पिकासो बिन पिकासो
हैम्बर्ग के डाइष्टरहॉल की 25वीं जयंती पर प्रसिद्ध पेंटर पिकासो पर एक प्रदर्शनी लगी जिसका नाम है सामयिक कला में पिकासो. मजेदार बात यह है कि इसमें पिकासो की कोई पेंटिग नहीं है.
नकल या ऑरीजनल
हैम्बर्ग की प्रदर्शनी में दुनिया भर के 90 कलाकारों की रचनाएं प्रदर्शित हैं जिन्हें पिकासो ने किसी न किसी रूप में प्रभावित किया है. अंत में सवाल यही रहता है कि ये नकल है या मूल रचना है. एस मिलर की इस तस्वीर में अभिनेता जॉन माल्कोविच पिकासो की भूमिका में हैं.
दुहरी जयंती
इस साल हैम्बर्ग के डाइष्टरहॉल की ही जयंती नहीं है बल्कि जर्मनी में पिकासो की पेंटिंग गुरनिका के प्रस्तुतिकरण की 60वीं जयंती भी है. आधुनिक काल के शांति कार्यकर्ता पिकासो की यह कलाकृति उस समय म्यूनिख, कोलोन और हैम्बर्ग में दिखाई गई थी. उससे प्रभावित थॉमस जिप्प की यह तस्वीर.
करीबी या दूरी
इस प्रदर्शनी में यह दिखाया जा रहा है कि पिकासो की कलाकृतियों ने दुनिया भर के सामयिक कलाकारों पर क्या और कितना असर डाला है. आकर्षण से लेकर दूरी के बनाने की कोशिश के बीच झूलते कलाकार. हर काल में पिकासो की कला का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी इनमें दिखता है.
लोकप्रिय कलाकार
20वीं सदी के शायद ही किसी और कलाकार को पिकासो जैसी लोकप्रियता हासिल है. विश्व भर में उनकी प्रदर्शनियों को देखने लाखों लोग आते हैं. कला पारखी डिर्क लुकोव कहते हैं कि पिकासो 20वीं सदी की आधुनिक कला के पर्याय बन गए हैं.
विश्व मंच पर दस्तक
प्रदर्शनी की बहुत सी रचनाएं दूसरे संग्रहालयों से उधार ली गई हैं. इस प्रदर्शनी के हॉल का आधुनिकीकरण भी कराया गया है. अब डाइषटरहॉल बड़े संग्रहालय की सभी शर्तें पूरी करता है. डिर्क लुकोव इस मौके को महत्वपूर्ण बताते हैं, "यह विश्व कला मंच पर हमारी दस्तक है."
पिकासो और जर्मन कला
पहली बार चुनिंदा मिसालों के आधार पर जर्मनी की सामयिक कला पर पिकासो के असर को दिखाया गया है. एआर पेंक, गियॉर्ग बाजेलित्स और कार्ल ऑटो गोएत्स की तस्वीरें पूरब और पश्चिम जर्मनी में कलाकारों पर पिकासो के प्रभाव को दिखाती हैं.
ग्लोबल पिकासो
हैम्बर्ग के डाइष्टरहॉल में दिखाई जा रही तस्वीरें अफ्रीका जैसे दुनिया के दूसरे इलाकों में पिकासो के प्रभाव को भी दिखाती हैं. झेंग फंझी, झांग होंगतू और झाऊ तीहाई की तस्वीरों के साथ चीन के तीन अहम कलाकारों की तस्वीरें भी प्रदर्शनी में शामिल हैं.
नई रचनाएं
प्रदर्शनी के केंद्र में पिछले 50 साल की रचनाएं हैं जिनमें पिकासो का असर दिखता है. लेकिन उनमें बहुत सी नई कलाकृतियां भी दिखाई जा रही हैं जिनमें कुछ ऐसी भी हैं जिन्हें खास तौर पर इस प्रदर्शनी के लिए ही बनाया गया है. जैसे जॉन स्टेत्साकर की यह रचना.
आदर्श के साथ लुकाछिपी
पिकासो ने खुद कला के बड़े नामों के साथ बहुत दिनों तक लुकाछिपी का खेल दिखाया. इसमें पिकासो के कला जीवन के सभी अहम काल शामिल हैं. मसलन नीले रंग का काल और उससे जुड़ी अकेलेपन की यादें लेकिन गुलाबी काल की खुशनुमा तस्वीरें भी.
सामयिक हैं पिकासो
प्रदर्शनी में शामिल कलाकारों में एक समानता है. पिकासो की कला के साथ अपनी रचनाओं को उनके बुद्धिमानी, क्रांतिकारिता और काव्यात्मकता में उतार सकने की इच्छा. इसी में दिखता है कि कलाजगत पर पिकासो का असर कितना स्थायी है.
हाट बाजार से कलाकेंद्र
डाइष्टरहॉल 1984 तक हैम्बर्ग का हाट हुआ करता था. उसके जीर्णोद्धार के बाद 1989 में उसका कलाकेंद्र के रूप में उद्घाटन हुआ. इस बीच डाइष्टरहॉल यूरोप के सबसे बड़े प्रदर्शनी हॉलों में शामिल है.