बाबरी मस्जिद मामले में 20 को नोटिस
३१ मार्च २०१५भारतीय जनता पार्टी के इन नेताओें के खिलाफ दायर एक याचिका में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने का षड़यंत्र रचने के आरोप को हटाने का विरोध किया गया है. न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भी नोटिस जारी किया है. शीर्ष अदालत ने नेताओं से पूछा है कि उनके खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप फिर से क्यों ना बहाल किए जाएं. सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि—बाबरी मस्जिद विवाद मामले के मुख्य याचिकाकर्ता हाजी महबूब द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई हो रही थी. शीर्ष अदालत ने इन सभी को जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है.
हाजी महबूब के वकील ने सोमवार को मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की खंडपीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया था और इसकी त्वरित सुनवाई का अनुरोध किया था. न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई बाबरी विध्वंस मामले के साथ आज सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 20 मई 2010 को 21 आरोपियों को इस मामले में आपराधिक साजिश रचने के आरोपों से बरी कर दिया था. आरोपियों में से एक बाल ठाकरे की मौत हो चुकी है, जबकि उमा भारती इस बीच केंद्रीय मंत्री हैं और कल्याण सिंह राज्यपाल.
इसके खिलाफ सीबीआई ने नौ महीने बाद 18 फरवरी 2011 को उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की थी. हालांकि कानून के मुताबिक जांच एजेंसी को अपील तीन महीने के अंदर करनी चाहिए थी. अपील में दावा किया गया था कि सीबीआई ने इस मामले में बीजेपी नेता आडवाणी को बचाने की कोशिश की. हाजी महबूब ने इस मामले में पूर्व गृह मंत्री आडवाणी को केंद्र सरकार द्वारा पद्म विभूषण से अलंकृत किये जाने पर भी आपत्ति जताई है. उनकी दलील है कि एक व्यक्ति अगर किसी मामले में आरोपी है तो उसे यह सम्मान कैसे दिया जा सकता है.
याचिकाकर्ता हाजी ने यह भी कहा है कि अब केंद्र में भाजपा की सरकार है, ऐसे में सरकार इस मामले से जुड़े भाजपा नेताओं को बचाने की कोशिश कर सकती है. उन्होंने कहा, ''आज राजनाथ सिंह केंद्र में गृहमंत्री हैं और सीबीआई उनके तहत काम करती है. ऐसे में इस मामले को प्रभावित करने की कोशिश की जा सकती है. इस मामले में उमा भारती और कल्याण सिंह जैसे अन्य आरोपियों को भी सरकार ने बड़ा पद दे दिया है.''
एमजे/आरआर (वार्ता)