पोलैंड में राष्ट्रपति चुनाव
३ जुलाई २०१०अंतरिम राष्ट्रपति ब्रोनिस्लाव कोमोरोव्स्की और दिवंगत राष्ट्रपति लेख काचिंस्की के जुड़वां भाई यारोस्लाव काचिंस्की आमने सामने हैं. कोमोरोव्स्की को सत्ताधारी पार्टी का उम्मीदवार होने का बोनस है, तो काचिंस्की को लोगों की सहानुभूति मिल रही है. पहले चरण के चुनाव में तीसरे नंबर पर आए वामपंथी उम्मीदवार ग्रेगोर्ज़ नापियराल्स्की के समर्थक 4 जुलाई को असल फ़ैसला करेंगे.
काचिंस्की के माता पिता 1944 में नाज़ियों के ख़िलाफ़ वारसा विद्रोह में लड़े थे. वे अविवाहित हैं और अपनी मां के साथ रहते हैं. लेकिन काचिंस्की ने चुनाव अभियान में नरम रुख अपनाया है, इसीलिए कोमोरोव्स्की के साथ अंतर को पाटने में भी कामयाब रहे हैं. कोमोरोव्स्की यूरोप समर्थक हैं और बाज़ार लक्षित अर्थव्यवस्था के हिमायती हैं जबकि काचिंस्की कैथोलिक बहुल देश में धर्मपरायण तो हैं ही, यूरोपीय संघ से संशय, पोलैंड के कारोबारी नेतृत्व और विदेशी निवेशकों पर संदेह और सरकारी खर्च में बढ़ोत्तरी के समर्थक भी हैं.
पोलैंड में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच अधिकारों का बंटवारा है. प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार को सर्वाधिक अधिकार हैं लेकिन राष्ट्रपति को कानून का प्रस्ताव देने और उसे वीटो करने का अधिकार है. वह प्रमुख अधिकारियों को नियुक्त करता है और विदेश तथा सुरक्षा नीति में हस्तक्षेप कर सकता है.
तीन साल पहले काचिंस्की ने द्वितीय विश्व युद्ध में मारे गए पोलिश लोगों के नाम पर अधिक वोटिंग अधिकारों की मांग की थी और नई यूरोपीय संधि के जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के प्रयासों को तार तार कर दिया था. 2007 में चुनाव में हार के कारण यारोस्लाव का प्रधानमंत्रित्व तो चला गया लेकिन भाई लेख का यूरो विरोधी अभियान राष्ट्रपति भवन से जारी रहा और उन्होंने संसद के अनुमोदन के बावजूद लिस्बन संधि पर कई महीनों तक हस्ताक्षर नहीं किया. लेख ने रूस- जॉर्जिया युद्ध में खुलेआम जॉर्जिया का पक्ष लेकर रूस को भी नाराज कर दिया था.
इन सब का जुड़वां भाईयों के कंजरवेटिव समर्थकों पर तो असर पड़ता है लेकिन राष्ट्रपति की कुर्सी हासिल करने के लिए यारोस्लाव काचिंस्की को अपने कट्टर समर्थकों से बाहर के मतदाताओं को लुभाना होगा. तो क्या काचिंस्की बदल रहे हैं. यूरोप फाउंडेशन के ऑस्क चोमित्स्की का जवाब नकारात्मक है.
लेकिन यारोस्लाव काचिंस्की को अर्थव्यवस्था में मुश्किलों का भी लाभ मिल सकता है. पिछले साल यूं तो पोलैंड मंदी को रोक पाने में सफल रहा लेकिन कर उगाही में कमी के कारण उसका बजट घाटा इस वर्ष सकल घरेलू उत्पाद का 7 फीसदी हो गया है. ऐसे समय में जब यूरोपीय संघ के देश सरकारी कर्ज़ में भारी कटौती करना चाहते हैं, काचिंस्की सरकारी खर्चें को बढ़ाने के प्रबल समर्थक हैं.
पोलैंड को अपने पुराने अनुभवों को दरकिनार कर पड़ोसी देशों के साथ नए संबंधों का विकास करना होगा. उसके हित जर्मनी, रूस और यूरोपीय संघ सहित दूसरे देशों के साथ सम्मानजनक संबंधों में निहित हैं.
रिपोर्ट: महेश झा
संपादन: एम गोपालकृष्णन