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बलात्कार पर उबला पाकिस्तान

१८ सितम्बर २०१३

पाकिस्तान में पांच साल की एक बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद भारी कोलाहल मचा है. आम लोगों के साथ बच्चे भी विरोध जताने और न्याय की मांग करने सड़कों पर उतरे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

पाकिस्तान की सांस्कृतिक राजधानी लाहौर मासूम सी बच्ची के साथ दरिंदगी से उबल रही है. ठीक वैसे ही जैसे बीते नवंबर में 23 साल की लड़की से चलती बस में बलात्कार और क्रूरता की हदें लांघती हरकतों के बाद दिल्ली उबली थी. लाहौर, इस्लामबाद, कराची समेत पाकिस्तान के पूरे हिस्से में लोग विरोध जताने और न्याय मांगने सड़कों पर उतरे हैं.

पूरे देश में विरोध प्रदर्शन

इस बीच सोशल मीडिया पर भी लोगों का आक्रोश देखा जा सकता है. बलात्कार की घटनाएं पाकिस्तान में पहले भी देखी गयी हैं, लेकिन अब तक ऐसी घटना पर लोगों का सड़कों पर निकल कर विरोध नहीं देखा गया था. महिलाओं के साथ बराबरी का व्यवहार न करने की छवि रखने वाले पाकिस्तान में बलात्कार पर लोगों के जहन में सबसे मजबूत तस्वीर मुख्तार माई की आती है, जिनके साथ 2002 में सामूहिक बलात्कार हुआ. हालांकि दोषियों को सजा नहीं मिली. अप्रैल 2011 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के पांच आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले पर मुहर लगाई. महिलाओं के मामले में समाज और सरकार का दोहरा रवैया ही अब तक सामने आता रहा है.

महिलाओं के अधिकार के लिए काम करने वाले संगठन औरत फाउंडेशन के प्रमुख नईम मिर्जा मानते हैं कि यौन अपराध पर अब तक जुबान खोलने से बचता रहा पाकिस्तान इस घटना से हिल गया है. डीडब्ल्यू से बातचीत में मिर्जा ने कहा, "इस बार लोग खुल कर इस बारे में सकारात्मक रूप से बात कर रहे हैं. लोग चाहते हैं कि ऐसे अपराध बंद हों. पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. खासतौर से पेशावर, लाहौर, कराची और इस्लामबाद जैसे बड़े शहरों में. घटना जिस जगह की है वहां तो बहुत बड़ी तादाद में लोग विरोध जताने निकले हैं. इनमें छात्र, घरेलू औरतें, सांसद और हर तरह के लोग हैं जो इस नृशंस घटना से हैरान और गुस्से में हैं."

Mukhtar Mai
2011 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार माई के बलात्कार के पांच आरोपियों को बरी किया.तस्वीर: Fabrice Coffrini/AFP/Getty Images

क्राइम सेल बेअसर

पीड़ित लड़की बेहद गरीब तबके से आती है. शुक्रवार की शाम बलात्कार के बाद उसे अस्पताल के बाहर फेंक दिया गया. डॉक्टरों के मुताबिक मासूम बच्ची के साथ कई बार बलात्कार किया गया. यह घटना सीसीटीवी फुटेज में दर्ज हुई है. बावजूद इसके अब तक पुलिस किसी भी दोषी तक नहीं पहुंच सकी है.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जुल्फिकार हमीद ने बताया कि कई संदिग्धों से पूछताछ की गई है, लेकिन अब तक किसी को पकड़ा नहीं गया है. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वतः संज्ञान लिया है और सरकार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बनाया है. फिर भी कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा. नईम मिर्जा ने इसे सरकारी संस्थाओं की कमजोरी भी माना है. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में महिलाओं से जुड़े अपराधों के लिए 2006 में ही अलग से जेंडर क्राइम सेल बनाई गई लेकिन यह अब भी बेकार है. मिर्जा ने कहा, "जेंडर क्राइम सेल राष्ट्रीय पुलिस के तहत बनी, इसे काफी अधिकार और संसाधन भी दिए गए लेकिन व्यवहारिक रूप में यह बेअसर है और इसके ज्यादातर पद खाली पड़े हैं."

Pakistan Proteste Vergewaltigung 14.09.2013 in Lahore
पेशावर, लाहौर, कराची और इस्लामबाद जैसे बड़े शहरों समेत पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.तस्वीर: picture-alliance/dpa

पूरे समाज का दोष

विरोध के लिए आम लोगों के साथ ही सामाजिक संगठन और मीडिया भी पूरी सक्रियता से सामने आए हैं. खासतौर से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बहुत आक्रामक हो कर इस घटना की रिपोर्टिंग कर रहा है. इसी जोश में कुछ गलतियां भी हुई हैं.

बेहद गरीब तबके से आने वाली पीड़ित बच्ची और उसके परिवार वालों की पहचान छुपाने की याद किसी को नहीं रही. पाकिस्तान के एक प्रमुख टीवी चैनल एआरवाई के कार्यकारी निदेशक ओवैस तौहीद का कहना है, "इस पर बहस हो रही है कि लड़की की पहचान छिपाई जानी चाहिए थी, लेकिन यह भी सच है कि मीडिया ने इस घटना को पूरे पाकिस्तान में जोरशोर से दिखाया है. पीड़ित लड़की पूरे देश में न्याय की मांग का प्रतीक बन कर उभरी है. हम यह भी कहने की कोशिश कर रहे हैं कि दोष पीड़ित लड़की का नहीं बल्कि पूरे समाज का है."

पिछले कुछ महीनों में भारत में भी बलात्कार को लेकर बहस बहुत तेज रही है. पिछले हफ्ते ही दिल्ली सामूहिक बलात्कार की घटना के दोषियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. शायद इस घटना का भी कुछ असर पाकिस्तान पर हुआ हो. हालांकि एक दो घटनाओं को छोड़ दें तो ज्यादातर मामले या तो अदालत तक पहुंचते ही नहीं या फिर वहीं अटके रहते हैं.

रिपोर्टः बीनिश जावेद/एन रंजन

संपादनः ईशा भाटिया

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