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फुटबॉल की बदसूरत दुनिया

१७ मई २०१४

थोड़ी बहुत बेईमानी हर खेल में होती है लेकिन फुटबॉल की दुनिया में तो छल कपट, गोल और फाउल की तरह खेल का हिस्सा ही बन गया है. जानिए मैदान पर खिलाड़ी किस किस तरह के नाटक करते हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. सबको दीवाना बना देने वाला खेल फुटबॉल बेहद बदसूरत भी हो सकता है. ब्राजील में वर्ल्ड कप के दौरान भी यह भयानक सूरत देखने को मिलेगी, इस रूप में..

डाइविंगः खेल देखते वक्त ऐसा लगता है कि पेनल्टी वाला एरिया बाकी के मैदान से ज्यादा फिसलन वाला होता है क्योंकि यहीं आ कर खिलाड़ी सबसे ज्यादा लड़खड़ाते हैं. जो भी गिरता है वो यह दिखाने की कोशिश करता है कि दूसरी टीम के खिलाड़ी ने उसे धक्का दिया, फिर चाहे किसी ने उसे छुआ भी ना हो. और जो जानबूझ कर धक्का मारते हैं, वे फौरन यह दिखाने में लग जाते हैं कि वे कितने मासूम हैं. धक्का मारने के फौरन बाद वे रेफरी की ओर देख कर इशारा करते हैं कि कुछ भी नहीं हुआ या फिर कंधे उचका कर और हथेलियां दिखा कर कहते हैं कि यह मेरी गलती नहीं थी. ऐसा नहीं है कि रेफरी इस नाटक को नहीं समझते.

झूठी चोट: यह सबसे ज्यादा देखने को मिलता है, खास कर वर्ल्ड कप के दौरान. और यह सबसे असरदार तिकड़म भी है क्योंकि इस से खिलाड़ी दर्शकों की और रेफरी की हमदर्दी हासिल कर सकते हैं. और नतीजा यह कि खेल लंबा खिंच जाता है और दूसरी टीम के खिलाड़ी को सजा भी मिल जाती है. जरा सा कुछ हुआ नहीं कि खिलाड़ी जोर से चीखता है और अपना घुटना या टखना पकड़ कर जमीन पर बैठ जाता है. सबसे मजेदार होता है जब वे दर्द दिखाने के लिए जमीन पर गोल गोल घूमने लगते हैं. कहना गलत नहीं होगा कि पिछले कुछ सालों में खिलाड़ियों की अदाकारी में काफी सुधार आया है.

वक्त बर्बाद करना: खिलाड़ियों के पास ऐसा करने के कई तरीके हैं. अचानक ही उनके जूतों के फीते बार बार खुलने लगते हैं. उन्हें कई बार अपने साथियों के गले लगने की जरूरत महसूस होने लगती है, हाई फाइव देना होता है, यहां तक कि उनकी चाल भी धीमी हो जाती है. गोलकीपर को भी बॉल को किक करने से पहले उसके लिए घास पर सही जगह बनाने की जरूरत पड़ती है. ये सब वक्त बर्बाद करने के पैंतरे हैं.

मेरी बॉलः ये बचकाना लगता है पर मैदान पर वाकई इस तरह की लड़ाई होती है. जैसे ही बॉल साइड लाइन को पार कर जाती है, दोनों टीमों के खिलाड़ी उंगली दिखा कर बॉल की मांग करने लगते हैं. थ्रो इन हो, गोल किक या फिर कॉर्नर किक, खिलाड़ी गेंद पर अपना दावा करना नहीं भूलते.

दोहरे मानदंडः लेकिन यही खिलाड़ी जब किसी और को ऐसा करते देखते हैं तो आग बबूले हो जाते हैं. उस वक्त वे भूल जाते हैं कि कुछ ही पल पहले उन्होंने भी यही नाटक किया था. खिलाड़ियों की ये बेहूदा हरकतें फुटबॉल के खेल को जितना बदसूरत बनाती हैं, उतना ही दिलचस्प और आकर्षक भी. ब्राजील में भी इस सब के लिए तैयार रहिए!

आईबी/एमजे (एपी)