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प्राकृतिक आपदा से निबटेगा मंथन

एजेए/ एसएफ१५ अगस्त २०१३

खेतों को बचाने के लिए दो देश चले हाथ में हाथ डाल. इसके अलावा मंथन में इस बार जानिए कि क्या पर्यावरण को नुकसान न पहु्चाने वाले रसायन बन सकते हैं. साथ ही होगी रोमांचक खेलों का आयोजन करने वाले नॉर्वे के एक शहर की भी सैर.

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तस्वीर: DW

विज्ञान ने हमारे जीवन को इतना ज्यादा प्रभावित किया है कि पूरी दुनिया इस पर आश्रित हो गई है. किसी भी चीज को बनाने के लिए रासायनिक प्रक्रिया की जरूरत होती है. चाहे खाने पीने की चीजें हों या फिर कपड़े या मोटर गाड़ी या कंप्यूटर. कई रासायनिक प्रक्रियाओं के दौरान जहरीली गैसें निकलती हैं, जो पर्यावरण पर बुरा असर डालती हैं. जर्मनी के रिसर्चर ऐसी कोशिश कर रहे हैं कि रसायनों को पर्यावरण के अनुरूप ढाला जा सके. वे ऐसा उत्प्रेरक खोज रहे हैं, जिससे रासायनिक प्रक्रिया आसान हो सकती है. इस विषय पर मंथन में विस्तार से रिपोर्ट पेश की गई है.

रसायनों में बदलाव के साथ कंप्यूटर आधुनिक युग में और भी बड़ा रोल अदा कर सकता है. क्या ऐसा संभव है कि कई प्रयोग सीधे कंप्यूटर पर कर लिए जाएं और उसके लिए प्रयोगशाला जाने की जरूरत ही न पड़े. कंप्यूटिंग केमिस्ट्री इसका हल निकाल सकती है. आईआईटी बॉम्बे की रिसर्चर गरिमा जिंदल इसी विषय में पीएचडी कर रही हैं. वह जब इस सिलसिले में जर्मनी आईं, तो मंथन की टीम ने उनसे बातचीत की और यह जानने की कोशिश की कि किस तरह प्रयोगशाला में होने वाले प्रयोगों को कम किया जा सकता है.

बाढ़ की परेशानी

बाढ़ ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिस पर ज्यादा गंभीरता से नहीं सोचा जाता. अगर उत्तराखंड जैसा हादसा हो जाए, तभी बाढ़ को लेकर दुनिया गंभीर होती है. सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया बाढ़ से प्रभावित है और हाल के दिनों में बहुत ज्यादा बाढ़ आने लगी है. निश्चित तौर पर जंगलों की कटाई और अंधाधुंध शहरीकरण इसकी वजह है. लातिन अमेरिकी देशों में तो यह स्थिति है कि बाढ़ की वजह से मिट्टी का कटाव होता है और खेत के खेत बह कर दूसरे देश की सीमा में चले जाते हैं. किसानों की साल भर की मेहनत बेकार हो जाती है. इस समस्या को रोकने और लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से दोनों देशों की सरकारों ने एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है.

पर्यावरण में हमारी दूसरी रिपोर्ट भी पानी से जुड़ी हुई है. आम तौर पर इस्तेमाल किए गए पानी को दोबारा इस्तेमाल करने के तरीकों पर कम ही ध्यान जाता है. छोटे मोटे समुद्रतटीय देशों में सैलानी तो खूब जाते हैं लेकिन वहां पानी की सफाई को लेकर मुश्किलें होती हैं. यूरोपीय देश मोंटेनीग्रो के उदाहरण से यह समझाने की कोशिश की गई है कि किस तरह आधुनिक तकनीक की मदद से पानी की सफाई संभव है.

फ्लॉपी से कला

जब पेन ड्राइव और सीडी का चलन नहीं था, तो होती थीं छोटी चौकोर फ्लॉपी, जिनमें आंकड़े जमा किए जाते थे. इसके लिए कंप्यूटरों में फ्लॉपी ड्राइव भी बनाया जाता था. लेकिन बदलते वक्त ने फ्लॉपी को खत्म कर दिया, यह बेकार हो गई. पर भला कलाकारों के लिए कोई चीज बेकार होती है? इंग्लैंड के एक कलाकार ने फ्लॉपी को अपनी कला का जरिया बना लिया और उसकी मदद से अजीबोगरीब पेंटिंग करने लगे. इसमें उन्होंने तकनीक का भी सहारा लिया है.

इस अनोखी कला के बाद बात होगी खेल की. नॉर्वे के एक शहर वॉस में हर साल रोमांचक और जोखिम भरे खेलों यानी एक्स्ट्रीम स्पोर्ट्स की प्रतियोगिता होती है. हफ्ते भर में 13 अलग अलग खेलों का आयोजन होता है, जिसमें तीखी पहाड़ियों से छलांग लगाने से लेकर पथरीले रास्तों पर साइकिल चलाना और स्केटिंग भी शामिल है. इस प्रतियोगिता में दुनिया भर के लोग आते हैं. इस सारी रोमांचक जानकारी के लिए देखना ना भूलें मंथन शनिवार सुबह 10.30 बजे सिर्फ डीडी-1 पर

एजेए/आईबी

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