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बाइडेन का यूक्रेन को मदद का वादा

२२ अप्रैल २०१४

अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को अपने देश की सहायता का आश्वासन दिया है. उन्होंने कीव में राष्ट्रपति ओलेक्जांडर तुर्चिनोव से भेंट की. उधर रूस और अमेरिका के बीच जेनेवा समझौते पर अमल को लेकर विवाद छिड़ गया है.

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बाइडेन और तुर्चिनोवतस्वीर: Reuters

यूक्रेन की अंतरिम सरकार के साथ एकजुटता दिखाने के लिए कीव पहुंचे बाइडेन ने मंगलवार को सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका यूक्रेनी अर्थव्यवस्था की मदद को तैयार है. साथ ही उन्होंने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की अपील की. बाइडेन ने कहा कि उनकी सरकार यूक्रेनी नेतृत्व की एक संयुक्त देश के पुनर्निर्माण में मदद करना चाहती है. बाइडेन ने 25 मई को होने वाले राष्ट्रपति चुनावों को देश के इतिहास के लिए अहम बताया.

जो बाइडेन का यूक्रेन दौरा कीव के लिए अमेरिकी समर्थन का सांकेतिक प्रदर्शन है. वे यूक्रेन संकट की शुरुआत के बाद कीव जाने वाले सर्वोच्च अमेरिकी अधिकारी हैं. यह दौरा ऐसे समय हुआ जब अमेरिका और रूस ने एक दूसरे पर यूक्रेन संकट के हल के लिए की गई जेनेवा संधि को तोड़ने के आरोप लगाए हैं. यूक्रेन, रूस, अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच हुई संधि के अनुसार पूर्वी यूक्रेन में सरकारी इमारतों पर कब्जा जमाए रूस समर्थक विद्रोहियों को हथियार सौंपना था.

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पूर्वी यूक्रेन में संकटतस्वीर: AFP/Getty Images

इस समझौते का मकसद पूर्वी यूक्रेन के अलावा अमेरिका और रूस के बीच शीत युद्ध के बाद सबसे गंभीर विवाद को भी सुलझाना था. वाशिंगटन का कहना है कि रूस यूक्रेनी अलगाववादियों का समर्थन कर रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने मॉस्को से रूस समर्थक अलगाववादियों पर दबाव डालने की मांग की है. इसके विपरीत रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव वाशिंगटन से यूक्रेनी सरकार पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने की मांग की है. रूस का आरोप है कि वह जेनेवा डील का हनन कर रहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चेतावनी दी है कि यदि जेनेवा समझौते पर फौरन अमल नहीं होता है तो पश्चिमी देश रूस के खिलाफ और प्रतिबंध लगाएंगे. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्नी ने कहा, "यदि आने वाले दिनों में प्रगति नहीं होती तो हम और खर्च डालेंगे." यूक्रेनी सरकार पर समझौता तोड़ने का आरोप लगाते हुए लावरोव ने कहा, "रूस को अलग थलग करने की कोशिश का कोई भविष्य नहीं है." उन्होंने कहा कि रूस महाशक्ति है, स्वतंत्र है और उसे पता है कि उसे क्या चाहिए.

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जॉन केरी और सेर्गेई लावरोवतस्वीर: Reuters

यूक्रेन में रूस समर्थक राष्ट्रपति को हटाए जाने के बाद पिछले महीने क्रीमिया में जनमत संग्रह करा कर उसे रूस में मिला लिया गया. पश्चिमी देशों के अनुसार उसने यूक्रेन की सीमा पर 40,000 सैनिकों को तैनात कर रखा है. इसके जवाब में अमेरिका और नाटो ने पूर्वी यूरोप में अपनी टुकड़ियों में इजाफा किया है. ओबामा सरकार रूस को झुकाने के लिए सैनिक कार्रवाई के बदले प्रतिबंधों का समर्थन कर रही है. जबकि कुछ यूरोपीय देशों को डर है कि प्रतिबंध रूस के बदले उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं.

इधर जर्मन सरकार ने भी रूस को जेनेवा समझौते पर अमल करने को कहा है. जर्मन सरकार के रूस में दूत गैर्नोट ऐर्लर का कहना है, "अब तक दोनों ही पक्षों में समझौते को सचमुच लागू करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं दिखते." उन्होंने कहा कि हथियार सौंपना और हिंसा का त्याग सभी भागीदारों के लिए लागू होता है. उन्होंने कहा कि दोनों ही पक्षों को इसमें योगदान देना होगा कि जेनेवा समझौता मूल्यहीन न हो जाए.

पिछले गुरुवार को जेनेवा में यूक्रेन, रूस, अमेरिका और यूरोपीय संघ की बैठक में पूर्वी यूक्रेन के विवाद को सुलझाने के कदम तय किए गए थे. इसमें अवैध हथियारबंद गुटों से हथियार लेना, कब्जे वाली सरकारी इमारतों को खाली करना और विद्रोहियों को क्षमादान शामिल है. लेकिन समझौते के बाद ही से राजधानी कीव में यूरोप समर्थक कार्यकर्ता और पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थक विद्रोही मांग कर रहे हैं कि दूसरा पक्ष पहल करे.

एमजे/एजेए (रॉयटर्स, एएफपी)