पालमिरा: खतरे में सांस्कृतिक धरोहर
इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों ने सीरिया के प्राचीन शहर पालमिरा पर कब्जा जमा लिया है. यूनेस्को ने चेतावनी दी है कि विश्व धरोहरों की सूची में शामिल शहर का ऐतिहासिक खंडहर खतरे में हैं.
रेत में खंडहर
पालमीरा के ऐतिहासिक खंडहर सीरिया के मरुस्थल के बीचोबीच स्थित हैं. किसी समय में यह इलाका समृद्ध था और पाम यानि ताड़ के पेड़ों से घिरा हुआ था, इसीलिए इसका नाम पालमिरा पड़ा. यह इलाका व्यापार का गढ़ था, लेकिन धीरे धीरे स्वर्णिम काल का अंत हुआ और शहर रेत में समा गया. बाद में इन खंडहरों को खोदकर निकाला गया और 1980 में विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया.
बाल मंदिर
पहली सदी में पालमिरा के बाशिंदों ने परमेश्वर माने जाने वाले बाल भगवान का रोमन स्टाइल का मंदिर बनाया. इस मंदिर के कारण यह इलाका पालमिरा की धार्मिक आस्थाओं का केंद्र बन गया जो 14वीं सदी के बाद रोमन साम्राज्य में शामिल हो गया था. मंदिर की दीवारों पर बुलेट के अनगिनत निशान हैं जो सीरिया में जारी संघर्ष के साक्षी हैं.
खजाना
दूसरी शताब्दी में निर्मित द ग्रेट कोलोनाड एक किलोमीटर से ज्यादा लंबा रास्ता है. किसी समय में इस मुख्य मार्ग से मसालों, कीमती पत्थरों और अन्य बहुमूल्य वस्तुओं का करवां गुजरता था. मुख्य द्वार पर रोमन सम्राट हेड्रियन के सम्मान में हेड्रियन आर्क बना है. यह उस समय बेहद प्रचलित ग्रीक रोमन स्टाइल का अद्भुत नमूना है.
रोमन स्मारक
पालमिरा के मुख्य चौराहे पर बना टेट्रापायलॉन सुडौल खंभों के चार समूह हैं. इन्हें लाल ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया था जो आसवान से लाए गए थे. इनमें से प्रत्येक को मूर्ति रखने के लिए बनाया गया था. आज इनमें से केवल एक ही असली है बाकी नकली हैं.
पवन देवता
बालशमीन यानी पवन देव पालमिरा के निवासियों के एक और भगवान हुआ करते थे. शायद इसीलिए द ग्रेट कोलोनाड के विपरीत दिशा में बने इस मंदिर पर तूफानी हवाओं का कम असर हुआ. यह ठीक ठीक नहीं पता कि इस मंदिर का निर्माण कब हुआ. लेकिन माना जाता है कि प्राचीन फीनीशिया सभ्यता के लोग जब यहां रहने आए तो उन्होंने इस मंदिर का निर्माण किया.
थियेटर
पालमिरा में ग्रेको-रोमन शहर की बड़ी सारी खूबियां थीं. यहां बरामदे, गर्म पानी के पूल और एम्फीथियेटर हुआ करते थे. इस स्टेज पर नाटक प्रस्तुत किए जाते थे. नाटकों के अलावा इस जगह का इस्तेमाल जानवरों और इंसानों के बीच लड़ाई के लिए भी किया जाता था.
अहम शख्सियतें
इस जगह पर किसी समय में करीब 200 अहम शख्सियतों की मूर्तियां थीं. उन्हें मुख्य चौराहे या अगोरा के बरामदों में जगह दी जाती थी. अगोरा के दक्षिण पश्चिमी कोने में वह जगह है जहां नगर परिषद की सभाएं हुआ करती थीं. इस परिषद में उद्योगपति घरानों के प्रतिनिधि हुआ करते थे. वे ही शहर के भविष्य के लिए अहम फैसले लेते थे.
दफनाया जाना
शहर के मुख्य द्वार के बाहर ही दफ्न के कई बड़े मैदान हैं. बड़े परिवार बड़ी बड़ी मीनारें बनाया करते थे जिनमें कई नस्लों तक के ताबूत रखे जा सकते थे. यहां कई कब्रिस्तान भी हैं जो वास्तुकला के अद्भुत नमूने हैं. ये उस समय की विलासिता और दैनिक जीवन के अंदाज को दिखाता है.
विनाश की ओर बढ़ता इतिहास
300 ईसवी में पालमिरा सैन्य ठिकाना बन गया. इसपर कई शासकों ने राज किया. स्वर्णिम काल बीत जाने के बाद शहर रेत से ढक गया. आज भी शहर के कई हिस्से रेत में दफ्न हैं. इस प्राचीन शहर को इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों से बड़ा खतरा है. यूनेस्को ने चिंता जताई है कि शहर के ऐतिहासिक खंडहरों को भारी नुकसान हो सकता है.