फिर भिगो गया सावन...
श्रद्धा और ताजगी का मौसम सावन चल दिया और आ गया भादो. हिन्दी फिल्मों में तो सावन का मतलब रोमांस ही दिखाई देता है लेकिन सावन से जुड़ी और भी बड़ी अहम बातें हैं जो इस महीने को खास बनाती है...
सावन में कजरी तीज के दिन महिलाएं झूले डालती हैं. इस दिन सजी धजी महिलाएं सावन का मजा लेती दिखाई देती हैं.
भारतीय परंपरा में सावन आने का मतलब है सुहागनों के सजने संवरने के दिन. हाथों में हरी चूड़ियों और मेंहदी के साथ वे सावन मनाती हैं.
सावन के महीने में पड़ने वाले पर्व नाग पंचमी के दिन सपेरे सांप लेकर घूमते हैं. बीन बजाने पर सांप फन उठाता है और लोग श्रद्धा में इन्हें दूध पिलाते हैं.
सावन में सोमवार को कुंवारी लड़कियां विशेष रूप से मंदिर में जाकर पूजा करती हैं, उपवास रखती हैं और अच्छे वर की कामना करती हैं.
पूरे महीने मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. मंदिर के बाहर पूजा सामग्री की कई छोटी मोटी दुकानें भी लगी रहती हैं.
हिन्दू धर्म में सावन का मतलब है भक्ति. इस महीने लोग मांस मछली से दूर ही रहते हैं और शिव अराधना करते हैं.
कांवड़ भी सावन का अहम अंग है. दिल्ली से हरिद्वार तक करीब 225 किलोमीटर तक का रास्ता सावन में शिव भक्त कांवड़ यात्रियों के लिए आरक्षित कर दिया जाता है.
बारिश जितनी सुहानी लगती है उतनी ही खराब दशा छोड़ जाती है सड़कों की. और अगर जरूरी काम हो तो कोई कैसे घर पर बैठा रहे...
सावन धान के पौधे लगाने का सही समय है. एक खेत में धान के पौधे तैयार कर दूसरे खेत में लगाए जाते हैं.
जगह जगह पानी भर जाना शहरों में मुसीबत बन जाता है, लेकिन गांवों में बच्चों के लिए यह वॉटर पार्क जैसा हो जाता है.
बारिश के रुकने पर ठंडी हवा का मजा लेने लोग बाहर निकल आते हैं.