर से लाटविया पूर्व सोवियत संघ के देशों से सरकार विरोधी बुद्धिजीवियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.

लिथुआनिया की राष्ट्रपति दालिया ग्रिबाउस्काइते कहती हैं, "लिथुआनिया ने हमेशा से ही यूक्रेन की यूरोपीय आकांक्षाओं का समर्थन किया है और आगे भी ऐसा करता रहेगा." लिथुआनिया काफी समय से यूरोप के साथ यूक्रेन के रिश्तों को गहराने की मांग कर रहा है. हाल के विरोधी प्रदर्शनों के बाद अब यूक्रेनी विरोधियों को लिथुआनिया दवाएं पहुंचा रहा है. कुछ घायल यूक्रेनियों का इलाज लिथुआनिया की राजधानी विलनियस में हो रहा है. इनमें दिमिट्री बुलातोव भी शामिल है, जिसने यूक्रेनी सरकार पर यातना का आरोप लगाया है. कुछ दिन पहले वह बहुत ही बुरी हालत में कीव के पास पाए गए थे. उनका कहना है कि सरकार के लोगों ने उन्हें पीटा और उनके शरीर के हिस्सों को चाकू से काटा.

Dmitri Bulatow Ukraine PK 06.02.2014 in Vilnius
विलनियस में बूलातोवतस्वीर: Petras Malukas/AFP/Getty Images

1991 में लिथुआनिया सोवियत रूस से अलग हुआ. आजादी की लड़ाई में उस वक्त 14 लोग मारे गए. विलनियस विश्वविद्यालय के रामुनस विल्पीसाउसकास का मानना है कि लिथुआनिया इसलिए कीव में प्रदर्शनकारियों की मदद कर रहा है क्योंकि उसे अपनी आजादी की लड़ाई याद है. 2013 की शुरुआत में लिथुआनिया ने यूरोपीय परिषद की अध्यक्षता संभाली थी. उस वक्त उसकी सरहदों पर स्थित पूर्व सोवियत संघ के देशों पर ध्यान दिया गया.

Treffen, EU-Politiker Vinius
विलनियस में यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलनतस्वीर: picture-alliance/dpa

पिछले साल नवंबर में पूर्व सोवियत संघ के देशों को यूरोपीय संघ के करीब लाने के मकसद से यूरोपीय संघ ने एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया. ऐन वक्त पर यूक्रेन के राष्ट्रपति ने यूरोपीय संघ के साथ साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया. राष्ट्रपति यानुकोविच से नाराज लोगों ने कीव के केंद्रीय चौक पर प्रदर्शन शुरू किए जो हिंसक हो गए. अब भी यूक्रेन में विरोध जारी है और हाल के म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन का केंद्रीय मुद्दा रहा है.

यूक्रेन के अलावा विलनियस बेलारूस के विरोधियों के लिए भी गढ़ बन गया है. वहां राष्ट्रपति लूकाशेंको ने पत्रकारों पर कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं. पत्रकार नातालिया रादीना का रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी ने भी पीछा किया. वह कहती हैं, "बेलारुस में मैं हमेशा निगरानी में थी. यहां लिथुआनिया में मैं बिलकुल आजाद हूं."

एमजी/एमजे(डीपीए)