साहसी और हठीले नेता थे हेलमुट श्मिट
१० नवम्बर २०१५अंत तक वे दोटूक बोलने वाले इंसान रहे, लेकिन फिर भी किसी और से उनका कहीं ज्यादा सम्मान था. उनके अक्खड़पन के बावजूद बार बार सर्वे में उन्हें हालिया इतिहास का सबसे लोकप्रिय राजनीतिज्ञ चुना जाता रहा. यूरोपीय कर्ज संकट के बीच में चांसलर अंगेला मैर्केल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा था, "मुझे बहुत इंतजार करना होगा ताकि मैं कोई कूटनैतिक जवाब ढूंढ सकूं." इसी तरह यह पूछे जाने पर कि क्या वे विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले के काम से संतुष्ट हैं, श्मिट ने कहा था, "मुझे नहीं लगता कि आप गंभीरता से मुझसे इस सवाल का जवाब चाहते हैं." वे अक्सर यूरोपीय संघ के विकास, जर्मनी में बहुसांस्कृतिक समाज और अफगानिस्तान में जर्मन सेना की तैनाती के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणी करते थे, लेकिन जनता के बीच उनकी अच्छी छवि बनी रही.
इरादे के पक्के
बहुत से जर्मन हेलमुट श्मिट को उस व्यक्ति के रूप में देखते हैं जिसने 1977 में आरएएफ आतंकवादियों के सामने झुकने से मना कर दिया था. अभियोक्ता संघ के प्रमुख हंस मार्टिन श्लायर और लुफ्थांसा हवाई जहाज के अपहरण के साथ आतंकवादी कार्रवाइयां चरम पर पहुंच गई थीं. दोनों ही कार्रवाइयों का मकसद जर्मन जेलों में बंद आरएएफ के सदस्यों को छुड़वाना था. हेलमुट श्मिट सख्त रहे.
बाद में उन्होंने अपने रवैये के बारे में कहा, "वे अपने नागरिकों की खतरे से रक्षा करने की सरकार की क्षमता का सबूत देना चाहते थे. और इसका मतलब था कि आतंकवादियों को न छोड़ा जाए." श्मिट ने एक जोखिम भरा फैसला कर अपहृत विमान को जर्मन सीमा पुलिस की एक कमांडो कार्रवाई में छुड़वाया. बाद में बताया गया कि उसमें यदि बंधक मारे जाते तो श्मिट ने इस्तीफा देने का फैसला कर लिया था. यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एसपीडी पार्टी में शामिल होने साथ शुरू हुए उनके राजनैतिक करियर का उत्कर्ष था.
अपने शहर हैम्बर्ग के गृह मामलों के सीनेटर के रूप में उन्होंने सक्षम मैनेजर की छवि बनाई. 1962 में गंभीर बाढ़ आने पर उन्होंने सेना की सहायता ली. इसके साथ केंद्रीय राजनीति में उनका उत्थान शुरू हुआ. 1964 में वे पहले एसपीडी संसदीय दल के नेता बने. एसपीडी और एफडीपी की संयुक्त सरकार बनने पर चांसलर विली ब्रांट ने उन्हें 1969 में रक्षा मंत्री बनाया. सुरक्षा विशेषज्ञ के रूप में उनका रुतबा बढ़ता गया. 1974 में जब विली ब्रांट को एक जासूसी कांड के बाद इस्तीफा देना पड़ा तो श्मिट स्वाभाविक उत्तराधिकारी थे. बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि यह आसान नहीं था. विली ब्रांट ने लोगों में जो उम्मीदें जगाई थीं, उसे पूरा करना 1973 के तेल संकट और बाद में आने वाली मंदी के कारण संभव नहीं था.
सक्रिय नेता
फिर भी श्मिट ने समस्याओं का सामना किया और अपने अटल रवैये के कारण 'मैन इन एक्शन' माने गए. यह आतंकवाद के खिलाफ सफल लड़ाई, मोगादीशु में विमान छुड़ाने और आर्थिक मामलों में उनके सख्त रवैये में भी झलका. भले ही वे आर्थिक समस्याएं दूर नहीं कर पाए हों, लेकिन उनकी छवि एक अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्री की बनी. जर्मनों ने उन्हें 1976 और 1980 के चुनावों में जिताया.
जनता के साथ उनका जो रिश्ता रहा हो, अपनी पार्टी एसपीडी के साथ इन सारे सालों में तनाव बना रहा. वे दक्षिणपंथी सोशल डेमोक्रैट थे जो जरूरत पड़ने पर पार्टी कांग्रेस के फैसलों को भी नजरअंदाज कर देता था. 1980 के दशक के शुरू में नाटो के दोहरे फैसले को लागू करने के सवाल पर टकराव बढ़ गया. वे जर्मनी में और अमेरिकी परमाणु रॉकेटों की तैनाती का समर्थन कर रहे थे, जबकि पार्टी इसके विरोध में थी. बहुत हिचकिचाहट के साथ पार्टी ने श्मिट की बात तो मानी लेकिन जैसे ही वे एफडीपी के गठबंधन बदलने के कारण 1982 में चांसलर पद से हटे पार्टी ने वो फैसला बदल दिया.
बाद के सालों में हेलमुट श्मिट सक्रिय राजनीति से हट गए. वे देश के प्रमुख साप्ताहिक अखबार डी साइट के प्रकाशक बन गए और दुनिया भर में आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर लेक्चर देने लगे. वे एसपीडी के नए नेतृत्व से दूर रहे. 1998 में उन्होंने पहली बार गेरहार्ड श्रोएडर के लिए चुनाव प्रचार करना स्वीकार किया. पार्टी की अंदरूनी राजनीति से सालों तक दूर रहने के बाद 2011 में उन्होंने अपने चेस पार्टनर पेयर श्टाइनब्रुक के लिए यह कहकर कि "वे कर सकते हैं", उनके चांसलर उम्मीदवार बनने की राह आसान कर दी. अपनी जीवनसंगिनी लोकी की मौत के कुछ समय बाद कहे गए इस वाक्य के बारे में उन्होंने बाद में कहा, "मैं समझ रहा था कि शायद यह बात मैं एक साल बाद नहीं कह पाऊं, क्योंकि मैं शायद जिंदा न रहूं." पार्टी के साथ सारी मुश्किलों के बावजूद वे अंत तक सक्रिय सोशल डेमोक्रैट रहे.