पुतिन समेत दुनिया के नेताओं को चीन की दावत
२ सितम्बर २०१५चीन के सरकारी कार्यालय के मुताबिक मंगोलिया, मिस्र और वेनेजुएला जैसे देशों समेत 30 बड़े राष्ट्रों के प्रतिनिधियों का एक साथ चीन आना पहली बार होगा. यह इस बात का प्रतीक है कि युद्ध में चीन की भूमिका को उसके हिस्से का सम्मान दिया जा रहा है. हालांकि हैरान करने वाली बात यह है कि जीत में मुख्य भूमिका निभाने वाले अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से उच्च स्तरीय प्रतिनिधि कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.
चीन में राजनीतिक दमन और आसपास के इलाकों की दावेदारी के चीन के तौर तरीकों के चलते कई देश इस कार्यक्रम से नियमित दूरी भी बनाए हुए हैं. ऐसा करने से राजनीतिक स्तर पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और उसके नेता, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का अंतरराष्ट्रीय पटल पर रुतबा बढ़ाने में मदद मिल सकती है.
3 सितंबर को बीजिंग चीनी लोगों द्वारा जापान की आक्रामकता का विरोध किए जाने और फासीवाद विरोधी युद्ध में जीत का जश्न मना रहा है. यह ठीक उसके अगले दिन पड़ता है, जब जापान ने 70 साल पहले मित्र राष्ट्रों की सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया था.
समारोह में सेना के 12,000 दलों की भव्य परेड, युद्धक विमानों और 500 से ज्यादा टैंकों और मिसाइलों जैसे हार्डवेयर का प्रदर्शन किया जाएगा. ब्रिटेन, जर्मनी और जापान से समारोह में शामिल होने केवल सेवानिवृत्त अधिकारी ही जा रहे हैं, जिनमें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर शामिल हैं. अमेरिका की ओर से तो केवल चीन में अमेरिकी राजदूत मैक्स बॉकस ही कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. यूरोपीय संघ के केवल एक देश के नेता, चेक राष्ट्रपति मीलोश जेमान समारोह में हिस्सा लेंगे.
यह पहली बार है जब चीन ने इतने सारे देशों से आने वाले मेहमानों के सामने सैन्य परेड का आयोजन रखा है. युद्द के अंत का जश्न मनाने का आयोजन भी पहली बार रखा गया है. चीन के उप विदेश मंत्री जंग मिंग के मुताबिक, "हमने अहम देशों के प्रतिनिधियों को दावत दी है कि वे चीन के लोगों के साथ मिलकर इस खास दिन जश्न मनाएं. लेकिन आखिर यह उनका ही फैसला होगा. जहां तक बात हमारी है, हम सभी मेहमानों का आदर और स्वागत करते हैं."
एसएफ/आरआर (एपी)