बच्चों के दिमाग को मोबाइल से खतरा
२१ मई २०१४ज्ञान, किशोरावस्था और मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर आधारित 'स्कैंप' नाम के इस प्रोजेक्ट में उनकी याद्दाश्त और ध्यान जैसी बातों पर गौर किया जाएगा. देखा जाएगा कि किशोरावस्था में इनका किस तरह विकास होता है. यह ठीक वही समय है, जब किशोर मोबाइल फोन और इसके जैसे अन्य वायरलेस उपकरण इस्तेमाल करना शुरू करते हैं.
कैंसर का खतरा
इस बात के अब तक कोई पुख्ता प्रमाण नहीं हैं कि मोबाइल से निकलने वाली रेडियो तरंगें स्वास्थ्य पर खराब असर डालती हैं. हालांकि इस बारे में कई रिसर्च की जा चुकी हैं और कई जारी हैं. अब तक ज्यादातर रिसर्चों में वयस्कों पर और उनमें मस्तिष्क के कैंसर के खतरे पर ज्यादा तवज्जो दी जाती रही है.
लेकिन अब वैज्ञानिक ध्यान देना चाहते हैं कि क्या बच्चों के विकसित हो रहे दिमाग को वयस्कों के मुकाबले ज्यादा खतरा हो सकता है? इसकी एक वजह तो यह है कि उनका तंत्रिका तंत्र इस उम्र में विकसित हो रहा होता है. दूसरी वजह यह कि कम उम्र में मोबाइल का इस्तेमाल शुरू करने की वजह से वे मोबाइल की रेडियो तरंगों का ज्यादा लंबे समय तक सामना करते हैं.
बच्चों पर असर
लंदन के इंपीरियल कॉलेज में सेंटर फॉर इंवायरमेंट एंड हेल्थ के निदेशक पॉल एलियट कहते हैं, "अब तक उपलब्ध वैज्ञानिक प्रमाण वयस्कों के 10 साल तक मोबाइल इस्तेमाल करने के बाद इससे निकलने वाली रेडियो तरंगों और ब्रेन कैंसर के बीच किसी तरह का संबंध नहीं दिखाते हैं." वह कहते हैं कि, "लेकिन इसके ज्यादा लंबे समय तक इस्तेमाल और बच्चों द्वारा इस्तेमाल के बारे में मौजूदा प्रमाण स्पष्ट नहीं हैं."
मोबाइल फोन का इस्तेमाल दुनिया भर में बढ़ता जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मोबाइल यूजरों की संख्या करीब 4.6 अरब है. ब्रिटेन में 11-12 साल की उम्र के 70 फीसदी बच्चे और 14 साल की उम्र के करीब 90 फीसदी बच्चे मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
कैसे होगा टेस्ट
एलियट और इस रिसर्च पर काम कर रही एक और रिसर्चर मीराई टोलेडानो 11 से 12 साल की उम्र के 2500 बच्चों पर दो साल तक शोध करने की योजना बना रहे हैं. वे इस बीच गौर करेंगे कि बच्चे दिन में कितनी बार, किस मकसद से और कितनी देर के लिए मोबाइल फोन या दूसरे वायरलेस उपकरण का इस्तेमाल करते हैं. रिसर्च में हिस्सा लेने वाले छात्र और उनके माता पिता मोबाइल फोन और वायरलेस के अपने जीवन में इस्तेमाल और इसके फायदे जैसी बातें रिसर्चरों को बताएंगे. उनके ज्ञान संबंधी क्षमता के लिए उनका क्लासरूम में कंप्यूटराइज्ड टेस्ट भी लिया जाएगा.
टोलेडानो के मुताबिक, "इस तरह के ज्ञान से तात्पर्य यह है कि हम कैसे सोचते हैं, हम फैसले कैसे लेते हैं और हम जानकारी को किस तरह याद रखते हैं और कैसे उसका इस्तेमाल करते हैं." टोलेडानो भी लंदन के इंपीरियल कॉलेज में रिसर्चर हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पिछले 20 साल में मोबाइल फोन से संभावित खतरों पर कई शोध किए जा चुके हैं. ब्रिटिश स्वास्थ्य पॉलिसी के दिशानिर्देशों के अनुसार 16 साल से कम उम्र के बच्चों को केवल बहुत जरूरी काम के लिए ही मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना चाहिए. जितना संभव हो टेक्स्ट मेसेज को प्राथमिकता देनी चाहिए. टोलेनाडो के मुताबिक मोबाइल तकनीक का इतना विस्तृत रूप से इस्तेमाल अभी हमारे जीवन के लिए नया है. इसलिए स्कैंप स्टडी इसके प्रभावों के बारे में प्रमाण जुटाने के लिए बहुत जरूरी है, ताकि लोग समझ बूझ कर अपने लिए जीवन जीने का तरीका चुन सकें.
एसएफ/एजेए (रॉयटर्स)