पेंग लियूआन पर दुनिया की नजर
३० मार्च २०१३शी जिनपिंग अपनी पत्नी के साथ रूस और अफ्रीका के दौरे पर हैं. मॉस्को से शुरू हुए इस दौरे पर चीन की फर्स्ट लेडी खूब सुर्खियां बटोर रही हैं. काले रंग का लम्बा कोट, गले में आसमानी रंग का मफलर और कंधे पर चमड़े का बैग. 50 साल की पेंग के इस रूप को देख कर लोग उनकी तुलना मिशेल ओबामा और कार्ला ब्रूनी से करने लगे हैं. पेंग इन दिनों इंटरनेट पर भी छाई हुई हैं. सोशल नेट्वर्किंग वेबसाइटों पर उनके स्टाइल की चर्चा चल रही है. चीन के लोग तो उनकी खूबसूरती और उनके तौर तरीकों से मंत्रमुग्ध हैं. उनके डिजाइनर कपड़ों में भी लोगों की खूब रूची देखी जा रही है. गौरतलब है कि पेंग केवल चीनी डिजाइनरों के ही कपड़े पहनती हैं, जबकि चीन में ऐसे कई नेता हैं जो विदेशी डिजाइनरों के कपड़े पहनना पसंद करते हैं.
एक साथ दो किरदार
चीन के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि राष्ट्रपति कि पत्नी खुल कर लोगों के बीच आ रही हों. इस से पहले लगभग हर राष्ट्रपति की पत्नी मीडिया से दूरी बना कर ही चलीं. दरअसल इसके राजनैतिक कारण भी हैं. चीन गणतंत्र की स्थापना करने वाले माओ त्सेतूंग की चौथी पत्नी जांग चिंग 1966 से 1976 के बीच देश में हुए विद्रोह का हिस्सा थीं.
चीन के मीडिया जानकारों का मानना है कि अब पेंग के साथ चीन की छवि बदलेगी. गायिका के तौर पर उनसे उम्मीद की जा रही है कि वह विदेश में भी चीन की संस्कृति का प्रतीक बन सकेंगी. हालांकि सेना से तार जुड़े होना दिक्कतें भी पैदा कर सकता है. 18 साल की उम्र में ही पेंग पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से जुड़ गईं और आज भी मेजर जनरल का पद संभाल रही हैं. नॉथिंगम यूनिवर्सिटी के स्टीव त्सांग का कहना है कि पेंग के लिए एक साथ दो किरदार निभाना काफी मुश्किल काम होगा. एक तरफ वह सेना का हिस्सा हैं और दूसरी तरफ उन पर राष्ट्रपति की पत्नी की जिम्मेदारी निभाने का भी भार है.
गायिका पेंग
पेंग ने गायिकी की शुरुआत फौज में ही की. 1982 में सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी के नए साल के विशेष कार्यक्रम में उन्होंने गीत गाए. राष्ट्र प्रेम और देश भक्ति के गाने गा कर उन्होंने देशवासियों का दिल जीत लिया. उसके बाद से वह सेना में अपनी गायिकी का हुनर दिखाती रहीं. लेकिन जब यह बात तय हो गयी कि उनके पति पार्टी और देश के प्रमुख बनने जा रहे हैं, तो उन्होंने कदम पीछे हटा लिए.
अब पेंग को समाज से जुड़े कार्यों में देखा जाता है. 2011 से वह विश्व स्वास्थ्य संगठन की विशेष राजदूत के तौर पर एड्स और टीबी जैसी जानलेवा बीमारियों को लेकर जागरूकता फैला रही हैं. ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी की योहाना हुड का कहना है कि पेंग को इस काम की शुरुआत करने से पहले पार्टी की सहमति लेनी पड़ी, "इसलिए यह कहना मुश्किल है कि एड्स के खिलाफ वह जो जंग लड़ रही हैं, वह उसे कितना दिल से निभा रही हैं."
हांगकांग की बैप्टिस्ट यूनिवर्सिटी के ज्यां पीयर सेबास्टां का भी कहना है कि पेंग को जितना ध्यान मिल रहा है उसे देखते हुए उनका हर कदम पार्टी ही निर्धारित करेगी. उनका कहना है कि पेंग के पास इतनी आजादी नहीं है कि वह स्वयं ही अपने निर्णय ले सकें, "वह जो भी कर रही हैं, वह सब पार्टी के साथ विचार विमर्श के बाद ही. चीन कुछ भी संयोग पर नहीं छोड़ेगा."
रिपोर्ट: ऐनी बॉक/आईबी
संपादन: मानसी गोपालकृष्णन