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प्रेस आजादी पर तुर्की और जर्मनी में ठनी

३० मार्च २०१६

एरदोवी, एरदोवो, एरदोवान. आपको इसमें संगीत लग सकता है, लेकिन तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तय्यप एरोदवान को ये कतई पसंद नहीं. जर्मन टीवी के इस व्यंग के लिए तुर्की ने जर्मन राजदूत को तलब किया और वीडियो को नष्ट करने की मांग की.

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Türkei Istanbul Besuch Merkel mit Erdogan NEU
तस्वीर: Getty Images/G. Bergmann/Bundesregierung

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के लिए शरणार्थी संकट के समाधान में तुर्की और तुर्की के राष्ट्रपति महत्वपूर्ण पार्टनर हैं लेकिन पश्चिम की मजबूरी भांप कर एरदोवान का बर्ताव लगातार अड़ियल होता जा रहा है. जर्मनी के क्षेत्रीय ब्रॉडकास्टर एनडीआर के एक कार्यक्रम में व्यंगात्मक गाने का विरोध करने के लिए तुर्की ने जर्मन राजदूत मार्टिन एर्डमन को दो बार तलब किया और वीडियो को नष्ट करने की मांग की. तुर्की का यह कदम दिखाता है कि इस समय उसके लिए यूरोप के विचारों का कोई महत्व नहीं है. शरणार्थी संकट ने सत्ता संतुलन बदल दिया है.

पश्चिमी देश तुर्की के साथ सहयोग करना चाहते हैं लेकिन पश्चिमी देशों के राजनयिकों की हालत इस समय तुर्की में अच्छी नहीं है. पिछले दिनों उनमें से कई पत्रकार खान दुंदार और एर्देम गुल के मुकदमे को देखने गए थे. उन पर सीरिया में तुर्की द्वारा हथियारों की आपूर्ति की तस्वीर छापने के कारण खुद एरदोवान की शिकायत पर मुकदमा चल रहा है. जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका के राजदूत अदालत में अपनी उपस्थिति के जरिए तुर्की में स्वतंत्र मीडिया पर बढ़ रहे दबाव के प्रति विरोध दर्ज कराना चाहते थे. एरदोवान को इसमें दुश्मनी दिखाई दी और इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने एक भाषण में कहा, "क्या सोचते हो आप, कौन हो आप, वहां आप की क्या जरूरत थी?" सरकार समर्थक मीडिया तो उन्हें देश से निकालने की मांग कर रही है. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब एनडीआर ने तुर्की के राष्ट्रपति का मजाक उड़ाया है. पिछली बार 2014 में एक खान दुर्घटना में सैकड़ों खनिकों के मरने के बाद एरदोवान की प्रतिक्रिया पर भी चैनल ने एक वीडियो बनाया था.

तुर्की में मीडिया पर बढ़ते दबाव की आलोचना यूरोपीय संघ में काफी समय से हो रही है, लेकिन अंकारा आपत्तियों को अब तक नजरअंदाज करता रहा है. पिछले कुछ समय से एरदोवान आक्रामक हो रहे हैं और आलोचक इसकी वजह यह मानते हैं कि पिछले दिनों हुई शरणार्थी संधि से वे अपने को मजबूत और सम्मानित महसूस कर रहे हैं. इस संधि के तहत तुर्की ग्रीस के द्वीप पर आने वाले शरणार्थियों को वापस ले लेगा. चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस संधि का समर्थन किया था. एक ओर एरदोवान पश्चिमी राजनयिकों के खिलाफ बोल रहे थे तो दूसरी ओर जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर तुर्की तो शरणार्थी मुद्दे पर केंद्रीय सहयोगी बता रहे थे.

इस्तांबुल के राजनीतिशास्त्री और यूरोप विशेषज्ञ चंगिज अख्तर का कहना है कि इस संधि के साथ बर्लिन ने एरदोवान को मजबूत किया है, "इन दिनों मैर्केल तुर्की की सरकार के सबसे अच्छी दोस्त हैं." अख्तर इस घटना को शर्मानक बताते हुए कहते हैं कि जर्मनी का अपमान किया जा रहा है.

जर्मनी इसे मानने को तैयार नहीं. कुछ दिनों की चुप्पी के बाद विदेश मंत्रालय में तुर्की के कदम की आलोचना हो रही है. मंगलवार को राजदूत एर्डमन ने अंकारा को साफ कर दिया है कि प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अत्यंत मूल्यवान है जिसकी "मिलजुल कर रक्षा की जानी चाहिए." उन्होंने तुर्की की सरकार को बताया कि टेलिविजन चैनल के वीडियो को नष्ट करने की न तो जरूरत है और न ही संभावना है. इस बीच यह वीडियो इतना चर्चा में आ गया है कि कई भाषाओं में इसका अनुवाद भी किया जा चुका है.

एमजे/आईबी (एएफपी)