फायदे की बलि पर पालतू जानवर
सभी पालतू जानवर सिर्फ देखने में ही अच्छे नहीं लगते, वे इंसानों के काम भी बहुत आते हैं. इस बीच इन जानवरों को इस तरह पाला जाता है कि वे बस ज्यादा से ज्यादा मांस वाले उत्पाद बन जाएं.
थ्युरिंजिया की बकरियां
थ्युरिंजिया के जंगलों के कठोर हालात के लिए ये बकरियां विकसित की गईं. कड़ी ठंड और बारिश का इनपर कोई असर नहीं होता. इन्हें खास तौर पर घास चरने और दूध के लिए रखा जाता है. अभी इनकी संख्या एक हजार से ऊपर है.
चीन का खास
चीन का ये खास सुअर पालतू जानवरों में सबसे पुराना है. माना जाता है कि ये सीधे जंगली सुअर से आए हैं. इनके शरीर पर बाल नहीं के बराबर होते हैं. अजीब से मुंह वाले इस जानवर की खासियत खुद को परजीवियों से बचाने की क्षमता है.
अंगोरा के खरगोश
अंगोरा के खरगोशों से हर साल दो किलो ऊन मिलती है. इनकी ब्रीडिंग करने वाले चाहते हैं कि इस खरगोश से और बाल निकलें. मूलतया ये प्रजाति तुर्की की है. इस बीच यह भी विलुप्त होने के खतरे में है.
बेहोश बकरियां
अमेरिका की ये छोटी छोटी बकरियां खतरा होने पर चौंक कर बेहोश हो जाती है. इसका कारण एक आनुवांशिक बिमारी है. ये प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है. इस बीच इनकी ब्रीडिंग करने वाले बढ़ गए हैं, इसलिए खतरा टल गया है.
अजीब सी टर्की
ऐसी मुर्गियां जो साल में 300 अंडे देती हों, ऐसे टर्की जिनका वजन इतना ज्यादा हो कि वह इसे संभाल ही नहीं सकें. सिर्फ मांस और अंडों के उत्पादन के लिए विकसित पक्षियों के कारण जानवरों की पुरानी सामान्य प्रजातियां धीरे धीरे खत्म हो रही हैं.
खतरे में
मैदान और दलदली जमीन सफेद भेड़ों के लिए सबसे अच्छी होती हैं. ये भेड़ विलुप्त होने की कगार पर हैं, जबकि चार सींगों वाली जैकब भेड़ बड़ी संख्या में पाई जाती है. इसकी काली ऊन काफी पसंद की जाती है.
स्कॉटलैंड के भैंसे
मौसम से बेअसर और ताकतवर स्कॉटलैंड के ये भैंसे ब्रिटेन से बाहर भी नजर आने लगे हैं. इनकी संख्या काफी है और इनकी ब्रीडिंग भी खूब होती है. यूरोप में इनकी सबसे ज्यादा ब्रीडिंग जर्मनी में होती है.
अफ्रीकी गधे
उत्तरी अफ्रीका के इन खास गधों की ब्रीडिंग पश्चिमोत्तर फ्रांस में होती है. ये वजन ढोने में अच्छे माने जाते हैं. इनकी संख्या दुनिया भर में सिर्फ 300 है. इसकी इतनी ज्यादा क्रॉस ब्रीडिंग हुई है कि मूल प्रजाति ढूंढे नहीं मिलती.
बैर्गिश मुर्गे
कोलोन के आसपास के इलाके में पाए जाने वाले ये मुर्गे मध्यम आकार के होते हैं. मुर्गे के सिर पर होने वाली कलगी मुड़ी हुई होती है. ये कुछ एक सौ ही हैं. मुर्गियां साल भर में 150 अंडे ही दे पाती हैं. विकसित प्रजातियों से आधी.
डुल्मन घोड़े
अच्छे, सीखने में तेज और संतुलित घोड़े. लेकिन इनकी संख्या 100 भी नहीं. जर्मनी के नॉर्थराइन वेस्टफेलिया में एक ही जगह ऐसी है जहां ये विलुप्त होते घोड़े रखे गए हैं. कभी जंगली घोड़ों के साथ संसर्ग के कारण ये प्रजाति अस्तित्व में आई.
हंगेरियाई भेड़
ये भेड़ें मुखुरवा बीमारी से बची रह सकती हैं. इनके सींग एक मीटर तक लंबे हो सकते हैं. ये हंगरी में बहुतायत में पाई जाती थीं, लेकिन इन्हें मेरीनो भेड़ों के जगह बनानी पड़ी. उनके ऊन किसानों को ज्यादा पसंद थे.
इंग्लिश भैंसा
काले कान, पैर और नाक वाला सफेद इंग्लिश भैंसा. यह पालतू प्राणियों की सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक है. सेल्टिक पुरोहित इसे पवित्र मानते थे. अब जर्मनी में भी इनकी ब्रीडिंग की कोशिश हो रही है.
सुंदर मुर्गी
भले ही ज्यादा अंडे और मांस देने वाली मुर्गियां पैदा की जा रही हों लेकिन इस मुर्गी जितनी सुंदर कोई नहीं दिखती.