1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

बाजार में छा रही है चीनी बुलेट ट्रेन

८ जुलाई २०१४

जर्मनी के उद्यम चीन के बाजार में आसान प्रवेश की मांग कर रहे हैं तो चीनी कंपनियां यूरोपीय बाजार में सेंध लगा रही हैं. हाई स्पीड ट्रेन के निर्माता पश्चिम में उत्पाद बेच रहे हैं और इससे यूरोपीय कंपनियां प्रभावित होंगी.

https://p.dw.com/p/1CXSQ
तस्वीर: Reuters

पहले उत्पादन का गढ़ और कम तकनीकी क्वालिटी और सस्ती मजदूरी पर निर्भर उत्पादों के लिए जाना जाने वाला चीन अब बेहतरी की ओर बढ़ रहा है और उच्च तकनीकी उत्पादों का निर्यातक बनता जा रहा है. यब बदलाव हाई स्पीड ट्रेन के बाजार में भी देखा जा सकता है. जब चीन ने एक दशक पहले देश भर में हाई स्पीड रेल नेटवर्क बनाने का फैसला किया तो वहां इनके उत्पादन का कोई ढांचा नहीं था. उसे जर्मन कंपनी सीमेंस, फ्रांसीसी कंपनी आलस्ट्रोम और जापानी कंपनी कावासाकी से ट्रेन का आयात करना पड़ा.

लेकिन अब चीनी कंपनियों ने तेज गति रेलगाड़ी बनाने की तकनीक में महारत हासिल कर ली है और विदेशों में बाजार खोज कर स्थापित कंपनियों को टक्कर दे रहे हैं. चीन का साउथ लोकोमोटिव एंड रोलिंग स्टॉक कॉरपोरेशन एशिया की सबसे बड़ी ट्रेन निर्माता है. उसने हाल ही में मेसेडोनिया को छह बुलेट ट्रेन बेचने का करार किया है. रोमानिया और हंगरी जैसे देशों में उसने हाई स्पीड रेल लाइन बनाने का भी समझौता किया है. चीन एशिया और अफ्रीका के देशों में भी तेज गति रेल तकनीक बेचने की कोशिश कर रहा है.

Bildgalerie Hochgeschwindigkeitszüge China
चीन में बनी तेज रफ्तार ट्रेनतस्वीर: Reuters

खरीदार से विक्रेता

चीन की इस योजना के पीछे बहुत व्यापक निवेश भी है. उसने बुलेट ट्रेन के घरेलू ढांचे के निर्माण पर अब तक 50 करोड़ डॉलर खर्च किया है. हालांकि घूसखोरी के आरोपों और 2011 में बड़ी दुर्घटना के कारण इसकी गति धीमी हुई थी, लेकिन अब वह फिर से जोर पकड़ रहा है. आधुनिक रेल ढांचे के निर्माण की योजना के तहत उसने देश भर में 11,000 किलोमीटर हाई स्पीड रेल लाइन बिछाई है. पहले उसने विदेशी कंपनियों से ट्रेन और संबंधित तकनीक खरीदी लेकिन इस बीच चीनी इंजीनियर 350 से 400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली गाड़ियां बना रहे हैं.

हालांकि चीन पर विदेशी तकनीकी की चोरी का आरोप लगाया जाता है लेकिन चीन इसे पुनर्आविष्कार का नाम देता है. विदेशी मामलों के लिए यूरोपीय परिषद के चीन विशेषज्ञ थोमस कोएनिष कहते है कि संयुक्त उद्यम के जरिए विदेशी तकनीक पाना "विश्व भर में मान्य प्रथा है और मुझे शक है कि यह कोई विशिष्ट चीनी रवैया है." इतना ही नहीं घरेलू उत्पादन बढ़ाने से उत्पादन का खर्च घटा है जिसकी वजह से चीनी कंपनियां जर्मनी और फ्रांस के प्रतिस्पर्धियों से बेहतर स्थिति में हो गए हैं.

प्रतिस्पर्धा के मौके

प्रतिस्पर्धा का मामला सिर्फ ट्रेन के बाजार तक सीमित नहीं. यूरोपीय संघ के सुरक्षा शोध संस्थान की एशिया एक्सपर्ट निकोला कासारिनी कहती हैं, "जैसे जैसे चीनी उत्पाद यूरोपीय उत्पादों से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, यूरोप चीन से पिछड़ रहा है." विश्लेषकों का कहना है कि सीमेंस जैसी कंपनियों की तुलना में चीन की सरकारी रेल कंपनियों को निवेश की गारंटी का फायदा है. कोएनिष कहते हैं कि चीन ने बाजार की संभावना को काफी पहले पहचान लिया है और उसका फायदा उठा रहा है.

Bildergalerie Hochgeschwindigkeitszüge China CRH3
पश्चिम में ऐसी ट्रेनों का बड़ा बाजारतस्वीर: picture-alliance/dpa

उभरते बाजारों में तेजी से बढ़ती आबादी और लोगों के शहरों में जाने की वजह से हाई स्पीड ट्रेनों की मांग अगले दो दशकों में और बढ़ेगी. भारत, रूस और ब्राजील जैसे देश अपनी तेज गति रेल परियोजनाओं पर बहस कर रहे हैं. भारत सरकार भी इस तरह की परियोजना पर काम कर रही है. विकसित देशों में जहां तकनीकी और सुरक्षा के अच्छे रिकॉर्ड रहे हैं, यूरोपीय कंपनियों को बाजार में बड़ा हिस्सा मिलता रहेगा. लेकिन चीन की कंपनियां विकासशील देशों में महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धी बन जाएंगी.

आर्थिक विश्लेषक राजीव विश्वास कहते हैं, "यूरोपीय कंपनियों के पास चीन से प्रतिस्पर्धा के भरपूर मौके होंगे यदि वे उत्पादन खर्च, तकनीक और वित्त जैसे मुख्य इलाकों में प्रभावी तरीके से रणनीति बना पाते हैं." यूरोपीय कंपनियों को विकासशील देशों में सहयोगी कंपनियों के साथ साझा उद्यम बनाने जैसे कदम उठाने होंगे ताकि उत्पादन का खर्च घटाया जा सके.

रिपोर्ट: श्रीनिवास मजुमदारू/एमजे

संपादन: अनवर जे अशरफ