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प्राथमिकता हो भारत में न्यायिक सुधार

महेश झा६ अप्रैल २०१५

सुप्रीम कोर्ट की पहल पर उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और प्रांतीय मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में न्यायिक प्रक्रिया में सुधार पर विचार विमर्श हुआ है. अब सुधारों को तेजी से लागू करने की बारी है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारत की न्यायपालिका कीचड़ में कमल की तरह है लेकिन विकास इतनी तेजी से हो रहे हैं कि संस्थाएं अगर समय समय पर सुधार न करें तो उनमें गिरावट आती ही है. मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और दूसरे बड़े न्यायिक अधिकारियों ने समस्या को ठीक ही पहचाना है. बुनियादी ढांचों को दुरुस्त करना, आबादी के हिसाब से न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाना, और सूचना प्रौद्योगिकी का व्यापक इस्तेमाल. अब इसके अमल में तेजी लाने की जरूरत है. और इसकी जिम्मेदारी मुख्य रूप से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की है जो न्यायिक संस्था के मुखिया है.

आम लोगों के लिहाज से भारत में न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत है. मुख्य न्यायाधीश ने लोवर कोर्ट में पांच और अपील कोर्ट में दो साल में मुकदमा निबटाने का लक्ष्य रखा है. इसे और जल्दी करने से लोगों का खर्च भी घटेगा और न्यायिक प्रक्रिया में लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा. इसके अलावा प्रक्रियाओं को आसान करने की जरूरत है ताकि अदालत की सलाह, हस्तक्षेप या फैसला चाह रहे लोग बिना वजह परेशान न हों और न ही उनपर अनाप शनाप आर्थिक और मानसिक बोझ पड़े.

भारत की आबादी तेजी से बढ़ रही है. साथ ही तेज आर्थिक विकास भी हो रहा है और सरकार के प्रयास सफल हुए तो विकास में और तेजी आएगी. आर्थिक और सामाजिक गतिविधियां अपने साथ विवाद और अपराध भी लाती है. दोनों ही चुनौतियों से भारत को आने वाले समय में निपटना होगा. न्यायिक व्यवस्था के लिए इसका मतलब अधिक अदालतें और अधिक जज भी हैं. संभवतः समय आ गया है कि भारत सुप्रीम कोर्ट की छतरी के नीचे एक-एक राष्ट्रीय प्रशासनिक, वित्तीय, आपराधिक और सामाजिक अदालत बनाने के बारे में सोचे. इससे सुप्रीम कोर्ट पर बोझ कम होगा और देश की सर्वोच्च अदालत न्याय व्यवस्था के फौरी और दूरगामी विकास पर ध्यान दे पाएगी.

आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल जरूर ही न्यायालयों के काम को आसान बनाएगी. हर दफ्तर की तरह न्यायालयों को भी दूरसंचार के आधुनिक तकनीकों से लैस किया जाना चाहिए. आईटी के क्षेत्र में दुनिया भर में डंका पीट रहे देश के अपने चोटी के दफ्तरों में अत्याधुनिक तकनीक न हो, यह कोई अच्छी बात नहीं. इसे प्राथमिकता के साथ लागू किया जाना चाहिए.