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प्रज्ञा ठाकुर के बयान से बीजेपी ने फिर किया किनारा

२७ अगस्त २०१९

प्रज्ञा ठाकुर के "मारक शक्ति" वाले बयान की जहां विपक्ष आलोचना कर रहा है, तो उनकी खुद की पार्टी के लोग भी इससे दूरी बनाने में ही समझदारी समझ रहे हैं.

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Indien BJP-Kandidatin Sadhvi Pragya in Ujjain
तस्वीर: Imago Imaged/Hindustan Times

विवादास्पद बयानों के कारण हमेशा चर्चा में रहने वाली मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सोमवार को फिर एक अटपटा बयान देकर अपनी भारतीय जनता पार्टी के लिए मुसीबत बनकर उभरीं. उन्होंने पार्टी के एक के बाद एक बड़े नेताओं के निधन के पीछे विपक्षी दलों द्वारा मारक शक्ति (तंत्र-मंत्र) का उपयोग किए जाने की आशंका जताई.

मालेगांव बम विस्फोट की आरोपी बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर को अभी सक्रिय राजनीति का हिस्सा बने मुश्किल से पांच माह का वक्त बीता है लेकिन इस अवधि में उनके बयानों ने कई बार विवादों को जन्म दिया है. उनके बयानों पर पार्टी हाईकमान से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं लेकिन प्रज्ञा ठाकुर के विवादों वाले बयान थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.

प्रज्ञा ठाकुर ने अपने शाप को मुंबई एटीएस के प्रमुख रहे हेमंत करकरे के 26/11 के आतंकी हमले में शहीद होने का कारण बताकर लोकसभा चुनाव के समय देशभर की नाराजगी मोल ले ली थी. वहीं अब वे बीजेपी के बड़े नेताओं के निधन को तंत्र-मंत्र से जोड़कर देख रही हैं. उन्होंने चुनाव के दौरान एक साधु महाराज द्वारा कही गई बात का हवाला देकर कहा, "असमय हो रही इन मृत्युओं के पीछे कहीं विपक्षी दलों की मारक शक्तियां तो नहीं हैं?"

बीजेपी सांसद ने यह बयान पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की श्रद्धांजलि सभा में दिया. प्रज्ञा के इस बयान से श्रद्धांजलि सभा में मौजूद बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं- महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने स्वयं को असहज महसूस किया. यही वजह रही कि शिवराज ने विजयवर्गीय के आग्रह के बाद भी मीडिया के सामने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इनकार कर दिया.

प्रदेश अध्यक्ष सिंह ने प्रज्ञा ठाकुर के बयान को राज्य सरकार की कार्यशैली से जोड़ दिया. उन्होंने कहा, "सांसद ने राजनीतिक तौर पर अपनी बात कही है और हमें भी उसी तरह समझना चाहिए. उन्होंने राज्य सरकार की भूमिका को लेकर अपनी राय जाहिर की है और कहा है कि यहां की सरकार की भूमिका लोकतंत्र की हत्या करने वाली है." वहीं नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा, "मारक क्षमता और शक्ति क्या होती है, वे ही बता सकती हैं, मैं तो विधायक दल का नेता हूं, इस बारे में कुछ नहीं जानता."

कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा, "प्रज्ञा ठाकुर का यह बयान बेहद आपत्तिजनक है कि कांग्रेस बीजेपी नेताओं को मारने के लिए मारक शक्तियों का उपयोग कर रही है. उनका बयान यह बताता है कि वह अपना मानसिक संतुलन खो चुकी हैं. उनको इलाज की जरूरत है, उनके लिए पागलखाना सही जगह है."

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के एक से एक बयान

इससे पहले, लोकसभा चुनाव के दौरान प्रज्ञा ठाकुर ने शहीद हेमंत करकरे का जिक्र करते हुए कहा था, "उस समय मैंने करकरे से कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा, उसी दिन से उस पर सूतक लग गया था और सवा माह के भीतर ही आतंकवादियों ने उसे मार दिया था. हिंदू मान्यता है कि परिवार में किसी का जन्म या मृत्यु होने पर सवा माह का सूतक लगता है. जिस दिन करकरे ने सवाल किए, उसी दिन से उस पर सूतक लग गया था, जिसका अंत आतंकवादियों द्वारा मारे जाने से हुआ."

इस बयान को लेकर उन दिनों प्रज्ञा ठाकुर पर चौतरफा हमले हुए थे और उन्हें माफी मांगना पड़ी थी. उसके बाद उनका बयान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को लेकर आया था. उन्होंने गोडसे को 'देशभक्त' करार देते हुए कहा था, "नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, देशभक्त हैं और देशभक्त रहेंगे. जो लोग उन्हें आतंकवादी कहते हैं उन्हें अपने अंदर झांक कर देखना चाहिए."

गोडसे वाले बयान पर विपक्ष ही नहीं, बीजेपी नेताओं ने भी एतराज जताया था और चौतरफा दबाव देखते हुए प्रज्ञा ने माफी मांग ली थी. उसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा था, "गांधी जी या गोडसे के बारे में जो भी बात की गई है या जो भी बयान दिए गए हैं, ये भयंकर खराब हैं, हर प्रकार से घृणा के लायक हैं. आलोचना के लायक हैं, सभ्य समाज के अंदर इस तरह की भाषा नहीं चलती है. इस प्रकार की सोच नहीं चल सकती, इसलिए ऐसा करने वालों को सौ बार आगे सोचना पड़ेगा." प्रधानमंत्री ने आगे कहा था, "उन्होंने माफी मांग ली ये अलग बात है, लेकिन मैं अपने मन से माफ नहीं कर पाऊंगा."

संदीप पौराणिक (आईएएनएस)

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