1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

फ्रांस में छोटी सी दुकान चलाने का मतलब जानते हैं

२५ नवम्बर २०१७

सरकारी नीतियां लोगों की जिंदगी पर बहुत असर डालती हैं. एक दूसरे के करीब सिमटते यूरोप ने लोगों के सपनों को पंख दे दिये हैं लेकिन सरकारी नीतियों की सर्द हवा उन्हें रोकती भी है. अब फ्रांस कुछ नीतियों में ढील दे रहा है.

https://p.dw.com/p/2oFUp
Frankreich Paris Wetter
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. Brinon

जर्मनी की मारेवा रांफटेल की आंखों में हमेशा पेरिस में रहने का ख्वाब था. रहने के लिए कमाना भी जरूरी है. नौकरी इतनी आसानी से तो मिलती नहीं, लेकिन कारोबार शुरू करना भी आसान नहीं. आखिरकार उन्होंने पेरिस में अपना कैफे खोल लिया. फ्रांस में छोटे कारोबारियों की जिंदगियां, मारेवा की कल्पना से ज्यादा कठिन निकली. खासतौर पर स्टाफ की भर्ती के मामले में. वहां ट्रेनिंग के लिए ज्यादा समय देना पड़ता है.

इतना ही नहीं कारोबार ठीक से नहीं भी चल रहा है तो कर्मचारियों को मौकरी से निकालना आसान नहीं. मारेवा रांफटेल कहती हैं, "फ्रांस में नौकरी से निकालने के सख्त नियम हैं. मेरी एक पेस्ट्री शेफ बहुत ही सुस्त थी. मुझे उसे हटाना पड़ा. अगर मैं उसे कुछ समय और रखती तो उसे परमानेंट कॉन्ट्रैक्ट मिल जाता." फिर उसे नौकरी से निकालना मुश्किल हो जाता. इसलिए बहुत से लोग कारोबार में निवेश ही नहीं करते या फिर कर्मचारियों को जल्दी निकाल देते हैं. अब फ्रांस निवेश को बढ़ावा देने के लिए नियमों में सुधार चाहता है.

Frankreich Cafe A La Bonne Biere öffnet wieder nach den Anschlägen von Paris
तस्वीर: Getty Images/A. Meunier

प्रस्तावित सुधारों के बावजूद छंटनी करने के खिलाफ नियमों को सख्त बनाया जायेगा. हालांकि शॉर्ट टर्म जॉब कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए राहत मिल सकती है. नौकरी देने वालों को नये कर्मचारियों को परखने का समय दिया जाएगा. नौकरी देने वाले इस बदलाव से खुश हैं, लेकिन मजदूर संगठन नाराज हैं. सीडीटी ट्रेड यूनियन की काथेरीन पेरे कहती हैं, "ये तो वक्त में पीछे जाने वाली बात हुई. कर्मचारियों की दशा 20वीं सदी के शुरुआत जैसी हो जाएगी. नौकरी देने वाले कैलकुलेट कर पाएंगे कि हटाने पर कुल कितना पैसा खर्च होगा. इसकी आड़ में वे अनुभवी और महंगे कर्मचारियों को निकालेंगे. उनकी जगह सस्ते युवा कर्मचारी लाएंगे."

Frankreich Cafe A La Bonne Biere öffnet wieder nach den Anschlägen von Paris
तस्वीर: Getty Images/A. Meunier

ट्रेड यूनियन संगठन बड़े प्रदर्शनों की तैयारी कर रहे हैं. ज्यादातर अर्थशास्त्री इससे हैरान नहीं हैं. उनकी नजर में प्रस्तावित सुधार संयमित हैं. वो और ज्यादा बदलाव देखना चाहते हैं. अर्थशास्त्री मिचेल रुइमी बताते हैं, "हमें टैक्स कटौती की जरूरत है ताकि निवेशकों को प्रोत्साहन मिले. सरकार को अतिरिक्त खर्च में कटौती करनी होगी, ट्रेनिंग बेहतर करनी होगी और शिक्षा जारी रखनी होगी. इसी तरीके से बिजनेस फिर से प्रतिस्पर्धी बनेगा." मारेवा को भी उम्मीद है कि सुधार सिर्फ पहले चरण तक ही सीमित नहीं रहेंगे. नौकरी से हटाने के बदले मजदूरी से जुड़े अन्य खर्च कम करने और नियम लचीले बनाने की तैयारी हो रही है. यह सरकार और मजदूर संगठनों के लिए परीक्षा की घड़ी है.