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पुतिन को नहीं समझ आ रहा कि जंग कैसे जीतें

१७ मार्च २०२२

क्रेमलिन की लाल दीवारों के पीछे से झांकते व्लादिमीर पुतिन के सामने 22 सालों में पहली बार एक ऐसी पहेली है जिसका हल उन्हें नहीं मिल रहा है. पहेली है कि यूक्रेन की जंग को जीतें कैसे?

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तस्वीर: Mikhail Klimentyev/AP/picture alliance

हमले के तीन हफ्ते बाद भी रूसी फौज यूक्रेन के कड़े प्रतिरोध का सामना कर रही है. रूस की सेना अब तक अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई है. दूसरी ओर रूस कड़े प्रतिबंधों के शिकंजे में जकड़ा जा चुका है. जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद जो मुश्किलें रूस ने झेली थीं, उनके मुकाबले इस बार का आर्थिक संकट ज्यादा बड़ा है. पश्चिमी देश तो पहले ही कह चुके हैं कि पुतिन यूक्रेन की यह जंग हार गए हैं.

रूस का दावा

रूस का कहना है कि उसका खास सैन्य अभियान योजना के मुताबिक चल रहा है और अमेरिकी नेतृत्व में पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद उसका काम अच्छे से चलेगा. अठारहवीं सदी में बनी क्रेमलिन की सेनेट पैलेस से काम करने वाले पुतिन को जल्द ही बड़ा फैसला लेना होगा कि वे इस जंग को जारी रखना चाहते हैं या शांति की ओर बढ़ना चाहते हैं. खिंचती जा रही इस जंग में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और 40 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं.

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रूस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "शांतिपूर्ण समाधान की बहुत कम ही गुंजाइश है.अगले तीन दिनों से लेकर एक हफ्ते के बीच कोई फैसला हो सकता है." एक और वरिष्ठ रूसी अधिकारी का कहना है कि राष्ट्रपति रूस की शर्तों को आगे रख कर एक शांतिपूर्ण समाधान पर विचार कर सकते हैं. हालांकि इसमें कुछ सहमतियों की गुंजाइश होगी. इन बातों से क्रेमलिन के इस यकीन का इशारा मिलता है कि रूस, यूक्रेन में बिना लंबी लड़ाई के भी अपने ज्यादातर लक्ष्यों को हासिल कर सकता है.

रूसी सेना और पुतिन को यूक्रेन में इतने कड़े प्रतिरोध की आशंका नहीं थी
रूसी सेना और पुतिन को यूक्रेन में इतने कड़े प्रतिरोध की आशंका नहीं थीतस्वीर: Serhii Nuzhnenko/AP/picture alliance

पुतिन के लक्ष्य

24 फरवरी को आक्रमण शुरू करते वक्त पुतिन ने कुछ लक्ष्य तय किए थे. उसमें पूर्वी यूरोप की तरफ नाटो के विस्तार को रोकना और यूक्रेन में 2014 के बाद से रूसी बोलने वाले लोगों का "राष्ट्रवादियों और नवनाजियों" के हाथों "जनसंहार" खत्म करना शामिल था. पुतिन का कहना है कि क्राइमिया को यूक्रेन से अलग करने के बाद यह "जनसंहार" शुरू हुआ.

हालांकि यूक्रेनी शासन के साथ ये स्थिति थोड़ी अलग है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेस्की यहूदी हैं और जन्म से ही रूसी बोलते हैं. पश्चिमी देशों में जेलेंस्की के समर्थक पुतिन के दावों को पूर तरह आधारहीन बताते हैं. पुतिन का फैसला यूरोपीय इतिहास की दिशा और दशा तो तय करेगा ही, साथ ही यह भी तय होगा कि यूक्रेन के 4.4 करोड़ लोगों को और कितनी तबाही देखनी होगी. यूक्रेन युद्ध पुतिन की सत्ता पर पकड़ की परीक्षा भी है.

रूसी हमले में आया ठहराव

11मार्च को पुतिन ने कहा कि युक्रेन के साथ बातचीत में कुछ सकारात्मक बदलाव आए हैं. हालांकि उन्होंने इसका ब्यौरा नहीं दिया. जेलेंस्की ने बुधवार को कहा कि बातचीत अब "ज्यादा वास्तविक" लग रही है. रूसी विदेश मंत्री का भी कहना है कि "समझौते पर पहुंचने की कुछ उम्मीद जगी है."

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रूसी सेना से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि हाल के दिनों में मिले आदेशों में कुछ बदलाव आए हैं. पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर एक सूत्र ने कहा, "सब कुछ ठहराव पर है. हमारे सैनिकों की रणनीति में साफ बदलाव है. आगे बढ़ने की सक्रियता रुक गई है."

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्कीतस्वीर: Office of the President of Ukraine (via AP)

 कीव और दूसरे प्रमुख शहरों पर कब्जे की कोशिश रूसी सैनिकों को और ज्यादा खूनी शहरी युद्ध में धकेलेगी. खासतौर से ऐसे लोगों के विरुद्ध जो उन्हें कब्जा करने आई फौज मानते हैं.

पश्चिम की ओर और ज्यादा बढ़ना रूस के लिए रसद और साजो सामान की ढुलाई की समस्या बढ़ाएगा. दूसरी तरफ पुतिन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रूसी सैनिकों का पूरे यूक्रेन पर कब्जा जरूरी नहीं है.

जंग खत्म होने पर संभावित बंटवारा

रूस चाहेगा कि समझौते में यूक्रेन की जमीन उनसे छिने. यह जमीन कम से कम 120,000 वर्ग किलोमीटर यानी अमेरिकी राज्य मिसिसिपी के बराबर होगी. इसमें क्राइमिया, पूर्वी यूक्रेन के रूस समर्थित दो अलगाववादी इलाकों के साथ ही रूस के कब्जे में आ चुकी जमीन का एक बड़ा हिस्सा भी होगा. खासतौर से रूस को क्राइमिया से जोड़ने वाले इलाके के साथ ही यूक्रेन के दक्षिणी और शायद पश्चिम की ओर का भी कुछ हिस्सा होगा. इनसे काले सागर तक यूक्रेन की पहुंच बहुत सीमित हो जाएगी.

रूस और यूक्रेन के बीच लगातार बातचीत हो रही है
रूस और यूक्रेन के बीच लगातार बातचीत हो रही हैतस्वीर: MAXIM GUCHEK/BELTA/AFP

अभी यह साफ नहीं है कि शांति की कीमत चुकाने के लिए यूक्रेन अपनी कितनी जमीन छोड़ने के लिए तैयार है. इसके साथ ही प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों का क्या होगा, यह भी स्पष्ट नहीं है. इनमें से ज्यादातर लोग इस खूनी जंग के बाद कम से कम रूसी नागरिक बनने के लिए तो तैयार नहीं होंगे.

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सार्वजनिक रूप से जेलेंस्की और उनके मंत्री भी कहते रहे हैं कि वो कभी भी यूक्रेन की जमीन को रूस के हवाले करने के लिए तैयार नहीं होंगे.

तटस्थ और असैन्य यूक्रेन

विभाजन के अलावा रूस एक तटस्थ यूक्रेन भी चाहता है. ऐसा यूक्रेन जो नाटो में शामिल होने की योजना को हमेशा के लिए और पूरी तरह से त्याग दे. जेलेंस्की ने इस हफ्ते कहा कि यूक्रेन पश्चिम की सुरक्षा गारंटी को स्वीकार करने के लिए तैयार है, जो नाटो की सदस्यता की प्रक्रिया को एक तरह से रोक देगा.

रूस के प्रमुख वार्ताकार ने रूस के सरकारी चैनल से बुधवार को कहा, "यूक्रेन ने ऑस्ट्रिया या स्वीडन की तर्ज पर एक असैन्य देश का प्रस्ताव रखा है. लेकिन साथ ही यह ऐसा भी देश होगा जिसकी अपनी सेना और नौसेना होगी." बुधवार को ही यूक्रेन के राष्ट्रपति ने न्यूट्रल देश बनने की बात खारिज कर दी. यूक्रेन के मुख्य वार्ताकार मिखाइलो पोडोल्याक का कहना है कि कानूनी रूप से बाध्यकारी सुरक्षा गारंटी के एक मॉडल पर बातचीत हो रही है. इस मॉडल के मुताबिक, भविष्य में हमला होने पर यूक्रेन की सुरक्षा जिम्मेदारी कुछ पश्चिमी देशों के गुट के हाथ में होगी. 

यूक्रेन के 40 लाख से ज्यादा लोग बेघर हुए हैं.
यूक्रेन के 40 लाख से ज्यादा लोग बेघर हुए हैं. तस्वीर: Krzysztof Kaniewski/ZUMA Wire/IMAGO

अमेरिका युद्ध को खत्म करने के लिए तेजी से हरकत में आता नहीं दिख रहा है. 8 मार्च को अमेरिकी खुफिया सेवा के प्रमुख ने कहा कि भारी संख्या में लोगों की मौत के बावजूद रूस यूक्रेन पर हमला तेज करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि बड़ी संख्या में रूसी सैनिकों की मौत और प्रतिबंधों के कारण रूसी अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान के बाद भी ऐसा होगा.

सीआईए के निदेशक और रूस में अमेरिकी राजदूत रह चुके विलियम बर्न्स ने अमेरिकी संसद के निचले सदन की इंटेलिजेंस कमेटी से कहा है, "पुतिन फिलहाल नाराज और निराश हैं. आशंका है कि वह यूक्रेनी सेना पर ज्यादा जोर लगाएंगे और आम लोगों के मौत की परवाह नहीं करेंगे." 

एनआर/आरएस (रॉयटर्स)

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