फुकुशिमा त्रासदी की चौथी बरसी
११ मार्च २०१५पूरे जापान में बुधवार दोपहर अचानक खामोशी पसर गई. गहरी सोच में डूबे लोग उन्हें याद करने लगे जो चार साल पहले हुए हादसे में मारे गए थे. रिक्टर स्केल पर नौ तीव्रता वाले भूकंप के बाद जापान पर आपदा का पहाड़ टूट पड़ा. बुधवार को त्रासदी की चौथी बरसी पर जापान भावुक हो गया. प्रधानमंत्री शिंजो आबे और राजा अखितो ने टोक्यो में श्रद्धाजंलि सभा की अगुवाई की. इस दौरान कई पीड़ित परिवार भी वहां मौजूद थे.
फुकुशिमा त्रासदी के नाम से याद की जाने वाली ये घटना 11 मार्च 2011 की दोपहर 2:46 (स्थानीय समय) पर शुरू हुई. पूर्वी प्रायद्वीप ओशिका से 70 किलोमीटर दूर रिक्टर पैमाने पर नौ तीव्रता वाला भूकंप उठा. भूकंप का केंद्र 24 किलोमीटर की गहराई पर था. इतने तेज भूकंप ने पूर्वोत्तर जापान को थरथरा दिया.
करीब 20 मिनट बाद सूनामी लहरें उत्तर के होककाइदो और दक्षिण के ओकीनावा द्वीप से टकराई और वहां भारी तबाई मची. 15,000 से ज्यादा लोग मारे गए. नेशनल पुलिस एजेंसी के मुताबिक 2,000 से ज्यादा लोग आज भी लापता की सूची में हैं.
फुकुशिमा त्रासदी
इसके बाद विशाल सुनामी लहरें फुकुशिमा दाइची परमाणु बिजली संयंत्र में घुसीं. परमाणु संयंत्र में समुद्र का नमकीन पानी घुसने से रिएक्टर पिघलने लगे और धमाके होने लगे. संयंत्र से भारी मात्रा में रेडियोधर्मी तत्व लीक होने लगे और परमाणु विकिरण होने लगा. इसके बाद जापान ने अपने सभी परमाणु बिजली घर तीन साल तक बंद रखे.
फुकुशिमा से सबक लेते हुए जर्मनी ने मई 2011 में ही अपने सभी 17 परमाणु बिजली संयंत्र बंद करने की घोषणा कर दी. जर्मनी ने इसके लिए 2022 तक की अंतिम समय सीमा तय की है.
भविष्य को लेकर असमंजस
जापान में चार साल बाद भी हजारों लोग विस्थापितों की जिंदगी जी रहे हैं. सरकार पुनर्वास में अरबों डॉलर झोंक चुकी है. लेकिन अब भी यह तय नहीं हो पा रहा है कि क्या जापान को परमाणु ऊर्जा के साथ आगे बढ़ना चाहिए. फुकुशिमा के रिएक्टरों में अब भी दूषित पानी बचा है.
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे का कहना है कि उनका देश अब ऐसी हादसों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार है. इसे आधार बनाते हुए आबे ने आगे कहा कि जापान परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल करता रहेगा.
नई राह खोजे जापान
बरसी से एक दिन पहले जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल से मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने टोक्यो में एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. मैर्केल ने जापान से अपील की कि वो अगले दशक में परमाणु संयंत्रों को धीरे धीरे बंद करने की योजना बनाए.
परमाणु गतिविधियों का विरोध करने वाले जापान के नोबेल पुरस्कार विजेता लेखक केंजाबुरो ओए ने भी आबे से पुनर्विचार की अपील की. ओए ने कहा, "इतने बड़े परमाणु हादसे के बाद भी जापानी नेता स्थिति को बदलना नहीं चाहते हैं, वो सिर्फ जस के तस रहना चाहते हैं. हम सब जानते हैं कि इसी तरह का एक और हादसा जापान के भविष्य को बर्बाद कर सकता है."
ओएसजे/आरआर (एपी, एएफपी, डीपीए, रॉयटर्स)