पानी पर तैरती किताबें
२१ जून २०१४सैरा हेनशॉ कई सालों तक लंदन में पत्रकार के तौर पर काम करती थीं. मगर अपनी खुद की किताबों की दुकान खोलना हमेशा उनका सपना रहा. एक वक्त आया जब उन्होंने अपने इस सपने को सच करने की ठानी. समस्या यह थी कि इस तरह की दुकानें, बड़े बड़े सुपरमार्केट और अमेजन जैसे ऑनलाइन स्टोर से मिल रही चुनौती के कारण बाजार खो रही थीं. ऐसे प्रतिस्पर्धा से भरे माहौल में अपनी दुकान के लिए हेनशॉ ने कुछ अलग सोचा.
उधार की नाव
लेकिन उनके इस अनोखे आइडिया में पैसे लगाने के लिए कोई भी बैंक तैयार नहीं था. अपने सपनों को साकार करने के लिए उन्हें अपने माता पिता से उधार लेना पड़ा. इन पैसों ने हेनशॉ ने नहरों में चलने वाली एक नाव या नैरोबोट खरीदी और उसे इंग्लैंड के बर्टन शहर के पास एक बंदरगाह में किनारे पर लगा दिया. किताबों से भरी यह दुकान जल्दी ही लोगों का ध्यान खींचने लगी. हेनशॉ बताती हैं, "नैरोबोट ब्रिटेन के लिए काफी अनोखी चीज है. ये बहुत संकरी और लंबी होती है."
हेनशॉ का दुकान खोलने के बाद से अनुभव रहा है कि नाव पर जगह कम होने से कारण बहुत ज्यादा किताबें रखना एक बड़ी चुनौती होती है लेकिन इसके फायदे भी हैं. वे कहती हैं, "एक फायदा तो यह है कि आपको अपने स्टॉक के बारे में बहुत ध्यान से सोचना पड़ता है कि क्या बेचें और क्या संभाल कर रखें. इसलिए मैं अपनी हर किताब के बारे में बहुत अच्छी तरह जानती हूं. इस तरह एक बड़े बुकस्टोर के मुकाबले मैं अपनी किताबें ज्यादा बेहतर तरीके से बेच पाती हूं."
बाजार के थपेड़े
हेनशॉ ने 2009 में 'दि बुक बराज' नाम की दुकान खोली. कुछ सालों तक यह अपने नएपन के कारण काफी अच्छी चली लेकिन 2011 आते आते धंधा मंदा पड़ने लगा. वे बताती हैं, "दूसरी बड़ी दुकानों से काफी चुनौती मिल रही थी और मंदी भी चल रही थी. तब मुझे या तो उसे बंद करना था या इसके बारे में कुछ करना था." तब हेनशॉ ने अपना फ्लैट छोड़ कर नाव में ही रहने का इंतजाम किया और इंग्लैंड और वेल्स के आस पास के इलाके में अपनी किताबों से भरी नाव लेकर निकल पड़ी.
अब हर गर्मियों में हेनशॉ अपनी तैरती हुई किताबों की दुकान लेकर निकल पड़ती हैं और ऐसी जगहों तक पहुंच जाती हैं जहां और कोई किताबों की दुकान नहीं है. ब्रिटेन में नहरों का ऐसा जाल है जिससे आप लगभग सभी बड़े शहरों तक पहुंच सकते हैं. पिछले पांच साल से ब्रिटेन के अंदर ही अपनी तैरती हुई दुकान में यात्रा करती हेनशॉ अब और नए तट तलाशना चाहती हैं. अगली योजना नाव को लेकर फ्रांस जाने की है. हेनशॉ बताती हैं, "मैंने बर्गंडी में एक जगह खरीदी है जो बिल्कुल नहर पर ही है. मैं उम्मीद करती हूं कि अपनी नाव को उससे मिलाकर उसे एक बड़ी किताबों की दुकान का रूप दे सकूं."
रिपोर्ट: लार्स बेफांगर/आरआर
संपादन: महेश झा