पियानो सुनिये चलते रहिए
२९ नवम्बर २०१०जिनेवा की यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में मेडिसिन फैकल्टी से जुड़ी एंट्रिया ट्रॉम्बेटी की ताजा रिसर्च यही बताती है. रिसर्च के मुताबिक पियानों की धुन के साथ कसरत करने या टहलने पर बुजुर्गों के लड़खड़ा कर गिरने का अंदेशा सबसे कम होता है. आमतौर पर गिरने के कारण लगने वाली चोट या हड्डियों की टूट फूट बुढ़ापे को कष्टदायी बना देती हैं. अगर रिसर्च के मुताबिक पियानो की धुन का इस्तेमाल किया जाए तो इन सब से बचा जा सकता है.
रिसर्च बूढ़े लोगों की कसरत कराने वाली क्लास पर किया गया. लक्ष्य ये था कि शरीर के संतुलन को नियंत्रित करने के तरीकों को कैसे चुनौती दी जाए. धीरे धीरे इसके दायरे को बढ़ाया गया. रिसर्च के दौरान लोगों को पियानो की धुन के साथ चलाया गया और फिर संगीत के सुरों में बदलाव से होने वाले असर की छानबीन की गई.
रिसर्च में ये पता चला कि जिन लोगों ने म्यूजिक के साथ हफ्ते में एक बार छह महीने तक कसरत की उनके साल भर में गिरने का औसत महज 0.7 फीसदी रहा लेकिन जिन लोगों की कसरत का साथी पियानो नहीं था उनके सालाना गिरने का औसत 1.6 फीसदी रहा यानी करीब दुगुने से ज्यादा. संगीत ने ना सिर्फ उनके चलने की गति और कदमों को बढ़ा दिया बल्कि उनकी चाल भी बेहतर बनाई.
रिसर्च करने वाली प्रोफेसर एंट्रिया ट्रॉम्बेटी कहती हैं, "हमें जो जानकारी मिली है उसका बुजुर्गों के लिए बनाए गए केंद्रों पर बेहतर इस्तेमाल हो सकता है और इससे लोगों को गिरने से बचाया जा सकता है." रिसर्च करने वालों के मुताबिक सामान्य परिस्थिति में 65 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों में से एक तिहाई कम से कम एक बार साल में जरूर गिरते हैं और इनमें आधे से ज्यादा ऐसे हैं जो एक से ज्यादा बार गिरते हैं. कसरत लोगों को संतुलन बनाए रखने में मदद करती है और इस तरह से उनके गिरने के खतरे को कम किया जा सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः महेश झा