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महिलाओं के खतना की घटनाएं बढ़ीं

५ फ़रवरी २०१६

महिलाओं का खतना कई देशों में नई बात नहीं है. यूनीसेफ की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में जितना अनुमान लगाया गया था उससे 7 करोड़ ज्यादा महिलाएं इसकी चपेट में हैं. इंडोनेशिया की आधी महिलाएं इससे प्रभावित पाई गईं.

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तस्वीर: Reuters/S. Modola

यूनीसेफ की ताजा रिपोर्ट 90 देशों में किए गए सर्वे पर आधारित है. महिलाओं के जननांगों की विकृति के मामले तीन देशों में सबसे ज्यादा आम हैं. दुनिया भर में होने वाले महिलाओं के खतना के आधे मामले मिस्र, इथियोपिया और इंडोनेशिया में पाए गए. इंडोनेशिया ऐसा देश पाया गया जहां आधे से ज्यादा महिलाओं को इससे गुजरना पड़ा है. दुनिया भर इससे प्रभावित करीब 4.4 करोड़ लड़कियां 14 साल से कम उम्र की हैं. यूनीसेफ की उप कार्यकारी निदेशक गीता राव गुप्ता मानती हैं, "हर मामले में महिलाओं के जननांगों की विकृति महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का उल्लंघन है." उनके मुताबिक इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए इसकी गंभीरता को निर्धारित करना बेहद जरूरी है.

इंडोनेशिया में महिलाओं के जननांगों की विकृति के बारे में सुनी सुनाई जानकारी पहले से थी लेकिन इसका स्तर कितना गंभीर है यह एक ताजा रिपोर्ट में सामने आया. यूनाइटेड नेशंस चिलंड्रेंस फंड के मुताबिक इंडोनेशियाई सरकार के राष्ट्रीय सर्वे डाटा से पता चलता है कि करीब 6 करोड़ महिलाओं के जननांगों को विकृत किया जा चुका है. दुनिया भर में खतना से प्रभावित महिलाओं की संख्या 13 करोड़ से बढ़कर 20 करोड़ होने में इंडोनेशिया के मामलों का बड़ा हाथ है.

गांबिया में लगी रोक

गांबिया के कानून निर्माताओं ने एक ताजा बिल में महिलाओं के खतना को गैर कानूनी ठहराते हुए ऐसा करने वालों पर तीन साल तक की सजा देने का फैसला किया है. संसद ने बहुमत से महिलाओं के खतना की प्रथा पर रोक लगा दिया. इससे करीब महीना भर पहले राष्ट्रपति याह्या जमेह ने इस प्रथा को रूढ़िवादी बताते हुए महिलाओे के खतना को तुरंत बंद किए जाने का आदेश दिया था. उम्मीद की जा रही है कि महिलाओं के स्वास्थ्य और जीवन के लिए खतरा बनी इस कुप्रथा को प्रतिबंधित करने वाला कानून महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा.

महिलाओं का खतना गांबिया के अलावा अनेक अफ्रीकी देशों और मध्यपूर्व के कुछ हिस्सों में आम प्रचलन में है. इसे लड़कियों के वयस्क होने की प्रक्रिया का प्रतीक माना जाता है. दूसरी ओर खतना के विरोधी इसे महिलाओं को यौनसंबंध के सुख से दूर रखने की कोशिश बताते हैं. लड़कों की ही तरह उनका खतना आमतौर पर कच्ची उम्र में ही कर दिया जाता है. पिछड़े इलाकों में खतने के लिए इस्तेमाल होने वाले ब्लेड या छुरी से उनके स्वास्थ्य को अक्सर गंभीर समस्याएं हो जाती हैं. संक्रमण, अत्यधिक रक्त स्राव, बांझपन और बच्चे के जन्म में कठिनाई हो सकती है.

जमेह ने नवंबर 2015 में कहा कि इस्लाम महिलाओं के खतना की बात नहीं करता. देश की 18 लाख आबादी में 95 फीसदी मुसलमान हैं. जमेह ने हाल में गांबिया को इस्लामिक देश भी घोषित किया. संसद में इस मुद्दे पर मतदान से पहले इस बारे में कोई विशेष कानून मौजूद ही था. ये मामले गंभीर शारीरिक क्षति के लिए मौजूदा दंड संहिता पर निर्भर थे. महिलाओं के खतना को अंजाम देने या इस घटना के आयोजन में लिप्त होने पर तीन साल तक की सजा और 1300 डॉलर के जुर्माने की सजा हो सकती है. संयुक्त राष्ट्र चिल्ड्रेंस फंड के मुताबिक गांबिया की करीब तीन चौथाई महिलाएं इससे प्रभावित हैं.

एसएफ/एमजे (डीपीए, एफपी)