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बार्टोली ने लिया संन्यास

१५ अगस्त २०१३

इस साल विंबलडन जीतने वाली मारियॉन बार्टोली ने अचानक संन्यास लेने की घोषणा की और विश्व का सबसे महत्वपूर्ण टेनिस टूर्नामेंट जीतने के छह हफ्ते बाद ही टेनिस करियर को अलविदा कह दिया है.

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तस्वीर: Getty Images

चोटी की फ्रांसीसी स्टार ने सिनसिनाटी मास्टर्स के दूसरे राउंड में सिमोना हालेप से हारने के फौरन बाद हाल की चोटों का हवाला देते हुए यह धमाका किया. इस समय बार्टोली विश्व वरीयता क्रम में सातवें स्थान पर हैं और यह उनके करियर की सबसे ऊंची रैंकिंग है. वे सिनसिनाटी मास्टर्स में रोमानिया की 21 वर्षीया हालेप से 3-6,6-4,6-1 से हार गईं.

28 वर्षीया बार्टोली ने कहा, "अब मेरे लिए रिटायर होने और करियर को समाप्त करने का समय आ गया है. मैं महसूस करती हूं कि यह मेरे लिए जाने का समय है." यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब वे दो हफ्ते बाद न्यूयॉर्क में यूएस ओपन में हिस्सा लेने वाली थीं. बार्टोली ने कहा कि विंबलडन ने उन्हें ग्रैंड स्लैम जीतने के उनके लक्ष्य तक पहुंचने में मदद दी, लेकिन उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाला.

Wimbledon-Finale in London Marion Bartoli
विंबलडन में जीततस्वीर: REUTERS/Stefan Wermuth

"अब और बर्दाश्त नहीं"

अपने 13 साल के टेनिस करियर में 1.1 करोड़ डॉलर पुरस्कार राशि जीतने वाली बार्टोली ने कहा, "मैं लंबे समय से टेनिस खेल रही हूं, और मुझे अपने सबसे बड़े सपने को हकीकत में बदलने का मौका मिला." उन्होंने कहा, "मैं समझती हूं कि मैंने अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पूरा दमखम लगा दिया. लेकिन अब मैं और ऐसा नहीं कर सकती. साल के शुरू से मुझे कई बार चोट का सामना करना पड़ा है. मुझे लगता है कि मेरे शरीर में जितनी ऊर्जा थी, मैंने सारी खर्च कर दी है." बार्टोली ने जोड़ा, "यह (विंबलडन) मेरे साथ ताउम्र रहेगा, लेकिन मेरा शरीर अब और बर्दाश्त नहीं कर पाएगा."

साल 2000 में पेशेवर बनने वाली बार्टोली को पिछले सालों में कई बार चोट का सामना करना पड़ा है. विंबलडन की जीत के बाद उन्होंने सिर्फ तीन मैच खेले हैं. पिछले हफ्ते टोरंटो में उन्होंने एक मैच अमेरिका के लॉरीन डेविस के खिलाफ जीता लेकिन अगले ही दिन 33वीं रैंकिंग वाली माग्दालेना रिबारीकोवा से हार गईं. बार्टोली ने कहा, "मेरे पूरे शरीर में 45 मिनट- घंटे भर बाद दर्द हो रहा था. मैं काफी समय से यह बर्दाश्त कर रही हूं, शारीरिक तौर पर अब और नहीं कर सकती."

मुश्किल फैसला

पिछले कई सालों से बार्टोली फ्रांस की चोटी की टेनिस खिलाड़ी हैं. विंबलडन के अलावा उन्होंने सात दूसरे डब्ल्यूटीए टूर टाइटल्स जीते हैं. पहला टाइटल उन्होंने 2006 में ऑकलैंड में जीता था, जबकि विंबलडन से पहले उनकी अंतिम दो जीतें 2011 में इंगलैंड के इस्टबॉर्न और जापान को ओसाका में थीं. रिटायर करने की घोषणा करते हुए बार्टोली ने कहा, "यह एक मुश्किल फैसला था, मैं इसे इतनी आसानी से नहीं ले रही." बार्टोली ने बताया कि सामान्य रूप से चलना भी उनके लिए मुश्किल हो गया है. उनके कूल्हे और रीढ़ की हड्डी करीब करीब लगातार तकलीफ देती है, "मेरी एड़ी बहुत तकलीफ देती है, जिसके कारण खासकर हार्ड कोर्ट पर ऐसे मैच के बाद मैं ठीक से चल नहीं सकती."

Wimbledon-Finale in London Sabine Lisicki Marion Bartoli
विंबलडन फाइनल में जर्मनी की लिजीकी से मुकाबलातस्वीर: REUTERS/Toby Melville

मैदान पर और मैदान के बाहर अपने अजीबोगरीब बर्ताव के लिए मशहूर बर्टोली ने कहा कि उन्होंने अपने फैसले के बारे में अपने पिता और परिवार से फोन पर बात की है, "उन्हें किसी और से ज्यादा पता है कि मैंने इसके होने के लिए, सपने को हकीकत बनाने के लिए कितनी मेहनत की है. उन्हें मुझपर नाज है, मैंने जो किया है उन्हें उस पर नाज है और उन्हें पता है कि मैं और नहीं कर सकती."

पिता से मिली ट्रेनिंग

बार्टोली कभी भी आसाना रास्ता अख्तियार करने वालों में नहीं रही हैं. वह टेनिस की मुख्य धारा के बाहर पली बढ़ीं. उनके पिता वाल्टर ने, जो पेशे से डॉक्टर थे और जिनकी खेल की कोई पृष्ठभूमि नहीं थी, उन्हें ट्रेनिंग दी. उन्होंने अपनी बेटी को पेशेवर टेनिस खिलाड़ी बनाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. इस साल के शुरू में बार्टोली ने अपने पिता के साथ कोचिंग पार्टनरशिप समाप्त कर दी और उसके बाद कई कोचों के साथ काम किया. उनमें अंतिम पूर्व विश्व नंबर एक रही फ्रांसीसी एमेली मॉरेस्मो थीं. बार्टोली ने यह नहीं बताया है कि वह भविष्य में क्या करेंगी, सिर्फ इतना कहा, "मुझे विश्वास है कि कुछ न कुछ मिल जाएगा. मुझे बस व्यवस्थित होने के लिए थोड़ा समय चाहिए."

एमजे/आईबी (एएफपी)

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