फुकुशिमा हादसे के चार साल
फुकुशिमा न्यूक्लियर हादसे को चार साल बीत गए हैं, लेकिन घाव अभी भरे नहीं हैं. इस बीच जर्मनी जैसे कुछ देश परमाणु ऊर्जा को ना कह रहे हैं, तो कुछ अब भी इसकी होड़ में लगे हैं.
भयानक हादसा
11 मार्च 2011 के हुए तीन हादसों ने 19,000 से ज्यादा लोगों की जान ले ली. पहले जापान के पूर्वोत्तर तट पर भूकंप आया, उसके बाद भयानक सूनामी. उसकी वजह से फुकुशिमा में परमाणु दुर्घटना हुई.
रेडियोएक्टिव कचरा
फुकुशिमा प्रांत में रेडियोएक्टिव कचरे से भरे बैग 11 मार्च 2011 की दुर्घटना के गवाह हैं. रिएक्टर चलाने वाली कंपनी टेपको ने बाद में माना कि वह प्राकृतिक विपदा का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं था.
परमाणु ऊर्जा को ना
मार्च 2011 में फुकुशिमा में हुए हादसे के बाद जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने 8 परमाणु प्लांट्स को फौरन बंद करने का फैसला लिया. मैर्केल की गठबंधन सरकार ने फैसला लिया कि 2022 तक जर्मनी परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल को पूरी तरह खत्म कर देगा. जर्मनी 2050 तक अपनी ऊर्जा पर निर्भरता को 80 फीसदी अक्षय ऊर्जा पर केंद्रित करना चाहता है. इस समय देश कुल ऊर्जा जरूरत का 27 फीसदी हिस्सा अक्षय ऊर्जा से बना रहा है.
सुपर जिराफ
दुर्घटनाग्रस्त रिएक्टर में साफ सफाई के लिए एक नए प्रकार के रोबोट का इस्तेमाल हो रहा है. उसका नाम सुपर जिराफ है. 2.25 मीटर लंबा और 80 सेंटीमीटर चौड़ा रोबोट 150 किलोग्राम का वजन उठा सकता है.
खराब सर्टिफिकेट
टेलिविजन में नियमित मेहमान. सरकारी प्रवक्ता यूकियो इदानो मार्च 2011 में स्थिति का ब्योरा देने के लिए नियमित रूप से प्रेस के सामने आते थे. लेकिन उन्होंने दुर्घटना की गंभीरता छुपाई और पूरी सूचना नहीं दी.
विनाशकारी फैसले
परमाणु संयंत्र चलाने वाली कंपनी टेपको को जांच आयोग ने और खराब सर्टिफिकेट दिया. उसने जांच में बाधा डाली, जनमत को जानबूझकर गुमराह किया और नुकसान के बारे में जानकारी दबाने की कोशिश की.
कैंसर का खतरा
एक बच्चे के थाइरॉयड की जांच. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुर्घटना के इलाके में कैंसर का खतरा थोड़ा ही बढ़ा है. चिकित्सकों के एक अंतरराष्ट्रीय संगठन को 80,000 लोगों के कैंसर होने का खतरा है.
चेरनोबिल का हादसा
फुकुशिमा हादसे से पहले चेरनोबिल का हादसा इतिहास का सबसे बुरा न्यूक्लियर हादसा था. 1986 में यूक्रेन के चेरनोबिल पावर प्लांट के यूनिट 4 में अचानक उर्जा प्रवाह से रिएक्टर फट गया. रिएक्टर से निकले रेडियोधर्मी गुबार ने रूस और अन्य पड़ोसी यूरोपीय देशों को प्रभावित किया. हादसे में 30 लोग मारे गए और 30 किलोमीटर के इलाके से 3,35,000 लोगों को विस्थापित होना पड़ा.
भारत को भी होड़
भारत अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता को 2020 तक चार गुना बढ़ाना चाहता है. भारत 25 फीसदी बिजली परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से बनाना चाहता है. रूस के सहयोग से कुडानकुलम में बन रहा प्लांट करीब करीब तैयार होने वाला है. लेकिन इस योजना का कड़ा विरोध भी हो रहा है. रूस ने भारत को नए परमाणु बिजली घरों की स्थापना में मदद करने का प्रस्ताव दिया है.
प्रतिबंधित क्षेत्र में अकेले
किसान नाओतो मात्सुमारा हर दिन अपने जानवरों को खाना खिलाते हैं. 11 मार्च 2011 से पहले की तरह. लेकिन अब वे अकेले हैं अपनी 50 गायों के साथ. डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को इलाका छोड़ कर चले गए हैं.