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पालतू जानवरों की देखभाल का बदलता चलन

२४ जनवरी २०११

जैसे-जैसे भारत आर्थिक रूप से मजबूत होता जा रहा है, वैसे-वैसे यहां लोगों के शौक भी बदल रहे हैं. भारत में इन दिनों शौकीन लोग नए तरीके से अपने पैट की देखभाल में लगे हैं. लोग अपने जानवरों के लिए करामाती मणि की भी.

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तस्वीर: dpa

जानवरों को पालना थोड़ा पुराना चलन है लेकिन लोग अब अपने पालतू जानवरों की देखभाल के लिए नए तरीके आजमा रहे हैं. इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है कि लोग अपनी बिल्ली के लिए नए किस्म की नेल पॉलिश खरीद रहे हैं.

Hundeausstellung in Dortmund eröffnet
तस्वीर: AP

पालतु जानवरों पर आधारित पत्रिका क्रीचर कॉम्पेनियन के अनुसार भारत में पेट केयर मार्केट साल 2003 में 3 करोड़ 10 लाख डॉलर का था, लेकिन पिछले साल यह बढ़कर 6 करोड़ 40 मिलियन डॉलर का हो गया है. इस दौरान लाखों लोगों की आमदनी बढ़ी है और वे अब मध्यमवर्गीय जीवन जी रहे हैं, जिससे वे अपने पेट की देखभाल बेहतर तरीके से कर सकते हैं.

पालतु जानवरों की साज-सज्जा और अन्य पेट केयर सर्विस में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है और इंटरनेट पर पेट सर्विस की जानकारी और अन्य दूसरे माध्यम लगातार बढ़ रहे हैं. सन 2015 तक उम्मीद है कि पेट केयर सर्विस का कारोबार एकदम दोगुना होकर 14 करोड़ 40 लाख डॉलर तक पहुंच जाएगा.

Hunde in bayerischer Tracht
तस्वीर: dpa

पिछले सप्ताह नई दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल पेट फैयर में देखा गया कि ज्यादातर लोग जानना चाहते थे कि जब जानवर गुस्से में हो तो उसे कैसे काबू में किया जाए और जब जानवर की उम्र बढ़ रही हो तो उसे कैसे डील किया जाए.

इस फैयर के पहले दो दिन लगभग तीन हजार लोग क्रिस्टल थैरेपी के स्टॉल पर आए और उन्होंने अपने पालतू के लिए चमत्कारी पत्थर और मणि की जानकारी ली.

BdT Messe "Heim, Tier und Pflanze 2007"
तस्वीर: AP

इसी स्टॉल पर आईं क्रिस्टीना पॉल ने कहा कि मेरा छह वर्षीय सेंट बर्नाड पिछले एक साल से असभ्य व्यवहार कर रहा है. वह मुझे परेशान कर रहा है. पहले वह सलीके से पेश आता था, लेकिन अब उसका व्यवहार बदल गया है. मैं यहां यह जानने आई हूं कि मणि और स्टोन थैरेपी से मेरी समस्या किस प्रकार दूर हो सकती है.

मधु कोटिया ने पांच साल पहले पालतू जानवरों की चिकित्सा सेवा शुरू की और फिलहाल वे पालतू जानवरों के बदलते व्यवहार पर क्रिस्टल थैरेपी पैकेज उपलब्ध करवाती हैं. मधु ने बताया कि क्रिस्टल थैरेपी के अलावा हमारे पास एंजल कम्यूनिकेशन हिलिंग भी है, जिसके जरिये लोग अपने खोए हुए कुत्तों की तलाश कर सकते हैं.

इस फेयर में कुत्ते अपने मालिकों के साथ एक स्टॉल से दूसरे स्टॉल तक चहलकदमी करते नजर आए, वहीं कुछ बिल्लियों को उनके मालिक नेल पॉलिश लगवा रहे थे. तीन दिवसीय इंटरनेशनल पेट फेयर का यह पांचवां साल था. इसकी शुरुआत एक ट्रेड फेयर के तौर पर हुई थी और साल दर साल इसमें आने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई.

रिपोर्टः एजेंसियांएस खान

रिपोर्टः आभा एम