प्रकृति और पत्ते
अपने आसपास कभी पत्तों को देखा है? अलग अलग आकार, अलग रूप और अलग रंग. वे अपने माहौल से तालमेल बिठा लेते हैं. लेकिन कैसे? शोधकर्ता इस राज को जानने की कोशिश कर रहे हैं. इससे उन्हें पत्तों पर जलवायु परिवर्तन का असर पता चलेगा.
केले का पत्ता
यह है केले के पत्ते की तस्वीर. तस्वीर से पता नहीं चलता कि केले के पत्ते कितने बड़े होते हैं. ये पत्ते दो से तीन मीटर लंबे और 30 से 60 सेंटीमीटर चौड़े हो सकते हैं. इतने बड़े पत्ते ट्रॉपिकल इलाकों में होते हैं.
छोटे पत्ते
केले के पत्तों के विपरीत हीदर के पत्ते बहुत ही छोटे होते हैं. इसके रूखे पत्ते कुछ ही मिलीमीटर के होते हैं और ऊंचाई पर सूखे इलाकों में होते हैं. दरअसल ये पौधे उतना ही बढ़ते हैं जितना पानी और तापमान इजाजत देते हैं.
पत्ता दर पत्ता
आकार के बारे में जानने की पत्ता दर पत्ता कोशिश कर रहे हैं. सिडनी की मैक्वायर यूनिवर्सिटी के इएन राइट और दुनिया भर के उनके साथियों ने मिलकर पृथ्वी के हर इलाके के 7600 प्रजातियों के पत्तों का अध्ययन किया है.
संतुष्टि से परे
वापस केले के पत्ते पर. केले के पत्ते इतने बड़े इसलिए होते हैं क्योंकि वे ऐसे इलाकों में होते हैं जहां पानी ज्यादा है और गर्मी बहुत अधिक. राइट कहते हैं कि जबतक जमीन का पानी पौधों को मिलता रहता है पत्ते बढ़ते रहते हैं. लेकिन यह पूरे सच का एक हिस्सा मात्र है.
गर्मी या ठंड
रिसर्चरों की दूसरी जानकारी यह है कि पत्तों के आकार में तापमान की बड़ी भूमिका होती है, खासकर रातों को. अब तक समझा जाता है कि पत्तों को ज्यादा गर्मी से नुकसान पहुंचता है. लेकिन अब पता चला है कि ठंडी रातें उन्हें ज्यादा तकलीफ देती हैं.
छोटा लेकिन मजबूत
ठंड का असर पत्तों के आकार पर भी होता है. इस लिहाज से रेगिस्तानों और गर्म इलाकों के पेड़ों और पत्तों को आसानी होती है. वे उतनी जल्द गर्म नहीं होते. ठंडे इलाकों में भी उनकी हालत बेहतर रहती है क्योंकि उनपर पाले का असर उतना नहीं पड़ता.
पत्तों का जंगल
वर्षावन वाले इलाकों में बड़े पत्तों वाले पेड़ पौधे जमकर फलते फूलते और बढ़ते हैं. नियमित वर्षा के कारण नम मौसम उन्हें ठंडा रखता है और जंगल उन्हें धूप की गर्मी और किरणों से बचाते हैं. उन्हें पाले से भी कोई खतरा नहीं होता.
गर्मी और ठंड का खेल
दरअसल मौसम में गर्मी और ठंड दोनों ही पत्तों के आकार और रंगरूप पर असर डालते हैं. रिसर्चरों का कहना है कि यदि पाले के खतरे और गर्मी के जोखिम पर ध्यान दिया जाए तो पूरी दुनिया में पत्तों के आकार के पैटर्न को समझा जा सकता है.