1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

फोक्सवागन ने उतारी इलेक्ट्रिक कार

३० अप्रैल २०१४

जब दुनिया बैटरी से चलने वाली कार की तरफ नजरें लगाए बैठी है, जर्मनी की प्रतिष्ठित फोक्सवागन ने अपनी ऐसी कार बाजार में उतार दी है. लेकिन समस्या दो है, एक तो वही पुरानी बैटरी वाली और दूसरी कि यह बहुत महंगी है.

https://p.dw.com/p/1Bpfy
तस्वीर: Reuters

ई गोल्फ नाम की कार देखने में शानदार है. जर्मनी में जब इसे बाजार में उतारा जा रहा था, तो हॉलीवुड के अदाकार भी जश्न में शामिल हुए. लेकिन कारों के जानकार मानते हैं कि समस्या अभी हल नहीं हुई है. बर्लिन यूनिवर्सिटी में मोटर तकनीक के प्रोफेसर उवे शेफर का कहना है, "अगर कम समय में तेजी से ज्यादा कारें बिकेंगी, तो लीथियम के खनन की क्षमता भी बढ़ेगी और उससे इलेक्ट्रिक कार बाजार को फायदा पहुंचेगा." ऐसी कारों की बैटरी में लीथियम का इस्तेमाल होता है.

दूसरी समस्या चार्जिंग को लेकर है. आम कारों में पेट्रोल डालने में मुश्किल से पांच मिनट लगते हैं. लेकिन इलेक्ट्रिक कार को चार्ज करने के लिए कम से कम आधा घंटा चाहिए और अगर फुल चार्ज करना है, तो 13 घंटे. हालांकि फोक्सवागन के रिसर्च और डेवलपमेंट प्रमुख का मानना है कि इस समस्या को जल्द ठीक किया जा सकता है, "हम अभी से सोच रहे हैं कि चार्जिंग की क्षमता दोगुनी कर दें. यानी हम चार्जिंग के वक्त को घटा दें और साथ ही कोशिश करें कि ऊर्जा के घनत्व को बढ़ाया जाए ताकि एक ही बार में ज्यादा ऊर्जा भरी जाए और बाद में रिचार्ज की जरूरत कम हो."

हालांकि प्रोफेसर शेफर का मानना है कि अगले 5-10 साल तक चार्जिंग की समस्या का माकूल हल नहीं निकल पाएगा. तीसरी मुश्किल कार से तय की जाने वाली दूरी को लेकर है. फुल चार्ज के साथ भी ई गोल्फ सिर्फ 190 किलोमीटर तक का सफर ही तय कर सकती है.

और सबसे बड़ी समस्या इसकी कीमत को लेकर है. फिलहाल यह 35,000 यूरो यानि कोई 29 लाख रुपये में मिल रही है. इस तरह की पेट्रोल कारों की कीमत इससे आधी है. कार एक्सपर्टों के मुताबिक अगर इसे पांच लाख किलोमीटर चलाया जाए, तो इसका पैसा वसूल हो सकता है. जर्मन कारें पांच लाख किलोमीटर जरूर चलती हैं लेकिन इसमें कई साल लगते हैं. फिर भी नई कार चर्चा में है. लोगों का मानना है कि जब पेट्रोल की कीमतें आसमान छूने लगेंगी, तो इलेक्ट्रिक कारों का जमाना आ ही जाएगा.

रिपोर्टः फ्रांक ड्रेशर/एजेए

संपादनः आभा मोंढे