बर्लिनाले फिल्म फेस्टिवल की झलक
फिल्म फेस्टिवल की बात आती है, तो दुनिया में ये पांच नाम सबसे ज्यादा मशहूर हैं, वेनिस, कान, टोरंटो, सनडैंस और बर्लिनाले. बर्लिनाले की खास बात यह है कि बाकियों से अलग यहां ग्लैमर पर कम और कला पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है.
65 साल से
बर्लिनाले का आयोजन पिछले 65 साल से हो रहा है. दस दिन तक चलने वाले इस फिल्म महोत्सव में 124 देशों से 20,000 से भी ज्यादा लोग पहुंचते हैं. इनमें से करीब चार हजार देश विदेश के पत्रकार हैं. बर्लिनाले में आपको चारों तरफ भीड़ ही भीड़ देखने को मिलेगी, खास कर शनिवार और रविवार को जब दफ्तरों की छुट्टी होती है.
बर्लिनाले पालास्ट
बर्लिन के पॉट्सडामर प्लाट्स पर बर्लिनाले का आयोजन होता है. मुख्य फिल्में यहां बर्लिनाले पालास्ट यानि बर्लिनाले पैलेस में दिखाई जाती हैं. इसके अलावा आसपास कई और सिनेमा हॉल और मल्टीप्लेक्स हैं जिनमें दिन रात फिल्में चलती रहती हैं.
1754 सीटों वाला
बर्लिनाले पालास्ट ही वह जगह है जहां सितारे अपनी फिल्मों का प्रीमियर देखते हैं. लाल कालीन ना केवल सिनेमा हॉल के बाहर बिछा है, बल्कि अंदर पूरे हॉल में लगा है. साथ ही ये लाल सीटें एक खास अनुभव देती हैं. 1754 सीटों के साथ यह जर्मनी के सबसे बड़े फिल्म हॉल की सूची में शामिल है.
रेड कार्पेट पर
हांड़ कंपा देने वाली सर्दी में जहां पत्रकार और दर्शक जैकेट, ओवरकोट, मफलर, टोपी और दस्ताने लगा कर खड़े होते हैं, वहीं रेड कार्पेट पर चलने वाली हस्तियां खूबसूरत दिखने के लिए गाउन पहनने से परहेज नहीं करतीं. इस बार रेड कार्पेट पर निकोल किडमैन ने सबका दिल जीता.
टिकट की लाइन
पिछले साल बर्लिनाले में तीन लाख से ज्यादा टिकटें बिकीं. एक टिकट की कीमत औसतन दस यूरो है. अधिकतर लोग ऑनलाइन टिकट खरीदना पसंद करते हैं. कई फिल्में तो ऐसी भी हैं, जिनकी टिकटें आधे घंटे के अंदर ही खत्म हो जाती हैं. नागेश कुकुनूर की नई फिल्म धनक के साथ भी ऐसा ही हुआ.
सड़क के बीचोबीच लॉरिएल
कार निर्माता कंपनी ऑडी और मेकअप ब्रैंड लॉरिएल इस साल बर्लिनाले के मुख्य स्पॉन्सर हैं. सड़क के बीचोबीच लॉरिएल ने यह मेकअप रूम बनाया है. दिन भर किसी ना किसी हस्ती को यहां तैयार होते देखा जा सकता है. लेकिन बर्लिन वाले किसी को भी बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं देते. इसीलिए इस क्यूब के आसपास भीड़ जमा नहीं होती.
बर्लिन का स्ट्रीट फूड
बर्लिन अपनी जिंदादिली और स्ट्रीट फूड के लिए जाना जाता है. कुछ हद तक यह शहर दिल्ली की भी याद दिलाता है. बर्लिनाले पहुंचे लोगों के लिए खास स्ट्रीट फूड का इंतजाम किया गया है. बर्लिन के मशहूर करी वुर्स्ट के अलावा यहां बर्गर, मोमो, पैटी और नूडल भी मिल रहे हैं. सर्दी के मौसम में गर्मागर्म खाने से कुछ राहत तो मिलती ही है.
दूरदर्शन का निशान?
जी नहीं, यह दूरदर्शन का निशान नहीं है. बर्लिनाले पालास्ट के ठीक बगल में बना यह एक कसीनो है. यहां लोग पोकर खेलने आते हैं. निशान की प्रेरणा है चीन के यिन और यांग. इन्हीं पर दूरदर्शन का लोगो भी आधारित है. अकसर यिन और यांग को सफेद और काले रंगों से दर्शाया जाता है और ये जीवन के अच्छे और बुरे पहलुओं का प्रतीक हैं.
चारों तरफ रोशनी
पॉट्सडामर प्लाट्स पर पहुंचते ही पता चल जाता है कि यहां फिल्मों का मेला लगा है. चारों तरफ बिखरी रोशनी लोगों का मन जीतती है. पेड़ों पर कभी नीली रोशनी चमकती है तो कभी लाल. कभी लगता है जैसे पेड़ों पर तारे टिमटिमा रहे हैं, तो कभी यूं भी लगता है जैसे वे टूट कर जमीन पर गिर रहे हों.
दस दिन
फिल्मों का यह मेला 5 से 15 फरवरी तक राजधानी बर्लिन में चलेगा. भारत की ओर से निर्माता, निर्देशक किरण राव यहां पहुंची हैं और डोर और इकबाल जैसी फिल्मों के लिए मशहूर नागेश कुकुनूर अपनी नयी फिल्म धनक लेकर यहां आए हैं.