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बहस में शुल्त्स पर भारी पड़ीं मैर्केल

४ सितम्बर २०१७

जर्मनी में इस महीने होने जा रहे आम चुनाव से पहले चांसलर अंगेला मैर्केल और उनके प्रतिद्वंद्वी मार्टिन शुल्त्स के बीच टीवी पर बहस हुई. बताया जा रहा है कि इस दौरान मैर्केल दर्शकों को ज्यादा विश्वनीय लगीं.

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TV-Duell Angela Merkel und Martin Schulz
तस्वीर: picture alliance/Dpa/dpa

जर्मनी में 24 सितंबर को आम चुनाव होंगे. इस चुनाव में एसपीडी की तरफ से मार्टिन शुल्त्स को चांसलर पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है. रविवार की शाम को दोनों के बीच टीवी पर हुई बहस पर सबकी नजरें टिकी थीं. लेकिन दर्शकों के मुताबिक इस दौरान, अगले चार साल जर्मनी का नेतृत्व करने के लिए मैर्केल शुल्त्स के मुकाबले कहीं ज्यादा भरोसमंद दिखीं.

जर्मनी के सरकारी टीवी चैनल एआरडी के सर्वे में हिस्सा लेने वाले 49 प्रतिशत लोगों का कहना है कि बहस के दौरान उन्हें मैर्केल की कहीं बातें ज्यादा मुनासिब लगीं. वहीं सोशल डेमोक्रैट्स शुल्त्स को बहस के दौरान पसंद करने वालों की तादाद 29 प्रतिशत बतायी जाती है.

सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा लोगों ने कहा कि बहस में मैर्केल का प्रदर्शन शुल्त्स के मुकाबले बेहतर रहा. 90 मिनट तक चली बहस में दोनों नेताओं ने घरेलू राजनीति, पेंशन और आप्रवासन से लेकर विदेश नीति और विश्व राजनीति समेत कई मुद्दों पर अपनी राय सामने रखी.

बहस की शुरुआत आप्रवासन के मुद्दे से हुई और मैर्केल 2015 में लाखों शरणार्थियों के लिए जर्मनी के दरवाजे खोलने की अपनी नीति का समर्थन करती हुई दिखायी दीं. उन्होंने इसे बिल्कुल सही फैसला बताया. इस मुद्दे पर शुत्ल्स भी मैर्केल से सहमत दिखें लेकिन उन्होंने इस मुद्दे से निपटने के तौर तरीकों की आलोचना की.

शुल्त्स ने कहा कि इस मु्द्दे पर अगर यूरोपीय पड़ोसियों को शामिल किया जाता तो बेहतर होता. इसके जवाब में मैर्केल ने कहा कि हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने साफ कह दिया कि वह इस बारे में सहयोग नहीं करेंगे. मैर्केल ने कहा, "स्थिति बहुत ही नाटकीय थी. एक चांसलर की जिंदगी में ऐसा समय आता है, जब उसे फैसला करना होता है."

जर्मनी की भावी आप्रवासन नीति क्या हो, इस मुद्दे पर दोनों नेताओं की राय अलग अलग देखने को मिली. शुल्त्स इस बारे में जहां पूरे यूरोप के लिए एक नियम बनाने की पैरवी करते दिखे, वहीं मैर्केल ने कहा कि जर्मनी को दक्ष और योग्य आप्रवासियों की जरूरत है.

तुर्की के साथ जर्मनी के तनावपूर्ण रिश्तों का मुद्दा भी बहस के दौरान उठा. मैर्केल ने कहा कि वह तुर्की को यूरोपीय संघ में शामिल करने के बारे में वार्ता को खत्म करने के हक में हैं. मैर्केल ने कहा, "यह साफ है कि तुर्की को यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं बनना चाहिए." इससे पहले शुल्त्स ने भी इसी तरह की बात कही. मैर्केल ने कहा कि तुर्की की सदस्यता को लेकर वार्ता खत्म करने के बारे में वह यूरोपीय साझीदारों से बात करेंगी.

बहस के दौरान विदेश नीति से जुड़े विषयों में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उत्तर कोरिया का जिक्र खास तौर से आया. शुल्त्स ने उत्तर कोरिया से निपटने की ट्रंप की क्षमता पर सवाल उठाया. मैर्केल ने कहा कि उन्होंने उत्तर कोरिया की तरफ से पैदा खतरे पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मांक्रों के साथ बात की है और इस बारे में वह ट्रंप के अलावा रूस, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के नेताओं से भी बात करेंगी. 

विदेश नीति के मुद्दे पर दोनों नेताओं के बीच मतभेद ज्यादा नहीं दिखा, लेकिन बहस के दौरान शुल्त्स ने खुद को सामाजिक न्याय के पैरोकार के रूप में पेश किया. उन्होंने कहा कि जर्मनी साफ तौर पर एक समृद्ध देश है लेकिन समाज के कई हिस्सों को उसका फायदा नहीं मिल रहा है जिनमें सिंगल पेरेंट्स, रिटायर्ड और लंबे समय से बेरोजगार लोग शामिल हैं. 

वहीं मैर्केल ने रोजगार को लेकर अपने रिकॉर्ड का बचाव किया. बतौर चांसलर अपने 12 सालों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बेरोजगारों की संख्या 50 लाख से घटकर 25 लाख रह गयी है. चांसलर ने शुल्त्स के इस दावे को भी खारिज किया कि उनकी पार्टी रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर 70 करना चाहती है. मैर्केल ने कहा कि उनके रहते निश्चित तौर पर ऐसा नहीं होगा. शुत्ल्स ने उनके इस रुख की तुरंत ही तारीफ करते हुए कहा, "बहुत ही स्पष्ट रुख."

एके/एनआर (डीपीए, रॉयटर्स)