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पेरिस के दर्द को समझता है पेशावर

२१ नवम्बर २०१५

पेशावर के स्कूल पर हुए आतंकी हमले में अपनों को खोने वालों ने पेरिस हमले पर सद्भावना जताते हुए कहा कि हमलावरों का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं वे सिर्फ 'जानवर' हैं और कुछ नहीं.

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तस्वीर: picture alliance/abaca/AA

पेशावर हमले में मारे गए एक छात्र के पिता सय्यद शाह ने बताया कि जब उन्होंने पेरिस हमलों के बारे में टीवी पर देखा तो उनका पूरा परिवार घंटों तक रोता रहा. परिवार के लिए 16 दिसंबर 2014 की यादें ताजा हो गईं. यही वह भयानक दिन था जिसने उनकी पूरी दुनिया हिला दी थी. सय्यद कहते हैं, "पेरिस का दर्द हमारे जितना कोई नहीं समझता क्योंकि हम इस दर्द से गुजर चुके हैं"

पेशावर के स्कूल पर तालिबान के बेरहम हमले में 150 लोग मारे गए थे. मरने वालों में 130 स्कूली छात्र थे. कुछ ऐसा ही बीते दिनों फ्रांस की प्रेम नगरी कहलाने वाले पेरिस में हुआ. कॉन्सर्ट हॉल, बार, रेस्तरां और स्टेडियम के बाहर हुए हमलों में 129 लोग मारे गए.

पेशावर के एक अन्य छात्र ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा वे 'जानवर' हैं जिन्होंने उनके दोस्तों को मार दिया. उनका 'इस्लाम से कुछ लेना देना नहीं.' पेरिस हमले पर पूरे पाकिस्तान से हमले के दिन से ही प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. हालांकि जनवरी में फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिता शार्ली एब्दो के कार्यालय पर हुए हमले के समय ऐसा नहीं था. उस हमले में 12 लोग मारे गए थे. मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा हिस्सा पत्रिका द्वारा मुहम्मद का कार्टून बनाए जाने पर नाराज था. पेरिस पर हुए ताजा हमले पर पाकिस्तान से सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की भरमार है. देश के राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने भी आतंकी हमले की निंदा की है.

पेशावर के छात्र आजम महमूद ने कहा "यकीन करना मुश्किल है" कि इस तरह की हिंसा पेरिस जैसी राजधानी में हो सकती है जो कि पाकिस्तानियों की नजर में एक "अत्यंत विकसित, शांत और सुरक्षित देश है." कई पाकिस्तानियों का यह भी कहना है कि पेरिस हमले पेशावर के स्कूल पर हुए हमले से मिलते जुलते हैं. रसायन विज्ञान की टीचर अंदलीब आफताब ने पेशावर हमले में अपने कई छात्रों के साथ अपने 16 साल के बेटे को भी खो दिया था. आंसू भरी आंखों के साथ उन्होंने कहा कि वह फ्रांसीसियों को बताना चाहती हैं कि वे "अकेले नहीं हैं."

एसएफ/आरआर(एएफपी)