पोलैंड में राष्ट्रपति चुनाव की अंतिम दौड़
१ जुलाई २०१०कोमोरोव्स्की को सत्ताधारी पार्टी का उम्मीदवार होने का बोनस है, तो काचिंस्की को लोगों की सहानुभूति मिल रही है. पहले चरण के चुनाव में तीसरे नंबर पर आए वामपंथी उम्मीदवार ग्रेगोर्ज़ नापियराल्स्की के समर्थक 4 जुलाई को असल फ़ैसला करेंगे.
पहले चरण के चुनाव में जीतने वाले लिबरल उम्मीदवार ब्रोनिस्लाव कोमोरोव्स्की को 41.5 फ़ीसदी मत तो मिले लेकिन जीतने के लिए ज़रूरी 50 फ़ीसदी मतों से वे वंचित रह गए. कोमोरोवस्की फ़ुटबॉल फैन भी हैं, इसका परिचय उन्होंने दिया फ़ुटबॉल की भाषा में 90 मिनट के बाद खेले जा रहे अतिरिक्त समय के खेल में समर्थन की मांगकर. 4 जुलाई के मतदान को चुनाव का फाइनल बताते हुए उन्होंने कहा, "हमेशा की तरह जीवन में, फ़ुटबॉल या दूसरे मैचों की ही तरह, अतिरिक्त समय में जाना सबसे मुश्किल होता है."
58 वर्षीय कोमोरोव्स्की के चुनाव जीतने की उम्मीद है, लेकिन जीत के प्रति वे अभी से आश्वस्त नहीं हो सकते. उनकी ही पार्टी के डोनाल्ड टुस्क, जो इस समय देश के प्रधानमंत्री हैं, पांच साल पहले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे. उन्हें भी सुनिश्चित विजेता माना जा रहा था, लेकिन जीत के क़रीब पहुंचने से पहले ही लेख काचिंस्की उनसे आगे निकल गए. टुस्क को उम्मीद है कि कोमोरोव्स्की के साथ वैसा नहीं होगा. "ब्रोनिस्लाव कोमोरोव्स्की का पांच साल पहले मेरी अपेक्षा बेहतर नतीजा रहा है. पोलैंडवासियों का आज का अनुभव भी अलग है. इसलिए चुनाव के दूसरे चरण में कोमोरोव्स्की की संभावनाएं मेरी अपेक्षा आशावादी हैं."
बुधवार को जारी एक जनमत सर्वेक्षण के अनुसार कंजरवेटिव प्रतिद्वंद्वी यारोस्लाव काचिंस्की पर कोमोरोव्स्की की बढ़त बनी हुई है. कोमोरोव्स्की को 52 फ़ीसद समर्थन है और काचिंस्की को 42 फ़ीसदी. कोमोरोव्स्की सत्ताधारी सिविक प्लैटफॉर्म की ओर से लड़ रहे हैं तो 2007 तक प्रधानमंत्री रहे 61 वर्षीय काचिंस्की कानून और न्याय पार्टी की ओर से, जिसे सिविक प्लैटफॉर्म ने सत्ताच्युत कर दिया था.
दोनों ही उम्मीदवार पहले चरण में 14 फ़ीसदी मत जीत कर तीसरे स्थान पर आए वामपंथी नापियराल्स्की का समर्थन जीतने की कोशिश कर रहे हैं. नापियराल्स्की ने किसी उम्मीदवार को समर्थन देने से मना कर दिया है और फैसला अपने समर्थकों पर छोड़ दिया है. यदि काचिंस्की मतदाताओं को यह समझा पाते हैं कि वे अपने भाई की असामयिक मौत के बाद एक नया इंसान बन गए हैं, विनम्र और समझौते के लिए तैयार, तो रविवार को पांच साल पहले की तरह एक बार फिर चुनावी धमाका हो सकता है. कम से कम चुनाव सभाओं में काचिंस्की अपने को राजनेता के रूप में पेश करने का प्रयास कर रहे हैं. कहते हैं, "इतना साफ है, दूसरे चरण के चुनाव में फ़ैसला दो राजनीतिक विचारों, पोलैंड के लिए दो अवधारणाओं के बीच है."
जीत के लिए काचिंस्की को अपनी पार्टी के समर्थकों के अलावा वामपंथियों का समर्थन जीतना होगा. लेकिन कई दिनों के दबाव के बाद वामपंथियों ने अपने समर्थकों को कोई सलाह देने से मना कर दिया है. हालांकि वे सत्तारूढ़ मोर्चे में शामिल हैं, लेकिन न तो वे कोमोरोव्स्की का समर्थन कर रहे हैं और न ही काचिंस्की का. फिर से भी मत सर्वेक्षणों से लग रहा है वामपंथी समर्थक काचिंस्की के बदले कोमोरोव्स्की का समर्थन करेंगे.
रिपोर्ट: महेश झा
संपादन: राम यादव