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बढ़ती आबादी के बीच पर्यावरण रक्षा

२४ फ़रवरी २०१६

दक्षिण अमेरिकी देश कोलंबिया जैव विविधता के मामले में दुनिया के सबसे अहम देशों में गिना जाता है. यहां खास कर परिंदों की सबसे ज्यादा प्रजातियां देखने को मिलती हैं. लेकिन उन्हें बचाना बड़ी चुनौती है.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/J. J. Horta

कोलंबिया के लोस कोलोराडोस नेशनल पार्क के 2500 एकड़ के इलाके में परिंदों की 280 प्रजातियां रहती हैं. लेकिन जैसे जैसे शहर बढ़ रहे हैं, सड़कें बन रही हैं, पेड़ कट रहे हैं, ये परिंदे और जंगली जानवर समझ नहीं पा रहे कि वो जाएं कहां. उनके जीवन का आधार धीरे धीरे सिमट रहा है. नेशनल पार्क के ठीक बाहर इंसानी आबादी बढ़ रही है. लोगों के पास भी इसके अलावा और कोई चारा नहीं है. लुइस ऑर्तेगा पार्क के अंदर घर बना रहे हैं, जबकि उन्हें पता है कि यह गैरकानूनी है. लेकिन शहर में जमीन कम और महंगी भी है. वे कहते हैं, "मैं यहां घर बना रहा हूं ताकि मेरे बच्चों को भी कल एक भविष्य मिले. मेरे तीन बच्चे हैं, बीवी है, साली है, बड़ा परिवार है. मैं अपने परिवार के लिए अच्छा कल चाहता हूं."

पांच दशकों से कोलंबिया में सरकारी सुरक्षा बलों, ड्रग तस्करों, वामपंथियों और दक्षिणपंथी हथियारबंद गुटों के बीच खूनी संघर्ष हो रहा था. लुइस का परिवार हिंसा से बचने के लिए घर से भाग गया. उसे खुशी है कि परिवार को अब नया बसेरा मिला है. यहां उन्हें सुरक्षा का अहसास मिला है, "हमारे लिए यह सुरक्षित जगह है, पहाड़ों से ज्यादा सुरक्षित. यहां हम गांव के करीब है, और कम से कम अपने को सुरक्षित महसूस करते हैं."

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भीतरी संघर्ष में उलझा कोलंबियातस्वीर: picture-alliance/dpa/D.Blanco

इलाके में नेशनल पार्क के अधिकारी नियमित रूप से गश्त लगाते हैं. लेकिन उनका मकसद यहां रहने वाले लोगों को उजाड़ना नहीं है. दूसरी ओर अच्छा घर मिल जाए तो लुइस ऑर्तेगा को भी कहीं और बसने में कोई परेशानी नहीं है. लेकिन उनके पास कहीं और खुद घर बनाने के लिए धन नहीं है. नेशनल पार्क की रक्षा करने वाले पर्यावरण संरक्षकों के सामने सवाल है कि कौन ज्यादा अहम है, इंसान या पशु. लोस कोलोराडोस नेशनल पार्क के खोर्गे फेरर कहते हैं, "हमारे लिए सचमुच दुविधा है. इसलिए हम इन लोगों के साथ मिलकर हल तलाशने की कोशिश करते हैं. हम लोगों को यह समझाने की कोशिश भी कर रहे हैं कि पर्यावरण की रक्षा कितनी जरूरी है."

इसलिए नेशनल पार्क के कर्मचारी एक और दीर्घकालीन योजना पर भी काम कर रहे हैं. वह है लोगों को शिक्षित करने का अभियान. यहां शहर के किशोर भी आते हैं, देखने के लिए कि नेशनल पार्क की रक्षा कैसे की जा रही है. लोगों और पर्यावरण की जरूरतों में सामंजस्य कैसे बिठाया जा रहा है. स्कूली बच्चों में कुछ पार्क में बनी बस्ती में रहते हैं. पहले यहां एक घाटी थी, मालीबू जनजाति के लोग इसका इस्तेमाल प्रार्थना के लिए करते थे. उनके लिए प्रकृति पावन थी.

कुछ साल पहले यहां जंगलों में रहने वाली मालीबू जनजाति के लोगों के लिए सभी जानवर बंधुओं जैसे थे. तेंदुआ उनके लिए भगवान सा था. और इस भगवान की पूजा वे पत्थरों पर बने निशानों वाले प्रतीक के साथ करते हैं. नेशनल पार्क अधिकारी खोर्गे फेरर बताते हैं कि वे प्राचीन परंपराओं को फिर से जिंदा करना चाहते हैं. "हम इसे यहां फिर से विकसित करना चाहते हैं, और किशोरों को दिखाना चाहते हैं कि प्रकृति का पहले कितना महत्व था. ताकि वे भी अपने पूर्वजों की तरह इसका मूल्य समझें.

पहली बार स्कूली बच्चे अपनी सांस्कृतिक विरासत का परिचय पा रहे हैं. नेशनल पार्क के अधिकारी अपने प्रयासों से बच्चों को पर्यावरण सुरक्षा के लिए प्रेरित कर रहे हैं. खेल खेल में ये किशोर पार्क में मौजूद प्रतीकों और जीव जंतुओं के बारे में सीखते हैं. जंगल और परंपराओं के बारे में उनके पास जितनी अधिक जानकारी रहेगी उनका महत्व भी उतना ही ज्यादा होगा. लेकिन समय के प्रवाह में बहुत कुछ खो भी गया है. मसलन अब यहां तेंदुए नहीं होते. लेकिन उनके सम्मान में यहां जैगुआर फेस्टिवल का आयोजन जरूर होता है. साल में एक बार यहां प्रकृति का जश्न मनाया जाता है.

रूथ क्राउजे/एमजे